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– यूसुफ़ अंसारी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मणिपुर के थौबल से “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” की शुरुआत कर दी है. मकर संक्रांति के दिन इस यात्रा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस ने पूरा दम दिखाया. मणिपुर में राहुल गांधी और उनकी यात्रा को लेकर खासा उत्साह दिखा. रैली के लिए खासतौर पर बनाए गए रैली स्थल ‘न्याय मैदान’ में मणिपुर के लोग कई घंटे राहुल गांधी के इंतजार में बैठे रहे. इनमें महिलाओं की तादाद ज्यादा थी. स्थानीय लोगों में कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रति काफी हमदर्दी दिखी. मीडिया से बातचीत के दौरान स्थानीय लोगों ने मणिपुर से अपनी यात्रा शुरू करने के लिए राहुल गांधी की तारीफ की.

*कांग्रेस ने झोंकी की पूरी ताक़त*

राहुल गांधी की “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” को कामयाब बनाने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी. दिल्ली से इंडिगो की एक पूरी फ्लाइट बुक करके करीब 200 नेता एक साथ मणिपुर पहुंचे. इनमें कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य, महासचिव, प्रवक्ता, तीन राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ सभी राज्यों प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता शामिल थे. अपने तमाम नेताओं को मणिपुर में एक मंच पर बैठकर कांग्रेस ने यहां के स्थानीय लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पूरी कांग्रेस दुख की इस घड़ी में उनके साथ है. रैली के मंच से कांग्रेस के लगभग हर नेता ने प्रधानमंत्री के पिछले आठ महीना के दौरान मणिपुर नहीं आने पर, हर नेता की बात पर मणिपुर के लोगों ने तालियां बजाकर कांग्रेस का हौसला बढ़ाया. इतने सारे नेताओं को एक मंच पर देखकर मणिपुर के लोगों हैरान भी थे. यह हैरानी इसलिए भी थी कि जहां सुरक्षा की दृष्टि से लोगों को आने के लिए मना किया जा रहा है, वहां पूरी कांग्रेस ही उठकर चली आई है.

*यात्रा राजनीतिक या गैर राजनीतिक?*

राहुल गांधी की यात्रा राजनीतिक है या गैर राजनीतिक? इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है.

कांग्रेस की तरफ से दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी की “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” राजनीतिक या चुनावी यात्रा नहीं है. रविवार रात को पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने साफ कहा था कि यह यात्रा राजनीतिक और चुनावी यात्रा नहीं है. यह यात्रा राजनीतिक पार्टी की है इसके मकसद राजनीतिक हैं, लेकिन यात्रा राजनीतिक नहीं बल्कि वैचारिक है, लेकिन इस दावे की पोल उस वक्त खुल गई जब रैली के मंच से राजनीतिक भाषण हुए, कांग्रेस के छोटे नेताओं से लेकर खुद राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजनीतिक बातें कहीं. बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमले बोले. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से जब इस विरोधाभास के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि राजनीतिक पार्टी के मंच पर राजनीतिक बातें नहीं होगी तो फिर कहां होगी?

*क्या कहा खरगे ने?*

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर से 12 जून या यात्रा शुरू करने के लिए राहुल गांधी की जमकर तारीफ की उन्होंने राहुल की शान में शेर भी पढ़ा,

‘जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का

फिर देखना फ़िज़ूल है क़द आसमान का’

मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए खरगे ने कहा कि मणिपुर में मोदी जी वोट लेने आते हैं, लेकिन मणिपुर के लोग संकट में फंसे हैं तो वह इधर नहीं दिखते. मोदी जी, समंदर की सैर कर सकते हैं लेकिन मणिपुर नहीं आ सकते. राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ मणिपुर से शुरू कर रहे हैं, ये बहुत बड़ी बात है. मणिपुर का युवा बेरोजगार है, खिलाड़ी प्रशिक्षण नहीं कर पा रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई बंद है. लेकिन मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा. कांग्रेस अहिंसा और शांति चाहती है. देश के पूर्वोत्तर इलाकों को उनके स्टेटहुड से लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं कांग्रेस सरकार ने दी, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद केवल पब्लिसिटी चालू है. उन्होने कहा कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ देश में लोकतंत्र और संविधान को बचाने एवं भावी पीढ़ियों के भविष्य के निर्माण के लिए है.

*राहुल ने भरी हुंकार*

मंच पर तमाम कांग्रेसियों और मैदान में मणिपुर मणिपुर के स्थानीय लोगों की भीड़ देखकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 8 महीने से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है. देश के प्रधानमंत्री को मणिपुर के लोगों की खैरियत लेने की फुर्सत नहीं है वो मणिपुर एक बार भी नहीं आए. प्रधानमंत्री का यह रवैया शर्मनाक है. राहुल ने कहा, ’29 जून को मैं मणिपुर आया था और उस विजिट में जो मैंने देखा, जो मैंने सुना… मैंने पहले कभी नहीं देखा था, नहीं सुना था. 2004 से मैं राजनीति में हूं, पहली बार मैं हिंदुस्तान के एक प्रदेश में गया, जहाँ गवर्नेंस का पूरा का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर कोलेप्स (collapse) कर गया था. जिसको हम मणिपुर कहते थे, 29 जून के बाद वो मणिपुर रहा ही नहीं…. बंट गया, कोने-कोने में नफ़रत फैली, लाखों लोगों को नुकसान हुआ, भाई-बहन, माता-पिता आंखों के सामने मरे और आज तक हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री मणिपुर में आपके आंसू पोंछने, आपसे गले लगने, आपका हाथ पकड़ने नहीं आए… शर्म की बात है। शायद नरेंद्र मोदी जी के लिए, बीजेपी और आरएसएस के लिए मणिपुर हिंदुस्तान का भाग ही नहीं है. आपका जो दुख है, आपका दर्द है… वो उनका दुख, उनका दर्द नहीं है.’

