Friday, April 26, 2024
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लोकतंत्र का नर्तन : जब गुजरात चुनाव में आमने सामने होंगे मोदी और नीतीश

अखिलेश अखिल

कौन किस पर भारी और किसके पास ज्यादा जानकारी है के साथ ही कौन है खिलाड़ी, इसका निर्णय तो जनता ही कर सकती है. जब चुनावी महफिल में एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी अपने गुजरात को बचाने का दाव पेंच करते दिखेंगे तो दूसरी तरफ इनके नए धुर विरोधी बने नीतीश कुमार के चुनावी तरकश से निकले तीर भी कम मनोरंजक नही होंगे.

खबर है कि नीतीश कुमार गुजरात चुनाव में शिरकत करेंगे. संभवतः इनकी पार्टी जेडीयू भी चुनाव लडेगी. खबर ये भी है कि गुजरात की भारतीय ट्राइबल पार्टी ने जेडीयू के साथ गठबंधन किया है. खबर ये भी है कि गुजरात में दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर जेडीयू लडेगी और पार्टी के दो वरिष्ठ नेता कैसी त्यागी और ललन सिंह बड़े सधे अंदाज में चुनावी रणनीति भी तैयार कर रहे हैं.

लंबे समय तक बीजेपी और जेडीयू बिहार में सरकार चलती रही लेकिन अब दोनो जुदा है. नीतीश आरजेडी के साथ सरकार चला रहे हैं. लेकिन निशाने पर मोदी है. नीतीश कुमार हर हाल में 2024 के चुनाव में बदलाव की बात करते है और कह चुके है कि जो 2014 में आए थे अब 2024 में नही आयेंगे. नीतीश का यह बयान कोई मामूली नही है. बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह नीतीश कुमार के बयान से आज भी घायल हैं.

दो दिन पहले बीटीपी नेता छोटू बसावा ने यह जानकारी दी कि उनका गठबंधन जेडीयू के साथ हुआ है. बसावा की पार्टी की आदिवासी इलाकों में काफी पकड़ है. और गुजरात के आदिवासी बसावा को अपना नेता भी मानते है. गुजरात में पिछले चुनाव में बीटीपी को दो सीटें हासिल हुई थी. एक सीट पर खुद बसावा चुनाव जीते थे. जबकि दूसरी सीट पर इनका लड़का महेश बसावा ने जीत हासिल को थी.

यह भी बता दें कि बसावा मूलतः समाजवादी विचारधारा से आते हैं. और करीब दो दशक तक वो जदयू के साथ जुड़े रहे हैं. जेडीयू गुजरात इकाई की जिम्मेदारी वही संभालते रहे हैं. लेकिन जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ खड़े हो गए तो बसावा ने जेडीयू छोड़ दिया और अपनी पार्टी बीटीपी का गठन कर लिया. अब गुजरात की राजनीति में बसावा की अपनी भूमिका है और बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत चेहरा भी.

गुजरात में अगले महीने चुनाव है. और पिछले 27 साल से वहां बीजेपी की सरकार है. कहने के लिए केंद्र सरकार दिल्ली से चलती है, मगर केंद्र सरकार का असली खाद पानी गुजरात से ही मिलता है. कह सकते हैं कि अगर गुजरात में बीजेपी से सत्ता छीन ली जाय तो गुजरात मॉडल खत्म हो जाएगा और फिर मोदी और शाह की राजनीति भी कुंद हो जायेगी. यह बात और है कि बीजेपी को हराने के लिए ‘आप’ जैसी पार्टी भी खूब मेहनत कर रही है, लेकिन इसकी संभावना ज्यादा है कि ‘आप’ सरकार तो नही बना सकती लेकिन वह कांग्रेस को कमजोर कर बीजेपी का रास्ता सुगम जरूर कर देगी.

मौजूदा राजनीति में बीजेपी यही चाहती भी है. बीजेपी की चाहत है कि खेल चाहे जो भी हो, बीजेपी की सत्ता बनी रही. लेकिन गुजरात में बन रही त्रिकोणात्मक राजनीति से बसावा काफी डरे हुए हैं. बसावा का एक मात्र लक्ष्य है बीजेपी को गुजरात से सफाया करने का है. लेकिन सच यही है कि उसके पास इतनी ताकत नहीं है और न ही उनके पास बड़े नेताओं की कोई फौज है.

बसावा को उम्मीद है कि नीतीश ही मोदी को जबाव दे सकते हैं. पिछड़ों की राजनीति में नीतीश के सामने मोदी कही टिकते नही. जिस पटेल, कुर्मी की राजनीति के सहारे मोदी गुजरात में शासन करते रहे हैं, नीतीश उसे कुंद कर सकते हैं. नीतीश कुमार बिहार के जिस समाज और जाति से आते है. गुजरात में वही समाज सरकार बनाने और गिराने का काम करती है.

भारतीय ट्राइबल पार्टी का नेतृत्व करने वाले नेता छोटू वसावा ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुजरात में प्रचार करेंगे. यहां ये भी बता दें कि गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए पांच दिसंबर को मतदान होना है. हालांकि अभी तक ये बात सामने नहीं आयी है कि चुनाव में जदयू कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

बता दें कि बीटीपी ने 12 विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा पिछले दिनों की है. इस सूची में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नौ सीटें शामिल हैं. सितंबर के महीने में, बीटीपी ने केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ अपना चार महीने पुराना चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ दिया था. बीटीपी की ओर से यह आरोप लगाया गया था कि बीजेपी ने केजरीवाल को बीटीपी को हराने के लिए भेजा है.

गुजरात चुनाव में अगर जेडीयू उम्मीदवार उतारती है तो खेल दिलचस्प होना तय है. बीजेपी और मोदी, शाह जिस हिंदुत्व की राजनीति के नाम पर राजनीति करते आए है संभव है कि नीतीश कुमार उसकी पोल खोल दें. दलित और पिछड़ों की राजनीति में भी मोदी से नीतीश काफी आगे रहे हैं. अपने चुनाव में जिस मंडल की राजनीति का लाभ लेकर वो कमंडल की राजनीति करते है, उसकी कलई नीतीश खोल सकते हैं. यह बात और है कि जेडीयू भले ही गुजरात में कुछ न कर पाए, लेकिन मोदी की राजनीति तार तार हो सकती है. अब देखना ये है कि नीतीश कुमार अभी से ही मोदी के खिलाफ लड़ेंगे या फिर जातीय जन गणना के बाद अगले लोक सभा चुनाव में मोदी पर अटैक करेंगे.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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