Sunday, October 6, 2024
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हिजाब का ईरान में जबरदस्त विरोध, पुलिस से झड़प में 31की मौत, कई इलाकों में इंटरनेट बंद

क्या ईरान फिर से 70 के दशक में लौटने को बेताब है ? जिस तरह से हिजाब के खिलाफ ईरानी नागरिक और खासकर सड़कों पर उतर कर हिजाब के खिलाफ आंदोलन रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि 70 के दशक के आधुनिक ईरान को हिजाब अब पसंद नहीं. ईरान में फैलते सरकार विरोधी आंदोलन का हश्र क्या होगा ? यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद भड़के विरोध प्रदर्शनों पर इस्लामिक रिपब्लिक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में 31 नागरिक मारे गए हैं. ये दावा ओस्लो स्थित एक एनजीओ ने किया है.

ईरान ह्यूमन राइट्स के निदेशक महमूद अमीरी – मोघद्दाम ने एक बयान में कहा, “ईरान के लोग अपने मौलिक अधिकारों और मानवीय गरिमा को हासिल करने के लिए सड़कों पर आए हैं और सरकार गोलियों से उनके शांतिपूर्ण विरोध का जवाब दे रही है. ईरान मानवाधिकार संगठन ने कहा कि उसने 30 से अधिक शहरों और अन्य शहरी केंद्रों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की पुष्टि की है. जो प्रदर्शनकारियों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं की सामूहिक गिरफ्तारी का भी संकेत दे रही है.

उत्तरी प्रांत कुर्दिस्तान, जहां महसा अमीनी का जन्म हुआ, वहां पर सबसे पहले उसकी मौत के विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, लेकिन अब यह पूरे देश में फैल गया है. आईएचआर ने कहा कि प्रदर्शन में उत्तरी मजांदरान प्रांत के अमोल शहर में बुधवार रात को 11 लोग मारे गए और उसी प्रांत के बाबोल में छह लोगों की मौत हुई. इसके अलावा तबरीज में विरोध प्रदर्शन में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की गई है.

बता दें कि महसा अमीनी की मौत के बाद वहां हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं. लोगों ने महसा की मौत के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. धीरे-धीरे यह प्रदर्शन ईरान के 50 से ज्यादा शहरों और कस्बों में फैल चुका है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बल का प्रयोग किया. कई जगहों से प्रदर्शन के उग्र होने की भी खबरें सामने आ रही है, जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों और उनकी गाड़ियों को आग लगा दी.

एमिरी-मोघद्दाम ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा निंदा और चिंता की अभिव्यक्ति अब पर्याप्त नहीं है.” इससे पहले, कुर्द अधिकार समूह हेंगॉ ने कहा था कि कुर्दिस्तान प्रांत और ईरान के उत्तर के कुर्द-आबादी वाले अन्य क्षेत्रों में बुधवार रात आठ लोगों सहित 15 लोग मारे गए थे.

हालांकि इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान ईरान की मॉरल पुलिस ने महसा अमीनी से जुड़ा एक सीसीटीवी फोटेज जारी किया है. जिसमें देखा जा सकता है कि माहसा अमीनी मॉरल पुलिस के दफ्तर में पहुंचती हैं, जहां पर पहले से ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद देखे जा सकते हैं, महासा जाकर एक सीट पर बैठ जाती है, फिर अपनी सीट से उठ कर वो एक तरफ तस्वीर में दिख दो महिलाओं से बात करती दिखती है. फिर अचानक माहसा अपना सिर पकड़े हुए दिखती है, कि तभी अचानक वो सीट पर गिरती हुई दिख रही है, जिसे फौरन ही लोग बाहर खड़ी एंबुलेंस में ले जाते हुए देखे जा सकते हैं.

ईरान की मॉरल पुलिस द्वारा जारी किए गए सीसीटीवी फुटेज को आधार बना कर ईरान की सरकार ने कहा है कि माहसा पहले से ही बीमार थी. पुलिस ने महसा से किसी तरह की मारपीट या प्रताड़ना से इंकार किया है. ईरान की सरकार ने अमेरिका, इज़राइल और यूरोप पर ईरान में अशांति को हवा देने का आरोप लगाया है. ईरानी सरकार ने ईरानी जनता से अपील की है कि वो किसी के बहकावे में न आएं, और कानून व्यवस्था को कायम रखने में सहयोग करें.

बता दें कि, ईरान में 22 साल की महसा अमीनी को हिजाब न पहनने के कारण पुलिस ने 13 सितंबर को पूछताछ के लिए मॉरल पुलिस ऑफिस में बुलाया था. आरोप है कि पुलिस हिरासत में उसके साथ मारपीट की गई थी, जिसके बाद वो कोमा में चली गई. घटना के तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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