देश से गद्दारी के आरोप में आईपीएस नेगी की गिरफ्तारी
चारा घोटाला : 45 लोगों पर मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज, लालू प्रसाद की बढ़ेगी मुश्किलें
खूनी हुई हिजाब की राजनीति
हिन्दू-मुसलमानो के साथ ही समाज के अन्य लोगो को भी अब इस मामले में दखल देने की जरूरत है वरना हिजाब का यह खेल कई और निर्दोषो पर भी भारी पर सकता है. और अगर ऐसा हुआ तो फिर बहुलतावादी संस्कृति पर तो हमला होगा ही, लोकतंत्र भी लज्जित और शर्मसार होगा|
पेगासस पर न्यूयार्क टाइम्स का खुलासा ,कांग्रेस ने कहा चौकीदार ही जासूस
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, श्रीनिवास बीवी, शक्ति सिंह गोहिल, कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि इस रिपोर्ट से साबित ह गया है कि सरकार ने करदताओं के पैसे से 300 करोड़ रुपये में पत्रकारों और नेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया है कि जुलाई 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल यात्रा पर गए थे तब 2 अरब डॉलर में भारत ने इजरायल के साथ एक भारी भरकम रक्षा सौदा किया था. इस डील में मिसाइल सिस्टम के अलावा इजरायली कंपनी एनएसओ द्वारा बनाया गय पेगासस स्पाईवेयर मुख्यआइटम थे। इस रिपोर्ट को अगर सही माने तो साफ़ हो गया है कि भारत सरकार ने पेगासस खरीदा और इसका बेजा इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं पर किया या फिर उन हस्तियों पर किया जिससे सरकार को परेशानी होने की संभावना थी.
राहुल ने ट्वीट किया, “मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था. फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है, ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है. यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने पीएम मोदी पर बड़ा हमला किया है और कहा है कि ‘साबित हो गया है कि चौकीदार ही जासूस है.
न्यूयार्क टाइम्स अखबार के द्वारा की गई साल भर की जांच से पता चला है कि फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने भी इस स्पाईवेयर को खरीदा और इसको इस्तेमाल करने के मकसद से इसका परीक्षण किया था।. एफबीआई इस स्पाईवेयर को घरेलू निगरानी के लिए इस्तेमाल करना चाहती थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे दुनिया भर में इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया. जिसमें मेक्सिको द्वारा पत्रकारों और विरोधियों को निशाना बनाना, सऊदी अरब द्वारा महिला अधिकार की पक्षधर कार्यकर्ताओं के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जाना शामिल था. इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सऊदी अरब के गुर्गों द्वारा मार दिए स्तंभकार जमाल खशोगी के खिलाफ भी इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल के रक्षा मंत्रालय द्वारा नए सौदों के तहत पोलैंड, हंगरी और भारत समेत कई देशों को पेगासस दिया गया.
बता दें कि जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल की यात्रा की थी. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इजरायल की पहली यात्रा थी. न्यूयार्क टाइम्स ने रिपोर्ट में कहा कि यह यात्रा तब हुई जब भारत ने फिलिस्तीन और इजरायल संबंधों को लेकर एक नीति बनाई हुई थी.
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा काफी सौहार्दपूर्ण थी. उस दौरान पीएम मोदी अपने समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक बीच पर टहलते हुए देखे गए थे. हालांकि दोनों के बीच दिखी इस गर्मजोशी का कारण दोनों देशों के बीच हुई डिफेंस डील थी. दोनों देशों के बीच हुए 2 बिलियन डॉलर समझौते में हथियारों और ख़ुफ़िया सिस्टम की खरीद शामिल था. साथ ही इस डील में पेगासस भी शामिल था.
रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है कि उस दौरान इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी भारत की यात्रा की और जून 2019 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजरायल के समर्थन में मतदान किया ताकि फिलिस्तीनी मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से इनकार किया जा सके. हालांकि अब तक न तो भारत सरकार और न ही इजरायली सरकार ने माना है कि भारत ने पेगासस को खरीदा है.
