कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी और संघ पर बड़ा हमला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वयं और अपने संस्थानों को पूरी तरह से आरएसएस के फरमानों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. खड़गे संविधान दिवस पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जो समाज सेवा की आड़ में घृणित प्रचार को आगे बढ़ाता है. वास्तव में, आरएसएस और बीजेपी शब्दों का परस्पर उपयोग करना अब गलत नहीं है.” उन्होंने दावा किया कि 2014 में केंद्र में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से आरएसएस ने इसे ‘संविधान में निहित स्वतंत्रता को कम करने के लिए हर अवसर पर राजनीतिक वाहन’ के रूप में इस्तेमाल किया है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी-आरएसएस कैडर का रचनात्मक संवाद का एकमात्र विकल्प हिंसा है. इस समूह और इसके दूतों की स्वाभाविक प्रवृत्ति केवल तोड़फोड़ करने की है और उनकी एकमात्र प्रेरणा देश को धार्मिक, जाति और सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करना है. उन्होंने यह भी दावा किया कि आरएसएस की विचारधारा को बढ़ावा देने वाले लोग दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को आरक्षण की संवैधानिक गारंटी के खिलाफ हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल ने विपक्ष के लिए असंतोष व्यक्त करने के सभी रास्ते प्रतिबंधित कर दिये हैं.
खड़गे ने कहा ‘‘ विपक्ष द्वारा किसी भी असंतोष को केंद्रीय जांच एजेंसियों – सीबीआई और ईडी आदि के खिलाफ जबरदस्ती दुरुपयोग करके‘निपटाया’जा रहा है. भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के कामकाज और स्वतंत्रता को खतरे में डाल दिया गया है. चुनावी बॉन्ड की अपारदर्शी प्रणाली को धन के रूप में लागू किया गया है. सत्तारूढ़ दल को अनुचित लाभ देने के लिए विधेयक लाया गया है.”
खड़गे ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ कांग्रेस पार्टी ने नफरत फैलाने वाली ताकतों और सामाजिक – आर्थिक अभाव की ताकतों के खिलाफ इस महत्वपूर्ण मोड़ पर देश को एकजुट करने के लिए एक मिशन शुरू किया है. उन्होंने कहा, ‘‘ हमने अपनी संवैधानिक नैतिकता की रक्षा के लिए हमेशा इसे अपने ऊपर लिया है.”
उन्होंने अपील करते हुए कहा, ‘‘इस संविधान दिवस के मौके पर आइए, हम एकजुट होकर भारत को उसके संवैधानिक मूल्यों की ओर वापस लाने और राष्ट्र को ऐसे समय में बहाल करने का दायित्व लें.” उन्होंने जोर दिया कि इस नए ‘आधिपत्य’ स्वभाव को नियंत्रित करने का एकमात्र तरीका वैचारिक और नैतिक ताकत से इसका मुकाबला करना है.