Home विदेश चीन के जासूसी जहाज को श्रीलंका में मिलेगी एंट्री, भारत की आपत्ति को राष्ट्रपति सिंघे ने किया नजरअंदाज 

चीन के जासूसी जहाज को श्रीलंका में मिलेगी एंट्री, भारत की आपत्ति को राष्ट्रपति सिंघे ने किया नजरअंदाज 

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चीन के जासूसी जहाज को श्रीलंका में मिलेगी एंट्री, भारत की आपत्ति को राष्ट्रपति सिंघे ने किया नजरअंदाज 

 

श्रीलंकाई सरकार ने भारत सरकार की आपत्ति के बावजूद चीन के जासूसी पोत ‘यूआन वांग 5’ को हम्बनटोटा बंदरगाह पर आने की इजाज़त दे दी है. श्रीलंका की सरकार ने भारत की चिंताओं को नजरंदाज कर चीनी पोत को यह अनुमति दी है.

श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि चीनी पोत युआन वांग 5 को 16 से 22 अगस्त तक हंबनटोटा बंदरगाह पर पोर्ट करने की मंज़ूरी दे दी गई है. दरअसल इससे पहले श्रीलंका ने भारत की आपत्ति के बाद चीन से अपने पोत भेजने की योजना को टालने के लिए कहा था. जिसके बाद समाचार एजेंसियों ने बताया था कि 9 अगस्त को चीनी रिसर्च पोत हम्बनटोटा के लिए रवाना हुआ था, लेकिन भारत की आपत्ति के बाद वो जहां से चला था उधर ही वापस मुड़ गया है.

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर भारत ने चिंता जताई है. इसके साथ ही श्रीलंका पर जिस तरह चीन का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है, भारत के लिए वो भी गहरी चिंता का सबब बना हुआ है.

श्रीलंका सरकार के सूत्रों ने बताया था कि भारत ने राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे से सीधे तौर पर बात करके इस संबंध में अपनी चिंता ज़ाहिर की थी. लेकिन भारत की ओर से इस संबंध में कोई संतोषजनक वजह नहीं बताई गई थी कि आख़िर पोत को बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए.

हालांकि चीन यूआन वांग 5 को एक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और शोध-सर्वेक्षण पोत बताता है, लेकिन इसे दोहरे उपयोग वाला जासूसी जहाज़ भी कहा जाता है.

बता दें कि भारत को आशंका है कि चीन इस पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए कर सकता है. 1.5 अरब डॉलर का हम्बनटोटा पोर्ट एशिया और यूरोप के मुख्य शिपिंग रूट के पास है. भारत यह चिंता तब से जता रहा है जब हम्बनटोटा पोर्ट को श्रीलंका ने क़र्ज़ नहीं चुका पाने के बदले 99 साल के लिए गिरवी रख दिया था.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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