चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक केस का हवाला देते हुए बड़ा बयान दिया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि अदालतें नीतिगत मामलों में हमेशा दख़ल नहीं दे सकतीं हैं.
उन्होंने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट को एडमीशन के पहले भी दख़ल देना पड़ा था. मेरे पास एक मुकदमा आया जिसमें एक स्टूडेंट को विकलांग होने की वजह से एमबीबीएस में एडमीशन नहीं मिल रहा था. इसके अलावा नीट जैसे केसेज़ भी मेरी बेंच के सामने आए.’
सीजेआई ने कहा कि ‘जब भी नाइंसाफ़ी होती है, तो ये हमारा फ़र्ज़ बन जाता है कि हम उसमें दख़ल दें.’ उन्होंने कहा कि न्याय का सिद्धांत क़ानून और मेडिसिन दोनों क्षेत्रों पर लागू होता है. क़ानून में हरेक के साथ निष्पक्षता बरती जाती है और मेडिसिन के क्षेत्र में हर किसी को एक समान सेवा पाने का अधिकार है.
बता दें कि सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ रविवार को दिल्ली में सर गंगा राम अस्पताल की ओर से आयोजित 19वें सर गंगा राम भाषण शृंखला में बोल रहे थे.