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मिशन 2024 : बीजेपी 204 कमजोर सीटों को जीतने के लिए बना रही है रणनीति 

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मिशन 2024 : बीजेपी 204 कमजोर सीटों को जीतने के लिए बना रही है रणनीति 

ऊपर से भले ही सबकुछ ठीक लगता हो, लेकिन भीतर से बीजेपी की परेशानी अगले लोकसभा चुनाव को लेकर बढ़ती जा रही है. खासकर भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस को मिल रहे समर्थन से बीजेपी कुछ ज्यादा ही परेशान है. बीजेपी को लगने लगा है कि अगला चुनाव काफी कड़े मुकाबले वाला होगा. क्योंकि उसे हराने के लिए विपक्ष की एकता अगर बन जाती है तो कई राज्यों में परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में बीजेपी ने उन सीटों की पहचान की है, जहां बीजेपी के हारने की ज्यादा सम्भावना है. बीजेपी ने ऐसी 204 सीटों की पहचान की है. इन सीटों को कैसे जीता जाए, इसको लेकर बीजेपी 28-29 दिसंबर को हैदराबाद में रणनीति तय करेगी.

हैदराबाद बैठक से पहले बिहार में 21-22 दिसंबर को एक अन्य बैठक में राज्य की 40 लोकसभा सीटों की समीक्षा होगी. यहां 40 में 22 सीट सामाजिक और जातीय समीकरण के लिहाज से कमजोर श्रेणी की मानी जा रही हैं. इसके अलावा दक्षिण के राज्यों से 84 सीट कमजोर मानी गई हैं. बीजेपी ने सीटों की 4 श्रेणियां बनाई है. सर्वोत्तम, अच्छा, सुधार योग्य और अत्यंत खराब. डी श्रेणी की सीट वह है, जहां बीजेपी की जीत की संभावना बहुत कम है, लेकिन इन सीटों पर नंबर दो की स्थिति बन सकती है.

पार्टी कमजोर सीटों का जातीय और सामाजिक समीकरण तैयार कर रही है. इन क्षेत्रों में जो भी प्रभावी व्यक्ति होगा, उसे पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष के साथ बीजेपी के बैनर-पोस्टर पर जगह दी जाएगी. ऐसे लोगों का ग्रुप बना कर प्रधानमंत्री से सीधा ऑनलाइन संवाद कराया जाएगा.

रणनीति के तहत बीजेपी अब देशभर के हर हिस्से में अपनी जमीन बनाने में जुट गई है. बीजेपी अब देश के तमाम राज्यों, केंद्र-शासित प्रदेशों और उनके हर जिले में अपने खुद के ऑफिस बनाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बीजेपी ने आठ लोगों की एक राष्ट्रीय स्तर की कमेटी बनाई है. इस कमेटी को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले देश के हर राज्य और उनके हर जिले के लिए जमीन की रजिस्ट्री कराने का जिम्मा दे दिया है. यह तय किया गया है कि देशभर में बीजेपी के जो भी ऑफिस बनेंगे, उनकी रजिस्ट्री बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर होगी.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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