Sunday, December 22, 2024
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अफजाल अंसारी की सांसद सदस्यता खत्म, चार साल की सजा के बाद लोकसभा सचिवालय ने जारी किया सर्कुलर

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नई दिल्ली: गाजीपुर लोकसभा सीट से बीएसपी सांसद और माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है. अयोग्य घोषित किए जाने से संबंधित सर्कुलर लोकसभा सचिवालय ने जारी कर दिया है.

अफजाल अंसारी को आपराधिक मामले में 4 साल के लिए दोषी ठहराया गया है. इससे पहले गैंगस्टर केस में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी और उसके बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी को दोषी करार दिया था.

पिछले शनिवार यानी 29 अप्रैल को ही कोर्ट ने मुख्तार को 10 साल की सजा और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी, जबकि उनके बड़े भाई और बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी. साथ ही उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.

अफजाल अंसारी से पहले कांग्रेस नेता और वैनाङ से सांसद राहुल गांधी, सपा नेता और रामपुर सीट से सांसद आजम खान और उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला की भी सदस्यता सजा होने के बाद जा चुकी है. इसके अलावा बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की भी हाल ही में 2013 दंगों में दोषी करार दिए जाने के बाद सदस्यता खत्म कर दी गई थी.

बता दें कि बीजेपी विधायक और माफिया कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज केस के आधार पर अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का केस दर्ज हुआ था. वहीं, मुख्तार अंसारी के खिलाफ बीजेपी विधायक और माफिया कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

हर किसी ने मुसलमानों का सौदा किया, समाज की स्थिति पर शोध रिपोर्ट के विमोचन पर बोले पत्रकार आशुतोष

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नई दिल्ली: मुस्लिम समाज के नेताओं ने पार्टियों के हाथों मुस्लिम कौम का सौदा किया है, और इसके लिए खुद कौम के लोग ही जिम्मेदार हैं. यह बात वरिष्ठ पत्रकार और सत्य हिंदी डाॅट काॅम के फाउंडर आशुतोष ने इंस्टीट्यूट ऑफ पाॅलिसी एण्ड एडवोकेसी की रिपोर्ट *”मुस्लिम्स ऑफ देहली: ए स्टडी ऑन देयर सोशियो-इकोनोमिक एण्ड पोलिटिकल स्टेटस” के विमोचन के मौक़े पर कही. उन्होंने शोध रिपोर्ट की तारीफ करते हुए मुस्लिम कौम को सुझाव देते हुए कहा कि अब मुसलमानों को अपनी तरक़्क़ी के लिए सरकार से आस लगाने के बजाए समाज को संजीदा होने और ख़ुद से पहल करने की ज़रूरत है.

बता दें कि इस रिपोर्ट में दिल्ली के मुसलमानों के विकास के संदर्भ में अल्पसंख्यक योजनाओं, रोज़गार, स्वास्थ, शिक्षा, रहन-सहन की स्थिति और राजनीतिक प्रभाव के लिए उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है जो जनगणना, एनएसएसओ राउंड, राष्ट्रीय स्वस्थ्य और परिवार सर्वे और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण सहित कई प्रामाणिक स्रोतों पर आधारित है. प्राथमिक डेटा स्रोत के रूप में एमसीडी के मुस्लिम बहुल वार्डों से आम सोच पर भी खुल कर बात की गई. यह डेटा दिल्ली में कांग्रेस से ‘आप’ के नेतृत्व वाली सरकार में राजनीतिक परिवर्तन की अवधि के साथ मेल खाता है और इस से वो एक नए शासन के तहत इस समुदाय की प्रगति के बारे में एक मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं.

अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग / अल्पसंख्यक विभाग के विकास के लिए समग्र राज्य बजट में वित्तीय हिस्सा, जो सीधे मुसलमानों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की 83% आबादी की देखभाल करता है, 2013 में 0.98% से कम हो कर 2015 के बाद से लगभग 0.60% रह गया है, हालांकि वास्तविक राशि में समग्र राज्य बजट के साथ-साथ इस मद में भी पिछले वर्षों में आंशिक रूप से वृद्धि हुई है. राज्य में कमजोर वर्गों के लिए सार्वजनिक प्रावधान में स्थिरता दिखाने वाली एकमात्र योजना आरटीई के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए वित्तीय सहायता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग, दिल्ली वक्फ बोर्ड, एनएमएफडीसी, उर्दू अकादमी आदि जैसी स्वायत्त एजेंसियां अपने वांछित स्तर पर काम नहीं कर रही हैं.

राज्य के शिक्षा विभाग की विशेष उपलब्धियों के प्रचार के बीच दिल्ली के मुसलमानों का शैक्षिक प्रदर्शन किसी भी आशाजनक स्थिति को प्रकट नहीं करता है, हालांकि उनकी साक्षरता दर कई अन्य राज्यों की तुलना में कुछ बेहतर है. निरक्षरों के मामले में मुस्लिम पुरुषों (15%) और महिलाओं (30%) के बीच एक बड़ा लैंगिक अंतर है, जो राष्ट्रीय औसत के विपरीत है. मुस्लिम इलाकों में सरकारी शिक्षण संस्थानों के वितरण में वर्तमान सरकार के तहत भी सुधार नहीं हुआ है, जैसा कि इस तथ्य से पता चलता है कि राज्य सरकार और एमसीडी द्वारा संचालित मुस्लिम बहुल वार्डों में प्रति वार्ड औसतन 4 स्कूल हैं, जबकि सभी वार्डों में यह संख्या 10 है.

राष्ट्रीय राजधानी में 8.6 की तुलना में मुसलमानों के लिए बेरोजगारी दर 11.8% दर्ज की गई है और वो आमतौर पर कम वेतन वाली नौकरियों और व्यावसायिक गतिविधियों में पाये गये. जबकि दिल्ली में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 2015 में 37 से बढ़कर 2020 में 54 हो गई है और राज्य में अच्छी स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के दावों के बावजूद यह एक चिंता करने वाली स्थिति है. मुसलमान इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि ग़ैर – संस्थागत जचगी के मामले में यह सर्वे दिल्ली के आंकड़े 8.2% की तुलना में उनके लिए यह सबसे अधिक,13.7% है.

रहन-सहन की स्थिति के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के कुल निवासियों के 76.3% के विपरीत केवल 69.70% मुस्लिम पाइप से पीने के पानी का उपयोग करते हैं. अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली में मुसलमानों की गंभीर स्थिति के प्रमुख कारणों में से एक यह है कि निर्णय लेने वाली संस्थाओं में उनका अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है. जैसे कि दिल्ली में मुस्लिम विधायकों की संख्या 5.5% के आसपास स्थिर है, जो राज्य में उनकी आबादी का लगभग एक-तिहाई है. एमसीडी में उनका प्रतिनिधित्व और भी कम है.

रिपोर्ट में मांग की गई है कि मुसलमानों सहित दिल्ली के सभी कमजोर वर्गों के तेजी से विकास के लिए राजकोषीय समर्थन में वृद्धि, योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन, उनके प्रति लोक सेवकों का सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण पैदा करने और हर स्तर पर निर्णय लेने वाले निकायों में उनकी उपस्थिति में वृद्धि हो.

याद रहे कि “दिल्ली के मुसलमान: उनकी सामाजिक – आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर एक अध्ययन” के शीर्षक से एक रिपोर्ट दिल्ली स्थित थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी स्टडीज एंड एडवोकेसी (IPSA) और इंडियन मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम (IMIF) ने संयुक्त रूप से रविवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में जारी की गई.

