Friday, April 26, 2024
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ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर कट्टरपंथी संगठनों ने लगाए खलिस्तान जिंदाबाद के नारे 

 

अखिलेश यादव

 

ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज 38वीं बरसी है. खिलस्तानी संगठनों ने बंद का आह्वान तो किया ही है खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए हैं. कट्टरपंथी संगठनों के नारे से सरकार ने भी पूरी तैयारी कर रखी है. पूरी अमृतसर को छावनी में बदल दिया गया है. स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है इसके साथ के जिलों में भी सुरक्षा की व्यवस्था कड़ी और मजबूत की गई है.

बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर में कट्टरपंथी संगठनों ने बंद बुलाया है, जिसे देखते हुए पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस नजर रख रही है. जानकारी के मुताबिक अमृतसर में 7 हजार जवानों को तैनात किया गया है. 1984 में आज ही के दिन स्वर्ण मंदिर में सेना का ऑपरेशन खत्म हुआ था.

अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के आसपास चप्पे चप्पे पर पुलिस का पहरा है. वहां की सड़कों पर फ्लैग मार्च निकाला जा रहा है. स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा में थोड़ी सी भी लापरवाही ना हो इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है. कट्टरपंथी संगठनों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर बंद का आह्वान किया है जिसके बाद सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है.

ऑपरेशन ब्लू स्टार की 38वीं बरसी को देखते हुए कट्टरपंथी संगठनों ने अमृतसर बंद बुलाया है. दल खालसा नाम के संगठन ने ऑरपरेशन ब्लू स्टार के खिलाफ जगह जगह पोस्टर भी लगाए. इसी के मद्देनजर सुरक्षा बल के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया है ताकि अमृतसर की सुरक्षा में कोई सेंध ना लगा सके. पुलिस के मुताबिक अमृतसर की सुरक्षा में करीब सात हजार जवान तैनात किए गए हैं. जिसमें अर्धसैनिक बलों की चार कंपनियां भी शामिल हैं. इसके अलावा दरबार साहिब की ओर जाने वाली बाहरी गाड़ियों पर रोक लगा दी गई.

कट्टरपंथी सिख संगठनों और दल खालसा, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) सहित खालिस्तान समर्थक समूहों से जुड़े सदस्यों ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की 38वीं बरसी से एक दिन पहले रविवार को शहर में ‘आजादी मार्च’ का आयोजन किया था. लॉरेंस रोड पर भाई वीर सिंह मेमोरियल हॉल से मार्च शुरू होते ही प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तान के झंडे और तख्तियां लिए हुए सिखों के लिए अलग राज्य खालिस्तान की मांग करते हुए आजादी के समर्थन में नारे लगाए.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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