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कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव :क्या गहलोत कैम्प की शर्तों को मानेगी सोनिया गांधी ?

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कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव :क्या गहलोत कैम्प की शर्तों को मानेगी सोनिया गांधी ?

 

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव अब कांग्रेस के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. राजस्थान में जिस तरह से पार्टी के भीतर उठापटक जारी है, और गहलोत कैंप की नाराजगी बढ़ी हुई है. उससे तो यही लगता है कि आने वाला कल कांग्रेस के लिए भयावह होने वाला है. गहलोत कैंप के करीब 80 विधायक एक साथ इस्तीफा दे चुके हैं. और पार्टी की तरफ से पहुंचे ऑब्जर्वर माकन और खड़के बिना किसी नतीजे पर पहुंचे वापस दिल्ली पहुँच गए हैं. इधर खबर के मुताबिक सोनिया गांधी राजस्थान की घटना पर काफी नाराज बतायी जा रही है. गहलोत कैंप किसी भी सूरत में पायलट को सीएम नहीं बनने देना चाहता हैं. उन्होंने पार्टी के सामने तीन शर्ते रख दी है. इसमें पहली शर्त तो यही है कि पायलट को सीएम नहीं बनाया जाय. गहलोत समर्थकों का तर्क है कि पायलट ने 2020 में सरकार के खिलाफ बगावत की थी. ऐसे में सीएम उसे बनाया जाए जो संकट के समय पार्टी के साथ जुड़े थे. दूसरी शर्त यह है कि नए मुख्यमंत्री का फैसला गहलोत के अध्यक्ष बन जाने के बाद यानी 19 अक्टूबर के बाद ही हो. इसके बाद ही वह इस्तीफा देंगे. तीसरी शर्त है कि अशोक गहलोत को भी मुख्यमंत्री बने रहने का विकल्प दिया जाए.

गहलोत गुट की शर्तों से आलाकमान की ओर से जयपुर भेजे गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैरान हैं. माकन ने कहा कि 19 अक्टूबर (कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव परिणाम का दिन) से पहले सीएम की घोषणा नहीं करने से हितों के टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. गहलोत कैंप के तीनों शर्तों पर गहलोत ने कहा, ”हम विधायक दल की बैठक के लिए आए थे, जिसे मुख्यमंत्री ने ही तय किया था. समय और दिन उनकी पसंद का था. बहुत हैरानी की बात है कि विधायक नहीं आए. हम सभी विधायकों से अलग-अलग बात करना चाहते थे, ताकि वह खुलकर बोल सकें.” बता दें कि पार्टी आलाकमान गहलोत के इस्तीफे के बाद पायलट को सीएम बनाना चाहता है.

अब राजस्थान में अशोक गहलोत खेमे के विधायकों के बागी तेवर देखने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया है. आलाकमान अगर इस रुख से नाराज होता है तो अध्यक्ष चुनाव में अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. एक से अधिक उम्मीदवार के मैदान में होने पर वोटिंग की नौबत आएगी. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए भले ही वोट डाले जाएंगे, लेकिन एक बात तो तय है कि जीत का सेहरा उसी के सिर बंधेगा जिसे सोनिया और राहुल गांधी का समर्थन प्राप्त होगा.

हालांकि, राजस्थान के ताजा सियासी हालातों को देखते हुए समीकरण बदलने की पूरी संभावना है. कांग्रेस आलाकमान ने अगर गहलोत को बागी तेवर के खिलाफ रुख अपनाया और कोई दूसरा उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरता है तो शशि थरूर की लॉटरी लग सकती है. आपको बता दें कि उन्होंने हाल ही में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और चुनाव लड़ने के अपने फैसले से उन्हें अवगत कराया था. यह बात और है कि शशि थरूर सोनिया की अंतिम पसंद नहीं हैं. क्योंकि वो जी 23 के सदस्य रहे हैं. ऐसे में इस बात की संभावना है कि गहलोत को लेकर अगर कोई बड़ा बखेड़ा खड़ा हुआ तो दिग्विजय सिंह, कमलनाथ या फिर खड़गे पार्टी अध्यक्ष के लिए पसंद किये जा सकते हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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