समारोह की अध्यक्षता प्रो. ख़्वाजा मुहम्मद शाहिद, पूर्व पीवीसी एमएएनयूयू हैदराबाद ने की, जबकि सत्यहिंदी डॉटकॉम के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष, नयूज़क्लिक से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, सीनियर जर्नलिस्ट और रक्षा विशेषज्ञ क़मर आग़ा, शाह टाइम्स से जुड़े पत्रकार युसुफ अंसारी, पत्रकार मुज़फ़्फ़र हुसैन ग़ज़ाली वग़ैरह ने रिपोर्ट पर अपने विचार रखे और रिपोर्ट की जमकर प्रशंसा की.

इंस्टीट्यूट ऑफ पाॅलिसी एण्ड एडवोकेसी थिंक टैंक के संयोजक डा. जावेद आलम ख़ान, थिंक टैंक के सदस्य डा. ख़ालिद खान और समाजसेवी कलीमुल हफीज़ ने रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताया.

समारोह में जमाते इस्लामी हिंद तालीमी बोर्ड के चेयरमैन मुजतबा फारूक, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. कासिम रसूल इलियास, जमाते इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुहम्मद सलीम इंजीनियर और इंडो मिडिल ईस्ट कोलेब्रेटिव फोरम के महासचिव और फ़्री जर्नल मीडिया नेटवर्क के संपादक अंज़रूल बारी समेत बड़ी संख्या में पत्रकार, शिक्षाविद और बुद्धिजीवी मौजूद रहे. प्रोग्राम का संचालन वतन समाचार के संपादक मोहम्मद अहमद ने किया.

सैय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी जमाते इस्लामी हिंद के फिर चुने गए राष्ट्रीय अध्यक्ष

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जमाते इस्लामी हिंद की 162 सदस्यीय सर्वोच्च कमेटी मजलिसे नुमाइंदगन की दिल्ली में चल रही है बैठक.

सैय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी को जमाते इस्लामी हिंद का राष्ट्रीय अध्यक्ष फिर से चुन लिया गया है. उन्हें जमाते इस्लामी हिंद की 162 सदस्यीय सर्वोच्च कमेटी मजलिसे नुमाइंदगान द्वारा अप्रैल 2023 से मार्च 2027 के नए कार्यकाल के लिए चुना गया है.

दिल्ली में 26 अप्रैल से मजलिसे नुमाइंदगान की बैठक चल रही है, जो 30 अप्रैल तक चलेगी. आज बैठक का चौथा दिन है. खबर के मुताबिक, सर्वोच्च कमेटी के सदस्यों ने कई अन्य नामों पर चर्चा के बाद यह फैसला लिया है. इस बार प्रतिनिधि सभा में 36 महिलाऐं भी हिस्सा ले रही हैं.

बता दें कि सैय्यद सादतुल्लाह हुसैनी का जन्म 7 जून 1973 को महाराष्ट्र के जिला नांदेड़ में हुआ था. उन्होंने नांदेड़ में अपनी पढ़ाई पूरी की, जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की. अध्यक्ष बनाए जाने से पहले वो 2015 से 2019 तक संगठन में बतौर उपाध्यक्ष और जमाते इस्लामी हिंद की केंद्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं.

सैय्यद सादतुल्लाह हुसैनी को 7 अप्रैल, 2019 को पहली बार संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. इससे पहले वह जमाते इस्लामी हिंद की छात्र इकाई स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाइजेशन (SIO) के (1999-2003) में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सआदतुल्ला हुसैनी जमाते इस्लामी हिंद की सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी “मजलिस शूरा” के सबसे कम उम्र सदस्य भी रहे हैं.

इस वर्ष 16 अप्रैल को जमाते इस्लामी हिंद ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष भी पूरे कर लिए हैं, जिसे जमात ने “संघर्ष के 75 वर्ष” का नाम दिया.

बता दें कि जमाते इस्लामी हिंद की स्थापना 16 अप्रैल, 1948 को इलाहाबाद में हुई थी. जमात-ए-इस्लामी हिंद देश के 22 राज्यों में काम कर रही है. केडरबेस इस संगठन के देश भर में करीब 14,000 सदस्य हैं, जबकि देश भर में जमात से जुड़े लोगों की संख्या 7 लाख से भी अधिक है.

