Friday, March 29, 2024
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बिहार में जातिगत जनगणना शुरू, बीजेपी के लिए सिरदर्द 

बिहार की राजनीति फिर से नए उफान पर जाती दिख रही है. नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होने के बाद जातिगत जनगणना पर ज़ोर दिया था. उनकी समझ रही है कि इससे जातियों का पता ही नहीं चलेगा, बल्कि आरक्षण में भी इस से सहूलियत होगी. इसके साथ ही समाज के विकास के लिए योजना बनाने में भी मदद मिलेगी. हालांकि बीजेपी हमेशा इसका विरोध करती रही है. लेकिन नीतीश कुमार नहीं माने और अब पूरे बिहार में अगले सात जनवरी से जातिगत जनगणना की शुरुआत होने जा रही है. बिहार से शुरू हुई यह गणना अब देश की राजनीति को प्रभावित भी करेगी. देश के तमाम राज्यों में इसकी मांग बढ़ेगी और फिर एक नयी राजनीति की शुरुआत होगी. इसे आप मंडल पार्ट 2 की राजनीति भी कह सकते हैं.

आगामी सात जनवरी से शुरू होने वाले जाति गणना में लोगों से 26 तरह के सवाल पूछे जायेंगे. लोगों को अपनी जाति संबंधी प्रमाण पत्र की प्रति लगानी होगी. संभवत: जाति प्रमाण पत्र का नंबर कालम में अंकित करना होगा. जिन लोगों के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं उपलब्ध होगा, उनकी जाति की प्रमाणिक पुष्टि आस पड़ोस के लोगों से पूछ कर की जायेगी.

जाति गणना के लिए सभी जिलों को 26 सवालों का प्रोफार्मा उपलब्ध कराया गया है. जाति गणना करने वाली टीम के सदस्यों की 15 दिसंबर से ट्रेनिंग आरंभ हो रही है. जाति आधारित गणना को पूरी तरह जमीन पर उतारने के लिए एक एप भी बनाया जायेगा. बेल्ट्रॉन को इसकी जिम्मेवारी भी सौंप दी गयी है.

इसकी अहम बातें ये है कि, जाति गणना के लिए रखना होगा जाति प्रमाण पत्र का नंबर. जिनके पास नहीं होगा जाति का प्रमाण पत्र उनके बारे में पड़ोसियों से जानकारी ली जायेगी. जाति गणना में लोगों से सरकार 26 सवाल पूछेगी और सात जनवरी से गणना आरंभ होगी.

सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव बी राजेंद्र ने कहा कि जाति गणना के लिए डाटा शीट करीब-करीब तैयार हो गया है. लोगों से आमदनी, जीवन स्तर और शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी सवाल पूछे जायेंगे. राज्य सरकार ने जाति गणना के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को नोडल विभाग बनाया है.

गौरतलब है कि बिहार में जातीय जनणणना को लेकर 1 जून, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई. सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया था. बैठक में बिहार में सभी धर्मों की जातियों और उपजातियों की गणना कराने को लेकर फैसला किया गया था.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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