मीडिया समूहों के एक वैश्विक संघ ने जुलाई 2021 में खुलासा किया था कि दुनिया भर की कई सरकारों ने अपने विरोधियों, पत्रकारों, व्यापारियों पर जासूसी करने के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया था. भारत में द वायर द्वारा की गई जांच में बताया गया था कि जिन जिन के खिलाफ जासूसी होने की संभावना थी उसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव थे सहित कई अन्य प्रमुख नाम थे. इस सूची में द इंडियन एक्सप्रेस के दो वर्तमान संपादकों और एक पूर्व संपादक सहित लगभग 40 अन्य पत्रकार भी थे.
18 जुलाई को संसद में इजरायली स्पाईवेयर पेगासस को लेकर हुए विवाद पर जवाब देते हुए मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि यह रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र और इसके संस्थानों को बदनाम करने का प्रयास .था. उन्होंने कहा था कि जब निगरानी की बात आती है तो भारत ने प्रोटोकॉल स्थापित किए हैं जो मजबूत हैं और कसौटी पर खरे उतरे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि स्पाईवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ ने भी कहा है कि पेगासस का उपयोग करने वाले देशों की सूची गलत है. कई देश हमारे ग्राहक भी नहीं हैं. उसने यह भी कहा कि उसके ज्यादातर ग्राहक पश्चिमी देश हैं. यह स्पष्ट है कि एनएसओ ने भी रिपोर्ट में दावों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है.
द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज में भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा था कि एनएसओ द्वारा किया जा रहा निर्यात इजरायल सरकार की निगरानी में है. यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायली सरकार को यह पता चलेगा कि क्या एनएसओ ने भारत सरकार को सॉफ्टवेयर बेचा है तो उन्होंने कहा कि इस निजी कंपनी द्वारा किये गए तकनीक के हर निर्यात को लाइसेंस का पालन करना पड़ता है.
उन्होंने यह भी कहा कि एनएसओ एक निजी इजरायली कंपनी है, जिसने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक उपकरण विकसित किया है और कई लोगों की जान बचाई है. इसकी गंभीरता को समझते हुए इजराइल ने कंपनी के उपकरण पर निर्यात नियंत्रण के कई उपाय किए हैं. इसलिए उनका निर्यात कुछ सरकारों तक सीमित हैं. इसके बारे में सभी अफवाहों या दावों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. जब भारत की बात आती है तो यह एक अंदरूनी राजनीतिक लड़ाई है.
सरकार द्वारा कथित जासूसी के खिलाफ दायर लगभग एक दर्जन याचिकाओं के बाद पिछले साल 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दो विशेषज्ञों के साथ सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति नियुक्त की. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि राज्य को हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर छूट नहीं मिल सकती है. साथ ही इस मामले में पूरी तरह से जांच करने का आदेश भी दिया गया था.
दस मार्च के बाद ‘खेला होबे ‘ की सम्भावना बढ़ी
खबर यह भी मिल रही है कि इस खेल को अंजाम देने में जदयू के भी कई नेता भूमिका निभा रहे हैं। जदयू के दो बड़े नेता पिछले दिनों कांग्रेस के नेताओं से मिले हैं और गंभीर बातचीत हुई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस आला कमान अगर इस नयी राजनीति पर सहमत होता है तो बिहार में सरकार भी बदलेगी और केंद्र की राजनीति में एक नया खेल शुरू होगा। बता दें कि जातीय आरक्षण के मसले पर नीतीश कुमार को राजद ,कांग्रेस , लेफ्ट ,हम और वीआईपी का साथ है। इधर राजद के साथ वीआईपी और हम नेताओं की जुगलबंदी भी बढ़ती जा रही है। लेकिन जदयू और हम ,वीआईपी सरकार के साथ है।
जदयू ने नेता मानकर चल रहे हैं कि चुकी यह सरकार हम और वीआईपी की वैशाखी पर टिकी है और अगर ये दोनों पार्टी सर्कार से समर्थन वापस लेती है तब कुछ नया खेल हो सकता है। लेकिन जानकार मान रहे हैं कि ये सब ऊपरी बाते हैं। राजद ,कांग्रेस नेता जब चाहेंगे हम और वीआईपी के साथ बात करके खेल को अंजाम दे सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब सब कुछ राजनीति में संभव है और जदयू -बीजेपी में तल्खी बरकरार है तब इन्तजार क्यों ?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ यूपी चुनाव के बाद कोई बड़ा उलटफेर बिहार में संभव है। हालांकि ऊपर से देखने में यूपी चुनाव का बिहार से कोई लेना देना नहीं लगता लेकिन राजनीतिक रूप से देखा जाए तो यूपी चुनाव का असर बिहार पर पडेगा ,ऐसा संभव दीखता है।
