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क्या जर्मनी ग्रुप 7 की बैठक से भारत को दूर रखेगा ?

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क्या जर्मनी ग्रुप 7 की बैठक से भारत को दूर रखेगा ?

अंज़रूल बारी

जर्मनी इन दिनों भारत से काफी नाराज चल रहा है. उसकी नाराजगी का कारण ये है कि भारत, रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में रूस के साथ खड़ा है. जर्मनी का मानना है कि भारत को यूक्रेन का साथ देना चाहिए जबकि भारत यूक्रेन के खिलाफ और रूस के समर्थन में खड़ा है. अगर ये कहा जाए कि भारत इस युद्ध में अपनी स्तिथि तटस्थ बनाए हुए है. भारत के इस रुख को देखते हुए जर्मनी की कोशिश है कि अगले जी-7 की बैठक में भारत को शामिल नहीं किया जाए.
बता दें कि जर्मनी 26 से 28 जून तक ग्रुप-7 देशों की बैठक को होस्ट करने वाला है, लेकिन इसमें वो भारत को बैठक से दूर रखने पर विचार कर रहा है. ब्लूमबर्ग ने इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में ऐसा दावा किया है. सूत्रों ने कहा कि जी-7 मीटिंग में जर्मनी सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया को गेस्ट के तौर पर आमंत्रित करने पर विचार कर रहा है. दरअसल गेस्ट लिस्ट यूक्रेन पर हमले से पहले ही तैयार की गई थी, जिसमें भारत भी शामिल था, लेकिन अब इस लिस्ट में आमंत्रित गेस्ट को लेकर विचार किया जा रहा है.
हालांकि इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में जर्मन सरकार के हवाले से दावा किया गया है कि भारत को लेकर ऐसा कोई विचार नहीं है. पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करने का प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत समेत 50 देशों ने दूरी बना ली थी. इसके अलावा भारत ने रूस पर प्रतिबंध भी नहीं लगाए हैं. यही नहीं सस्ता तेल भी बड़े पैमाने पर खरीदने की योजना पर काम कर रहा है. रूस से बड़े पैमाने पर हथियारों की खरीददारी भी भारत करता रहा है. हाल ही में S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद भी भारत ने रूस से ही की है.
ब्लूमबर्ग से बातचीत में जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टेफेन हेबेस्ट्रेट ने कहा कि जल्दी ही जी-7 बैठक की गेस्ट लिस्ट फाइनल की जाएगी. उन्होंने कहा कि चांसलर कई बार दोहरा चुके हैं कि जर्मनी के ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय साझेदार रूस के खिलाफ पाबंदियां लगाएं. भारत सरकार की ओर से अब तक इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. हालांकि जर्मनी खुद यूक्रेन और पोलैंड की आलोचना झेल रहा है.
दरअसल जर्मनी की लगातार रूस से तेल और गैस का आयात जारी है. जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों की रूस पर निर्भरता अब भी बनी हुई है. इसकी ओर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इशारा किया था. उन्होंने भारत की ओर से रूस से तेल का आयात करने के सवाल पर कहा था कि हम जितना इंपोर्ट एक महीने में करते हैं, उतना तो यूरोप एक दोपहर में कर लेता है.
हालांकि भारत अभी इस पुरे मसले पर मौन है और जर्मनी के अगले कदम की प्रतीक्षा कर रहा है. जर्मनी जी-7 की बैठक से भारत को अगर बाहर करता है तो भारत भी इसका जवाब दे सकने की स्थिति में है और कई और मसलों पर जर्मनी को भी घेरेगा.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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