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एक और सच : देश में 1472 आईएएस अधकारियों के पद खाली 

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एक और सच : देश में 1472 आईएएस अधकारियों के पद खाली 

 

देश के भीतर हर दिन सैकड़ों नेताओं की नियुक्ति तो होती है, लेकिन राज काज चलाने वाले आईएएस अधिकारीयों के खाली पदों पर नियुक्तियां नहीं होती. अभी देश में 1472 आईएएस अफसरों के पद खाली पड़े हुए हैं. सबसे ज्यादा खाली पद बिहार में है. कहा जा रहा है कि इन अफसरों के पद खाली होने से विकास की गति धीमी हो रही है और एक – एक अधिकारी के कंधे पर कई विभागों की जिम्मेदारी होने की वजह से कोई भी काम सही तरीके से नहीं हो पा रहा है.

देश में आईएएस अफसरों के 1472 पद खाली हैं. इनमें से 850 ऐसे हैं जिनकी आईएएस में यूपीएससी के जरिए सीधी भर्ती होनी थी. वहीं, 622 ऐसे पद खाली हैं, जिन्हें राज्य सरकारों के तरफ प्रमोशन के आधार पर भरा जाना था. तय संख्या में अफसरों की नियुक्ति नहीं होने से लैटरल एंट्री और दूसरी सेवाओं के अफसरों से काम लिया जा रहा है. अफसरों की कमी से हर साल राज्यों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अफसरों की संख्या में कमी आ रही है.

आईएएस अधिकारियों की कमी का राष्ट्रीय औसत 22 फीसदी है. केंद्र सरकार जॉइंट सेक्रेटरी और अन्य सीनियर ऑफिसरों की कमी से लैटरल एंट्री कर जरूरत पूरी कर रहा है. बसवान कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हर साल सीधी भर्ती से 180 से ज्यादा अफसर नियुक्त नहीं किए जा सकते. कमेटी का कहना है कि इससे ज्यादा संख्या बढ़ाई जाती है, तो उनकी गुणवत्ता से समझौता हो सकता है.

बिहार में आईएएस के अधिकारियों के कुल स्वीकृत 359 पद है, जिसमें से 157 पद रिक्त हैं. यानी 37% आईएएस अफसरों की कमी है. केवल 202 पदों पर ही अधिकारी कार्यरत हैं. खाली पदों के कारण एक दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों को कई-कई विभागों की जिम्मेदारी दी गई है. अभी बिहार में कार्यरत 202 अधिकारियों में मुख्य सचिव स्तर के 11 आईएएस कार्यरत हैं.

ऐसा नहीं है कि आईएएस के पद केवल बिहार में ही खाली पड़े हैं. त्रिपुरा में करीब 40 तो नागालैंड में 37 फीसदी पद खाली पड़े हैं. इसी तरह से केरल में 32 फीसदी और झारखंड 31 फीसदी आईएएस के पद खाली पड़े हुए हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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