Home चुनाव अपने पति दयाशंकर सिंह से प्रताड़ित होती है यूपी की मंत्री स्वाति सिंह !

अपने पति दयाशंकर सिंह से प्रताड़ित होती है यूपी की मंत्री स्वाति सिंह !

अपने पति दयाशंकर सिंह से प्रताड़ित होती है यूपी की मंत्री स्वाति सिंह !
योगी सरकार के सामने एक नयी मुसीबत सामने आयी है। यूपी चुनाव को लेकर जहां बीजेपी एक -एक सीट पर अपनी ताकत आजमा रही है और विपक्ष की  घेरेबंदी से बहार निकलने की कोशिश कर रही है वही लखनऊ की सरोजनी नगर की विधायक और सूबे की महिला विकास मंत्री स्वाति सिंह के घरेलु झगडे योगी सर्कार के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। एक तो स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह के बीच सरोजनीनगर सीट को लेकर आपस में ही खींचतान है तो दूसरी तरफ एक ऑडियो ने स्वाति और उनके पति के बीच के सम्बन्धो को तार -तार कर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है। विपक्ष अब सवाल उठा रहा है कि जब कोई मंत्री ही  अपने घर में हिंसा की शिकार है तब भला आम महिलाओं की हालत प्रदेश में क्या होगी ,सोंचने की बात है। हालांकि जो ऑडियो सामने आया है कि उसकी सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर सकते लेकिन जो बातें उस में दर्ज है उससे साफ़ पता चलता है कि मंत्री स्वाति सिंह अपने पति और बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह से प्रताड़ित होती है और अपनी दवंगई के बल वे दयाशंकर सिंह कई ऐसे काम करते हैं जो एक बाहुबली करता है। इस ऑडियो के सामने आने के बाद बीजेपी परेशान है और सरोजनी नगर सीट को लेकर पति -पत्नी के बीच तनाव की जो कहानी दबी जुबान से गढ़ी जा रही थी ,अब सच्चाई में परिवर्तित होती जा रही है।

अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या योगी सरकार की एक महिला मंत्री को उनके पति प्रताड़ित करते है? महिला बाल-विकास मंत्री स्वाति सिंह के ऑडियो से तो यही बात साबित हो रही है। यह बात अलग है कि यह ऑडियो कैसे सामने आया यह भी एक राजनीतिक खेल माना जा रहा है। माना जा रहा है कि स्वाति सिंह ने ही अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने और अपने पति की सरोजनी नगर से की जा रही दावेदारी को ख़त्म करने के लिए ही यह ऑडियो जारी करवाया है। इसमें सच्चाई जो भी हो लेकिन  इस ऑडियो में दो बातें बहुत साफ है कि एक तो उनके पति किसी अवस्थी के मकान पर जबरन कब्जा करते हैं, पुलिस भी उनकी मदद करती है। पीड़ित की सुनवाई नही होती और दूसरा सच यह है कि खुद मंत्री भी अपने पति के हाथों मजबूर हैं, वो उनके साथ मारपीट भी करते हैं।

इस ऑडियो में स्वाति कहती है कि उनके पति दयाशंकर सिंह उनके साथ मारपीट करते है। इतना ही नही वे उनसे किस कदर डरती हैं, इसका अंदाजा भी इस ऑडियो को सुन कर लगाया जाता है। स्वाति सिंह कहती है कि कि हमारी और आपकी बातचीत का पता दयाशंकर सिंह को नहीं चलना चाहिए। उन्हें पता चलेगा तो क्या होगा आप समझ सकते है। हालांकि मंत्री स्वाति सिंह पीड़ित को इंसाफ दिलाने की बात भी कह रही हैं।

स्वाति सिंह के मंत्री बनने से पहले ही दोनों के रिश्ते खराब थे। दयाशंकर के एक करीबी बताते हैं कि साल 2008 में स्वाति ने पति दयाशंकर के खिलाफ मारपीट की एफआईआर भी दर्ज कराई थी। हालांकि दोनों ने कभी इस झगड़े को सार्वजनिक मंच पर सामने नहीं आने दिया।

इससे पहले स्वाति सिंह पर भाभी के साथ मारपीट करने, बिना तलाक लिए भाई की दूसरी शादी कराने और भाभी को घर से निकालने का आरोप लगा था। स्वाति के खिलाफ मुकदमा उनके अपने सगे भाई की पत्नी आशा सिंह ने दर्ज कराया था। ये मामला करीब 11 साल पुराना है।

2017 विधानसभा चुनाव से पहले दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद बसपा कार्यकर्ताओं ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नेतृत्व में लखनऊ में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह और बेटी पर गलत कमेंट किए थे। इनके जवाब में स्वाति मैदान में आईं और महिला सम्मान के नाम पर मायावती सहित बसपा के 4 बड़े नेताओं के खिलाफ हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया।
मायावती के खिलाफ जिस तरह से स्वाति मुखर हुईं, उससे भाजपा को एक संजीवनी मिलती दिखी। इसी का नतीजा था कि जिस सीट पर बसपा की जीत पक्की मानी जा रही थी, वहां स्वाति ने बाजी पलटी और जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा ने स्वाति को मंत्री पद का तोहफा दिया।

     हालांकि स्वाति सिंह पर कई और आरोप लगे हैं। लेकिन जिस तरह से स्वाति की राजनीतिक हैशियत यूपी में बढ़ती जा रही है उससे शायद उनके पति नाराज माने जा रहे हैं। दयाशंकर सिंह को लग रहा है कि जब तक स्वाति सिंह राजनीति करेगी तब तक वे विधायक और मंत्री नहीं बन सकते। यही वजह है कि दयाशंकर सिंह इस बार किसी भी सूरत में सरोजनी नगर सीट अपने पाले में करना चाहते हैं। उधर स्वाति को अब राजनीति का स्वाद लग चूका है। देखना होगा कि इस खेल का बीजेपी पर क्या असर होता है और विपक्ष इसे कैसे भुनाता है।
Previous article प्रियंका का युवा दाव पलट सकता है यूपी का पासा
Next article यूपी की खातिर, भाजपा का विशेष प्लान
पिछले 30 वर्षों से मिशनरी पत्रकारिता करने वाले अखिलेश अखिल की पहचान प्रिंट, टीवी और न्यू मीडिया में एक खास चेहरा के रूप में है। अखिल की पहचान देश के एक बेहतरीन रिपोर्टर के रूप में रही है। इनकी कई रपटों से देश की सियासत में हलचल हुई तो कई नेताओं के ये कोपभाजन भी बने। सामाजिक और आर्थिक, राजनीतिक खबरों पर इनकी बेबाक कलम हमेशा धर्मांध और ठग राजनीति को परेशान करती रही है। अखिल बासी खबरों में रुचि नहीं रखते और सेक्युलर राजनीति के साथ ही मिशनरी पत्रकारिता ही इनका शगल है। कंटेंट इज बॉस के अखिल हमेशा पैरोकार रहे है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here