मशहूर मिस्री कारी शेख अब्दुल्ला कामिल नमाज़ की इमामत दौरान ही इंतकाल (मृत्यु) कर गए

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मिस्र के मशहूर कारी शेख अब्दुल्ला कामिल का 37 वर्ष की उम्र में अमेरिका में नमाज़ की इमामत के दौरान निधन हो गया.

विदेशी मीडिया के मुताबिक, मृतक कारी शेख अब्दुल्ला कामिल के करीबियों ने बताया कि कारी अब्दुल्ला बुधवार को न्यूजर्सी में स्थित अल-तौहीद मस्जिद में नमाज़ की इमामत कर रहे थे, इसी दौरान उनकी मौत हो गई.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कारी शेख अब्दुल्ला कामिल ने बहुत ही कम उम्र में ही कुरान हिफ्ज़ कर लिया था और बेहद खूबसूरत आवाज में इसे पढ़ने के लिए वो दुनियाभर में मशहूर थे.खास बात यह है कि स्वर्गीय कारी शेख अब्दुल्ला कामिल बचपन से ही (नाबीना) अंधे थे.

 

सोशल मीडिया पर उनके अचानक मौत की खबर पर बड़े पैमाने पर शोक व्यक्त किया जा रहा है और अल्लाह से उनके जन्नत में ऊंचे ओहदे की दुआ की जा रही है.

‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह गिरफ़्तार, असम के डिब्रूगढ़ जेल के हुए रवाना 

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पिछले 18 मार्च से फरार चल रहे ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने भिंडरावाले के जिले मोगा के एक गृदुवारे से गिरफ़्तार कर लिया है. गिरफ्तारी के बाद अब पंजाब पुलिस उन्हें स्पेशल प्लेन से असम के डिब्रूगढ़ जेल लेकर रवाना हो गई है. जहां उनके कई और साथियों को भी गिरफ्तारी के बाद से रखा गया है.

इससे पहले पंजाब पुलिस ने ट्वीट कर बताया, ”अमृतपाल सिंह को पंजाब के मोगा से गिरफ्तार किया गया है.” पंजाब पुलिस ने नागरिकों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की भी अपील की है. साथ ही लोगों से कहा है कि वो कोई भी फर्जी ख़बर साझा न करें और साझा करने से पहले ख़बरों को सत्यापित कर लें.

खबरों के मुताबिक अमृतपाल सिंह को मोगा के रोडे गांव से गिरफ़्तार किया गया है. खास बात ये है कि जरनैल सिंह भिंडरांवाले भी इसी गांव के रहने वाले थे. इसी गांव में उन्हें ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनाया गया था.

गिरफ़्तारी से पहले अमृतपाल सिंह ने गुरुद्वारे के ग्रंथी से पांच ककार (केश, कृपाण, कंघा, कड़ा और कच्छा) लेकर पहने और लोगों को संबोधित किया. खुद को फंसाए जाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि उनके ऊपर झूठे केस दर्ज किए गए. संबोधन पूरा होने के बाद पंजाब पुलिस ने उन्हें गुरुद्वारे के बाहर से गिरफ़्तार कर लिया.

अमृतपाल सिंह के ख़िलाफ़ भी एनएसए सहित 16 मामले दर्ज हैं. उनपर और उनके साथियों पर समाज में शत्रुता फैलाने, हत्या का प्रयास करने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने और सरकारी कर्मियों के काम करने में बाधा डालने जैसे करीब डेढ़ दर्जन मामले दर्ज हैं.

गुजरात दंगे : नरोडा गाम नरसंहार मामले में बीजेपी नेता माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपी बरी

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साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान नरोडा गांव में हुए नरसंहार मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. दरअसल 28 फरवरी को नरोडा गाम इलाके में सांप्रदायिक नरसंहार में 11 लोग मारे गए थे. इस मामले में 86 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. हालांकि, 86 में से अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है.

