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45 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए हज करने के लिए महरम अनिवार्य है

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45 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए हज करने के लिए महरम अनिवार्य है

 

सऊदी अरब के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने इस साल हज पर आने वाली महिलाओं को लेकर एक नया आदेश जारी किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब ने अपने नए आदेश में हज के लिए आने वाली महिलाओं के लिए महरम कानून को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है.

सऊदी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण द्वारा जारी एक नए आदेश ने महरम को 45 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए हज करना अनिवार्य कर दिया है. आदेश का पालन ना करने की सूरत में 45 वर्ष से कम आयु की महिलाओं को तत्काल निर्वासित कर दिया जाएगा जो बिना महरम के सऊदी अरब पहुंचती हैं.

नए यात्रा दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वाली एयरलाइंस को भी गंभीर दंड का सामना करना पड़ेगा. सऊदी अरब के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने दुनिया भर की एयरलाइंस को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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