Thursday, March 28, 2024
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राष्ट्रपति मुर्मू ने उठाया जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों का मामला

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों का मुद्दा उठाया और इस बात पर जोर दिया कि जेलों में बंद गरीब लोगों के लिए कुछ करने की जरूरत है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में अपने समापन भाषण में राष्ट्रपति ने कहा, “मैं एक बहुत छोटे से गांव से आती हूं. जहां मेरा जन्म हुआ, वहां लोग तीन लोगों को भगवान मानते थे- शिक्षक, डॉक्टर और वकील. उन्होंने कहा कि अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए लोग अपना सारा पैसा और संपत्ति डॉक्टरों और वकीलों को देने को तैयार रहते हैं.”

राष्ट्रपति ने कहा, कहा जाता है कि जेलों में क्षमता से अधिक भीड़ हो रही है. और अधिक जेलें स्थापित करने की आवश्यकता है. हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं? और जेलें बनाने की क्या जरूरत है? हमें उनकी संख्या कम करने की जरूरत है. छोटे – मोटे अपराधों के लिए कई सालों से कैद गरीब लोगों को मदद की जरूरत है. उन्होंने बताया कि किसी को थप्पड़ मारने या किसी अन्य छोटे अपराध के लिए भी जेल हो जाती है, जबकि ऐसे लोग हैं जो बहुत कुछ करते हैं, यहां तक कि दूसरों को मारते हैं, लेकिन खुले घूम रहे हैं.

इस कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और बार के सदस्य शामिल थे. राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि जेलों में गरीब लोग हैं. और उनके लिए कुछ करने की जरूरत है.

मुर्मू ने जेलों में भीड़ कम करने की सिफारिश करते हुए कहा, आपको इन लोगों के लिए कुछ करने की जरूरत है. ये लोग जेल में कौन हैं? वह मौलिक अधिकारों या मौलिक कर्तव्यों को नहीं जानते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि जेलों में बंद अपने परिवार के सदस्यों को रिहा करवाने के लिए लोग कार्रवाई नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें अपनी संपत्ति बेचनी पड़ेगी.

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को देश और इसके लोगों के लिए एक सोच रखने की जरूरत है, यह कहते हुए कि जांच और संतुलन की जरूरत है, लेकिन कहीं न कहीं हमें एक साथ काम करने की जरूरत है. हमारा काम लोगों (जेलों में बंद विचाराधीन गरीब विचाराधीन कैदियों) के बारे में सोचना है. हम सभी को सोचना होगा और कोई रास्ता निकालना होगा.. मैं यह सब आप पर छोड़ रही हूं.”

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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