अहमदाबाद की विशेष अदालत में इस मामले पर सुनवाई चल रही थी. गौरतलब है कि इस मामले में बीजेपी की नेता और राज्य सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी आरोपी थे.

याद रहे कि इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी, साथ ही कई अन्य घायल हो गए थे. गृह मंत्री अमित शाह 2017 में अपने पूर्व मंत्री माया कोडनानी के बचाव पक्ष की ओर से बतौर गवाह पेश हुए थे. बरी किए गए लोगों के वकील ने अदालत के बाहर कहा कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. हम फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं.

इस मामले के आरोपियों में बीजेपी की पूर्व विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत कुल 86 आरोपी थे, लेकिन उनमें से 18 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई.

याद रहे कि गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोडा गाम इलाके में भड़के दंगों के दौरान 11 लोगों का नरसंहार कर दिया गया था.

सऊदी अरब समेत खाड़ी देशों में देखा गया शव्वाल का चांद, शुक्रवार को मनाया जाएगा ईद का त्योहार

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सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समेत खाड़ी के कई देशों में शव्वाल का चांद देखा जा चुका है, जिसके बाद शुक्रवार, 21 अप्रैल को दुनिया के कई देशों में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा.

अरब मीडिया के मुताबिक, सऊदी रॉयल दीवान ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की घोषणा के अनुसार शव्वाल महीने का चांद दिख गया है.

 

सऊदी रॉयल दीवान के अनुसार, ईद-उल-फितर का त्योहार देश में शुक्रवार, 21 अप्रैल को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा.

अरब मीडिया के मुताबिक 21 अप्रैल शुक्रवार को संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बहरैन, कुवैत और कतर में भी ईद-उल-फितर मनाई जाएगी.

वहीं, दूसरी ओर शव्वाल का चांद दुनिया के कई देशों में नहीं देखा गया. जिसके बाद भारत, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया में होगी. गल्फ न्यूज के मुताबिक ईद-उल-फितर 22 अप्रैल को ब्रुनेई, चापान, फिलीपींस और थाईलैंड में भी मनाया जाएगा.

ऑस्ट्रेलियन इमाम काउंसिल का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में ईद-उल-फितर 22 अप्रैल शनिवार को मनाई जाएगी. इसी तरह मलेशियाई सरकार का भी कहना है कि मलेशिया में शव्वाल का चांद नहीं देखा गया है, ईद-उल-फितर 22 अप्रैल शनिवार को होगी.

अहले सुन्नत सेंट्रल रॉयट हिलाल बोर्ड यूके के मुताबिक, ईद-उल-फितर कल यूके और यूरोप में मनाई जाएगी.

एपीसीआर ने बिहार के दो जिलों में रामनवमी हिंसा पर अपनी तथ्यान्वेषी रिपोर्ट जारी की

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सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने का रामनवमी का काला और लंबा इतिहास रहा है. इस साल, बिहार शरीफ और सासाराम में रामनवमी के जुलूसों के दौरान सबसे खराब हिंसा देखी गई, क्योंकि भीड़ ने मुसलमानों की संपत्तियों पर हमला किया और उनके घरों को आग लगा दी.

30 अप्रैल, 2023 को शोभा यात्रा का जुलूस बिना किसी गंभीर हिंसा के गुजर गया. हालाँकि, 31 अप्रैल, 2023 को स्थिति भयावह हो गई, क्योंकि भीड़ ने तलवारें लहराईं और अश्लील सांप्रदायिक गाने बजाए, शुक्रवार की नमाज़ के दौरान मुस्लिम समुदाय को भड़काया. हिंसा तब और तेज हो गई जब भीड़ ने 100 साल पुराने अजीजिया मदरसा में आग लगा दी, जिससे 4500 किताबें नष्ट हो गईं. स्थानीय दुकानों और विक्रेताओं को भी महत्वपूर्ण संपत्ति का नुकसान हुआ. अकेले बिहार शरीफ में अनुमान है कि शोभा यात्रा में 60,000 लोगों ने भाग लिया और चश्मदीदों ने यह भी आरोप लगाया है कि गगन दीवान पेट्रोल पंप के पास हिंसा के कुछ दिन पहले सीसीटीवी कैमरे हटा दिए गए थे.