बिहार के की अधिकांश पार्टियां इस बार यूपी में चुनाव लड़ने पहुँच गई है। और मजे की बात तो यह है कि बिहार एनडीए की गैर सभी बीजेपी पार्टियां यूपी में अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है। यह भी कम अनोखी बात नहीं। बिहार में साथ -साथ का राग है तो यूपी में एक दूसरे के दुश्मन। यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं होने के कारण बिहार एनडीए के घटक दलों, जेडीयू, वीआईपी और हम, ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय ले लिया है। पहले इन दलों को लगता था कि बीजेपी से गठबंधन हो जाएगा लेकिन बीजेपी ने इनको कोई भाव नहीं दिया। अब बीजेपी द्वारा भाव नहीं देने की कहानी बहुत कुछ कहती है। हम और वीआईपी को भले ही चोट कम लगी हो लेकिन जदयू के साथ जो बीजेपी ने किया है उससे नीतीश कुमार काफी आहत बताये जा रहे हैं। बता दें कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने यूपी में विधानसभा चुनाव से पूर्व गठबंधन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीजेपी यूपी प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ कई दौर की बातचीत की, लेकिन बीजेपी नेतृत्व की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। जदयू के भीतर इस बात को लेकर अपमान का भाव है। पूर्वी यूपी के इलाको में बिहार से जुडी पार्टियों का जातीय दबदबा है। और माना जा रहा है कि अगर बिहार एनडीए से जुड़े इन दलों को कुछ सीटें मिल गई तो ये फिर बीजेपी से नहीं जुड़ेंगे। या तो विपक्ष की भूमिका में रहेंगे या फिर गैर बीजेपी दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की कोशिश करेंगे। और फिर एक नयी राजनीति की शुरुआत होगी जो अगले लोक सभा चुनाव में दिखेगी।
बता दें कि हम यानी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन मांझी ने अगस्त 2021 में लखनऊ में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य भाजपा नेताओं से मुलाकात की थी। पार्टी ने यूपी में बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हम का पूर्वी यूपी में बसे मांझी, मछुआ और केवट समुदायों पर प्रभाव है। हम के एक नेता ने कहा कि भाजपा से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है। अब हम बीजेपी से लड़ेंगे। अपनी जाति का वोट कम से कम बीजेपी को न जाए इस पर काम करना है।
उधर ,वीआईपी पार्टी के नेता और बिहार के पशुपालन मंत्री मुकेश साहनी ने यूपी में 165 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इनमें से अधिकांश सीटें निषाद समुदाय के प्रभुत्व वाले पूर्वी यूपी में स्थित हैं। वीआईपी ने पिछले साल 25 जुलाई को डाकू से नेता बनी फूलन देवी की पुण्यतिथि के अवसर पर विभिन्न जिलों में कार्यक्रम आयोजित करके यूपी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
बता दें कि पूर्वी यूपी बीजेपी का गढ़ रहा है और पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां बड़ी संख्या में सीट हाथ लगी थी। मोदी और योगी के नाम पर सभी जाति के लोगों ने बीजेपी को वोट दिया था लेकिन इस बार जातीय वोट पर पकड़ रखने वाले नेता अपनी जाति के वोट बैंक को अगर रोक लेते हैं तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है। बिहार एनडीए से जुड़े दलों की यही भूमिका इसबार यूपी में होने जा रही है।
उधर लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान भी यूपी की सौ सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। खबर के मुताबिक चिराग ने 60 से ज्यादा उम्मीदवारों की सूचि भी तैयार कर ली है। बिहार की ये पार्टियां यूपी में कितना करतव करती है ,यह देखना होगा लेकिन असली खेल तो चुनाव के बाद होगा जब इन बिहार की पार्टियों को कुछ सीटें हाथ लग जाएगी। मार्च के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल की सम्भावना है और लगता है कि तब नीतीश को बड़ा फैसला लेंगे।
यमन की मानवीय त्रासदी में देवदूत बनकर खड़ी यूएई सरकार
और टाटा ने फिर संभाली एअर इंडिया की कमान
काफी रोचक होगा गोरखपुर में सीएम योगी को घेरने का खेल
यूपी की खातिर, भाजपा का विशेष प्लान
अपने पति दयाशंकर सिंह से प्रताड़ित होती है यूपी की मंत्री स्वाति सिंह !
अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या योगी सरकार की एक महिला मंत्री को उनके पति प्रताड़ित करते है? महिला बाल-विकास मंत्री स्वाति सिंह के ऑडियो से तो यही बात साबित हो रही है। यह बात अलग है कि यह ऑडियो कैसे सामने आया यह भी एक राजनीतिक खेल माना जा रहा है। माना जा रहा है कि स्वाति सिंह ने ही अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने और अपने पति की सरोजनी नगर से की जा रही दावेदारी को ख़त्म करने के लिए ही यह ऑडियो जारी करवाया है। इसमें सच्चाई जो भी हो लेकिन इस ऑडियो में दो बातें बहुत साफ है कि एक तो उनके पति किसी अवस्थी के मकान पर जबरन कब्जा करते हैं, पुलिस भी उनकी मदद करती है। पीड़ित की सुनवाई नही होती और दूसरा सच यह है कि खुद मंत्री भी अपने पति के हाथों मजबूर हैं, वो उनके साथ मारपीट भी करते हैं।
इस ऑडियो में स्वाति कहती है कि उनके पति दयाशंकर सिंह उनके साथ मारपीट करते है। इतना ही नही वे उनसे किस कदर डरती हैं, इसका अंदाजा भी इस ऑडियो को सुन कर लगाया जाता है। स्वाति सिंह कहती है कि कि हमारी और आपकी बातचीत का पता दयाशंकर सिंह को नहीं चलना चाहिए। उन्हें पता चलेगा तो क्या होगा आप समझ सकते है। हालांकि मंत्री स्वाति सिंह पीड़ित को इंसाफ दिलाने की बात भी कह रही हैं।
स्वाति सिंह के मंत्री बनने से पहले ही दोनों के रिश्ते खराब थे। दयाशंकर के एक करीबी बताते हैं कि साल 2008 में स्वाति ने पति दयाशंकर के खिलाफ मारपीट की एफआईआर भी दर्ज कराई थी। हालांकि दोनों ने कभी इस झगड़े को सार्वजनिक मंच पर सामने नहीं आने दिया।
इससे पहले स्वाति सिंह पर भाभी के साथ मारपीट करने, बिना तलाक लिए भाई की दूसरी शादी कराने और भाभी को घर से निकालने का आरोप लगा था। स्वाति के खिलाफ मुकदमा उनके अपने सगे भाई की पत्नी आशा सिंह ने दर्ज कराया था। ये मामला करीब 11 साल पुराना है।
2017 विधानसभा चुनाव से पहले दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद बसपा कार्यकर्ताओं ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नेतृत्व में लखनऊ में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह और बेटी पर गलत कमेंट किए थे। इनके जवाब में स्वाति मैदान में आईं और महिला सम्मान के नाम पर मायावती सहित बसपा के 4 बड़े नेताओं के खिलाफ हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया।
मायावती के खिलाफ जिस तरह से स्वाति मुखर हुईं, उससे भाजपा को एक संजीवनी मिलती दिखी। इसी का नतीजा था कि जिस सीट पर बसपा की जीत पक्की मानी जा रही थी, वहां स्वाति ने बाजी पलटी और जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा ने स्वाति को मंत्री पद का तोहफा दिया।