स्थानीय लोगो से मिले राहुल

रैली के बाद “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” पर बस में बैठकर निकले. राहुल गांधी कुछ दूर चलने के बाद एक जगह रुके और स्थानीय लोगों से काफी देर तक बातचीत की. वहां कुछ नौजवानों ने राहुल गांधी को घेर लिया और उन्हें कुछ स्थानीय समस्याएं बताईं. इन नौजवानों ने वही साल उठाया जो राहुल गांधी अपनी रैली में उठा चुके थे. नौजवानों ने कहा कि जब राहुल गांधी यहां आ सकते हैं तो देश के प्रधानमंत्री यहां क्यों नहीं आते हैं? राहुल गांधी ने एक चाय की दुकान में जाकर स्थानीय लोगों के साथ बैठकर चाय पी. राहुल सुरक्षा की परवाह न करते हुए स्थानीय लोगों से मिले. राहुल गांधी के इस रवैये से उनके सुरक्षाकर्मी थोड़ा परेशान भी दिखे. राहुल गांधी रैली में ऐलान कर चुके थे कि वह यहां अपने मन की बात कहने नहीं बल्कि यहां के लोगों के मन की बात सुनने आए हैं. यात्रा के दौरान यही वह करते भी दिखे.

*स्थानीय लोगों में दिखा उत्साह*

राहुल गांधी और उनकी “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” को लेकर मणिपुर के स्थानीय लोगों में खासा उत्साह दिखा. जिस रास्ते से राहुल गांधी की यात्रा गुजर रही थी, उस रास्ते पर दोनों तरफ महिलाएं पुरुष और बच्चे उनका स्वागत करने के लिए फूल मालाएं लिए खड़े थे. रात होने पर सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगों ने हाथों में मशालें जलाकर राहुल गांधी का स्वागत किया. जिस स्थान पर राहुल गांधी की यात्रा समाप्त होनी थी वहां से करीब एक किलोमीटर दूर तक सड़क के दोनों तरफ लोग राहुल गांधी के स्वागत के लिए मशालें जलाकर खड़े थे. स्थानीय लोगों के उत्साह को देखकर कांग्रेस का मनोबल बढ़ रहा है. भले ही कांग्रेस के नेता कह रहे हो की यात्रा चुनावी फायदे के लिए नहीं है, लेकिन सबको यही लगता है कि इस यात्रा के बाद उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस के दिन फिर सकते हैं.

*क्या बदलेंगे उत्तर पूर्वी राज्यों के समीकरण?*

अपनी यात्रा शुरू करने से पहले राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर से यात्रा शुरू करने का उनका फैसला था. पार्टी में इस बात को लेकर बहस चल रही थी की यात्रा कहां से शुरू की जाए. पश्चिम से पूर्व या पूरब से पश्चिम? तब उन्होंने कहा की यात्रा मणिपुर से शुरू करनी चाहिए. यहां से एक बड़ा संदेश जाएगा. सवाल उठा रहा है कि क्या मणिपुर हिंसा के बहाने कांग्रेस इस यात्रा के सहारे उत्तर पूर्वी राज्यों में अपनी खोई हुई ज़मीन दोबारा हासिल करने की कोशिश कर रही है. लगता तो यही है. यही वजह है कि यात्रा की शुरुआत में ही कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी. इससे ये संदेश देने की भी कोशिश की है कि उत्तर पूर्वी राज्यों की जनता ने भले ही कांग्रेस को नकार दिया हो लेकिन कांग्रेस आज भी उनके हितों के लिए खड़ी है. इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए किए गए नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक के काम गिनाए.

*उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस की खस्ता हालत*

उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस की बेहद ख़स्ता हालत है. कभी उत्तर पूर्वी राज्यों में से ज्यादातर में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी. आज एक भी राज्य में कांग्रेस सत्ता में नहीं है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मिजोरम में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें ही मिली हैं. लोकसभा के पिछले दो चुनाव में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो गया. सात उत्तर पूर्वी राज्यों लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को असम की सिर्फ एक सीट मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी लगभग यही हाल था.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर पूर्वी राज्यों में पूरे 13 दिन रहेगी. इस दौरान यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नागालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश से दोबारा असम से होते हुए मेघालय होकर पश्चिम बंगाल निकल जाएगी. राहुल गांधी इस दौरान उत्तर पूर्वी राज्यों के 28 जिलों से गुजरेंगे. उनकी यात्रा सबसे ज्यादा 8 दिन असम में रहेगी. कांग्रेस को इस यात्रा से उत्तर पूर्वी राज्यों में ठीक उसी प्रकार जीत की उम्मीद है, जैसे भारत जोड़ो यात्रा से तेलंगाना और कर्नाटक में बड़ी जीत मिली है. कांग्रेस को जीत की उम्मीद तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी थी, लेकिन वहां उम्मीदों पर पानी फिर गया. राहुल गांधी की इस यात्रा का आग़ाज़ तो बहुत अच्छा हुआ है लेकिन अंजाम कैसा होगा यह चुनावी नतीजे बताएंगे.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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