मामले की जांच करने के लिए एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स फैक्ट फाइंडिंग टीम, जिसमें मोहम्मद मोबशशिर अनीक एडवोकेट, प्रशांत टंडन सीनियर जर्नलिस्ट, सैफुल इस्लाम एडवोकेट, गुलरेज अंजुम सोशल एक्टिविस्ट, नसीकुज जमान एडवोकेट, मोहम्मद जाहिद सोशल एक्टिविस्ट और अकबर शामिल हैं. प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और उन परिवारों की गवाही दर्ज की जिन्हें चोटें लगीं और उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ. तथ्य-खोज ने राज्य की पूरी विफलता का खुलासा किया और कैसे बजरंग दल के सदस्यों ने पुलिस की उपस्थिति में अपने झंडे फहराए, जिन्होंने उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया. अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने टीम को बताया कि हिंसा शुरू होने के पांच से छह घंटे बाद पुलिस पहुंची और रामनवमी से कुछ दिन पहले एक शांति बैठक के बावजूद, प्रशासन सहमत निर्देशों का पालन करने में विफल रहा.

रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं, जिसमें राज्य सरकार से हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने का आग्रह किया गया है, जिन्होंने अपनी आजीविका और आश्रय खो दिया है और जिन पर बजरंग दल के गुंडों ने गंभीर हमला किया है.

इस अवसर पर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने कहा कि बिहार में रामनवमी के दौरान हाल की हिंसा, विशेष रूप से बिहार शरीफ और सासाराम में, पूर्व नियोजित और समवर्ती थी. उन्होंने उल्लेख किया कि 2018 में भी इसी तरह की हिंसा हुई थी, लेकिन शांति समिति के निर्देशों का पालन करते हुए इन सभी वर्षों में इसे नियंत्रित किया गया था, जैसे उत्तेजक गीतों और हथियारों से परहेज करना, जिसे प्रशासन द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन इस वर्ष प्रशासनिक प्रबंधन में गंभीर खामियां देखने को मिली.

एडवोकेट मोबशशिर अनीक ने 2018 की एक रिपोर्ट की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा, कि 2023 में, शांति समिति के निर्देशों के जमीनी कार्यान्वयन में कमी थी. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंसा ने महत्वपूर्ण नुकसान पहुँचाया है, और स्थानीय राजनेताओं की चुप्पी और पुलिस की पक्षपाती कार्रवाई निंदनीय है.

इस दौरान पत्रकार भाषा सिंह ने फर्जी खबरों का मुकाबला करने के लिए फैक्ट फाइंडिंग के महत्व पर जोर दिया और राजनेताओं सहित जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए हिंसा की सुनियोजित प्रकृति पर प्रकाश डाला. उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए त्योहारों के उपयोग और बेरोजगार युवाओं में संभावित कट्टरता का भी उल्लेख किया.

सामाजिक कार्यकर्ता जॉन दयाल ने इस्लामोफोबिया के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह एक टिक-टिक करने वाला टाइम बम है जो देश को नष्ट कर रहा है. उन्होंने इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाले स्कूलों और समुदायों के उदाहरणों और हिंसा का मुकाबला करने के लिए धर्मनिरपेक्षता और राजनीतिक कार्रवाई की आवश्यकता का उल्लेख किया. उन्होंने समुदाय विशेष को नफरत से दूर करने के महत्व पर भी बल दिया.

सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने बिहार में रामनवमी के जुलूसों को मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किये जाने का आरोप लगाया. जिसमें मुस्लिम घरों और व्यवसायों को नष्ट करने का एक पैटर्न दिखाया गया है. पुलिस को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और हिंदू समुदाय को अपने बच्चों को ऐसी हिंसा में भाग लेने से रोकने के लिए पहल करनी चाहिए.

