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भोपाल गैस त्रासदी मामला: सुप्रीम कोर्ट से पीड़ितों को मुआवजा बढ़ाने की केंद्र सरकार की अर्ज़ी ख़ारिज की

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भोपाल गैस त्रासदी मामला: सुप्रीम कोर्ट से पीड़ितों को मुआवजा बढ़ाने की केंद्र सरकार की अर्ज़ी ख़ारिज की

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मिले मुआवज़े की राशि को बढ़ाने से जुड़ी मांग वाली अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया. अर्जी में यूनियन कार्बाइड से करीब 7800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवज़ा दिलाने की केंद्र सरकार ने मांग की थी. साल 2010 में दायर की गई इस अर्जी में यूनियन कार्बाइड से करीब 7800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवज़ा दिलाने की मांग की गई थी.

ख़बर के अनुसार जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस ए.एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने इस साल सुनवाई पूरी होने के बाद 12 जनवरी को ही इस पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार की याचिका कानूनी सिद्धांतों पर खरी नहीं उतरती.

गौरतलब है कि साल 1984 के दिसंबर महीने की 2 और 3 तारीख की रात को यूनियन कार्बाइड के कारखाने से ‘मेथायिल अयिसोसायिनेट’ गैस के रिसाव की घटना पेश आई थी. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस हादसे में मरने वालों की संख्या 5 हजार 295 के क़रीब थी.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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