Friday, March 29, 2024
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सैय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी जमाते इस्लामी हिंद के फिर चुने गए राष्ट्रीय अध्यक्ष

जमाते इस्लामी हिंद की 162 सदस्यीय सर्वोच्च कमेटी मजलिसे नुमाइंदगन की दिल्ली में चल रही है बैठक.

सैय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी को जमाते इस्लामी हिंद का राष्ट्रीय अध्यक्ष फिर से चुन लिया गया है. उन्हें जमाते इस्लामी हिंद की 162 सदस्यीय सर्वोच्च कमेटी मजलिसे नुमाइंदगान द्वारा अप्रैल 2023 से मार्च 2027 के नए कार्यकाल के लिए चुना गया है.

दिल्ली में 26 अप्रैल से मजलिसे नुमाइंदगान की बैठक चल रही है, जो 30 अप्रैल तक चलेगी. आज बैठक का चौथा दिन है. खबर के मुताबिक, सर्वोच्च कमेटी के सदस्यों ने कई अन्य नामों पर चर्चा के बाद यह फैसला लिया है. इस बार प्रतिनिधि सभा में 36 महिलाऐं भी हिस्सा ले रही हैं.

बता दें कि सैय्यद सादतुल्लाह हुसैनी का जन्म 7 जून 1973 को महाराष्ट्र के जिला नांदेड़ में हुआ था. उन्होंने नांदेड़ में अपनी पढ़ाई पूरी की, जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की. अध्यक्ष बनाए जाने से पहले वो 2015 से 2019 तक संगठन में बतौर उपाध्यक्ष और जमाते इस्लामी हिंद की केंद्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं.

सैय्यद सादतुल्लाह हुसैनी को 7 अप्रैल, 2019 को पहली बार संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. इससे पहले वह जमाते इस्लामी हिंद की छात्र इकाई स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाइजेशन (SIO) के (1999-2003) में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सआदतुल्ला हुसैनी जमाते इस्लामी हिंद की सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी “मजलिस शूरा” के सबसे कम उम्र सदस्य भी रहे हैं.

इस वर्ष 16 अप्रैल को जमाते इस्लामी हिंद ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष भी पूरे कर लिए हैं, जिसे जमात ने “संघर्ष के 75 वर्ष” का नाम दिया.

बता दें कि जमाते इस्लामी हिंद की स्थापना 16 अप्रैल, 1948 को इलाहाबाद में हुई थी. जमात-ए-इस्लामी हिंद देश के 22 राज्यों में काम कर रही है. केडरबेस इस संगठन के देश भर में करीब 14,000 सदस्य हैं, जबकि देश भर में जमात से जुड़े लोगों की संख्या 7 लाख से भी अधिक है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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