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश जी ने कहा कि जब त्योहारों, खासकर रामनवमी के जुलूसों के दौरान हिंसा की बात आती है तो बिहार अपवाद नहीं है. प्रशासन के प्रयासों की कमी और राजनीतिक ध्रुवीकरण समस्या में योगदान करते हैं. हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है और खुलेआम खरीदा जाता है. फिर भी ऐसी हिंसा को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन इसके लिए बेहतर राजनीतिक दल के प्रयासों की आवश्यकता है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि निजी रिपोर्टों का तत्काल प्रभाव नहीं हो सकता है, लेकिन वो दीर्घकालिक परिवर्तन में योगदान करते हैं. स्मृति और शक्तिशाली जो हमें याद नहीं रखना चाहते हैं, उनके खिलाफ संघर्ष जारी है. उम्मीद और आजादी हासिल करने के लिए न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में बदलाव की जरूरत है.

सभी वक्ताओं ने सर्वसम्मति से बिहार में रामनवमी के दौरान पूर्व नियोजित हिंसा, निर्देशों के कार्यान्वयन में कमी, इस्लामोफोबिया के मुद्दे और हिंसा को संबोधित करने और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए फैक्ट फाइंडिंग और राजनीतिक कार्रवाई की आवश्यकता पर चिंता व्यक्त की.

पाक विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो आएंगे भारत, नवाज शरीफ के बाद किसी पाक नेता का पहला दौरा

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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो 4 और 5 मई को गोवा में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. बिलावल की यह यात्रा अगले महीने की शुरूआत में होगी. 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बाद यह किसी सत्तारूढ़ पाकिस्तानी नेता की पहली भारत यात्रा होगी. बिलावल भुट्टो अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के निमंत्रण पर भारत आ रहे हैं.

साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान प्रवक्ता ने कहा कि हमारी भारत यात्रा की तैयारी चल रही है, हम भारत यात्रा पर मीडिया की भागीदारी की भी कोशिश करेंगे.

विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि सदस्य आपदा प्राधिकरण आज एससीओ देशों की बैठक में वर्चुअली भाग ले रहे हैं, जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने दिल्ली में वर्चुअल बैठक में भाग लिया.

प्रवक्ता ने बताया कि डीजी राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण ने दिल्ली में एससीओ की बैठक में वर्चुअली हिस्सा लिया.

याद रहे कि बिलावल भुट्टो ने पिछले साल दिसंबर में पीएम मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी. जिसपर भारत सरकार ने सख्त एतराज़ जताया था.

गौरतलब बात यह है कि इस आर्गनाइजेशन में चीन, रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान शामिल थे, बाद में इसमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हो गए.

मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मिले शरद पवार, विपक्षी एकता को बनाए रखने पर हुई बात

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से उनके आवास पर गुरुवार रात मुलाकात की. इस दौरान पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुलाकात को लेकर कहा कि हमे बड़ी खुशी है की शरद पवार साहब हमसे मिलने दिल्ली आए और हमे अपना मार्गदर्शन दिया. लोकतंत्र बचाने के लिए हम एक होकर लड़ेंगे. विपक्षी एकता को बरकरार रखते हुए देश में घट रही घटनाओं का डट कर मुकाबला करेंगे, और एक होकर लड़ने के लिए हम सब तैयार है, हम एक होकर साथ साथ आगे चलेंगे. हम मिलकर देश के लिए काम करेंगे.

जानकारी के मुताबिक, बैठक में विपक्षी एकता को लेकर चर्चा हुई. नेताओं ने अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी को चुनौती देने के लिए रणनीति बनाने पर बात की.

शरद पवार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से यह बैठक ऐसे वक्त कर रहे है, जब उनके हालिया बयान, कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे थे और शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी.

गौरतलब है कि जदयू नेता नीतीश कुमार ने बुधवार के दिन तेजस्वी यादव के साथ मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. इस दौरान हुई बैठक में वन सीट वन कैंडिडेट का फार्मूला रखा गया है.