ऊपर से भले ही सबकुछ ठीक लगता हो, लेकिन भीतर से बीजेपी की परेशानी अगले लोकसभा चुनाव को लेकर बढ़ती जा रही है. खासकर भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस को मिल रहे समर्थन से बीजेपी कुछ ज्यादा ही परेशान है. बीजेपी को लगने लगा है कि अगला चुनाव काफी कड़े मुकाबले वाला होगा. क्योंकि उसे हराने के लिए विपक्ष की एकता अगर बन जाती है तो कई राज्यों में परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में बीजेपी ने उन सीटों की पहचान की है, जहां बीजेपी के हारने की ज्यादा सम्भावना है. बीजेपी ने ऐसी 204 सीटों की पहचान की है. इन सीटों को कैसे जीता जाए, इसको लेकर बीजेपी 28-29 दिसंबर को हैदराबाद में रणनीति तय करेगी.
हैदराबाद बैठक से पहले बिहार में 21-22 दिसंबर को एक अन्य बैठक में राज्य की 40 लोकसभा सीटों की समीक्षा होगी. यहां 40 में 22 सीट सामाजिक और जातीय समीकरण के लिहाज से कमजोर श्रेणी की मानी जा रही हैं. इसके अलावा दक्षिण के राज्यों से 84 सीट कमजोर मानी गई हैं. बीजेपी ने सीटों की 4 श्रेणियां बनाई है. सर्वोत्तम, अच्छा, सुधार योग्य और अत्यंत खराब. डी श्रेणी की सीट वह है, जहां बीजेपी की जीत की संभावना बहुत कम है, लेकिन इन सीटों पर नंबर दो की स्थिति बन सकती है.
पार्टी कमजोर सीटों का जातीय और सामाजिक समीकरण तैयार कर रही है. इन क्षेत्रों में जो भी प्रभावी व्यक्ति होगा, उसे पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष के साथ बीजेपी के बैनर-पोस्टर पर जगह दी जाएगी. ऐसे लोगों का ग्रुप बना कर प्रधानमंत्री से सीधा ऑनलाइन संवाद कराया जाएगा.
रणनीति के तहत बीजेपी अब देशभर के हर हिस्से में अपनी जमीन बनाने में जुट गई है. बीजेपी अब देश के तमाम राज्यों, केंद्र-शासित प्रदेशों और उनके हर जिले में अपने खुद के ऑफिस बनाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बीजेपी ने आठ लोगों की एक राष्ट्रीय स्तर की कमेटी बनाई है. इस कमेटी को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले देश के हर राज्य और उनके हर जिले के लिए जमीन की रजिस्ट्री कराने का जिम्मा दे दिया है. यह तय किया गया है कि देशभर में बीजेपी के जो भी ऑफिस बनेंगे, उनकी रजिस्ट्री बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर होगी.