देश की निगाह गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम पर टिकी है. आज मतगणना जारी है और वोटों के रुझान आने भी लगे हैं. यह बात और है कि दोनों राज्यों में शुरूआती दौर के रुझान बीजेपी के पक्ष में है. लेकिन माना जा रहा है कि ये रुझान बदलेंगे. खासकर हिमाचल को लेकर लोगों में उत्सुकता ज्यादा है. क्योंकि वहाँ हर चुनाव में सरकार बदलती रही है. अब इस बार सरकार बदलती है या फिर रिवाज बदलता है. इसे देखना बाकी है. हिमाचल प्रदेश आज यह बताने वाला है कि क्या उसके मतदाताओं ने सत्ता विरोधी रुझान को छोड़ कर सत्ताधारी पार्टी को फिर से चुना है. हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से किसी भी मौजूदा सरकार को सत्ता में नहीं मिला है.
बता दें सिर्फ दो एग्जिट पोल को छोड़कर सभी ने सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए बढ़त की भविष्यवाणी की है. उत्सुकता से देख कर आप समझ सकते हैं कि मतदाताओं ने किस तरह से कड़े मुकाबले में फैसला किया है.
वहीं दूसरी तरफ़, प्रधान मंत्री मोदी के व्यक्तिगत अभियान द्वारा संचालित सत्तारूढ़ बीजेपी की प्रवृत्ति टूटने की उम्मीद है. 2017 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने 44 और कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं, जिसमें एक सीट माकपा और दो निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गई थी. गौरतलब है कि इस बार बीजेपी का नारा था “राज नहीं, रिवाज बदलेगा” था, जिसका अर्थ है कि परंपरा बदलेगी, सरकार नहीं.
इस चुनाव में कुल 412 उम्मीदवार मैदान में हैं. राज्य के 55 लाख मतदाताओं में से 75 प्रतिशत से अधिक ने अपनी 68 सदस्यीय विधानसभा और सरकार को चुनने के लिए 12 नवंबर को हुए चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं कांग्रेस को अपनी जीत का भरोसा है, कांग्रेस ने वादा करते हुए कहा कि वो मतदाता मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, पुरानी पेंशन योजना और राज्य के निवासियों के जीवन और आजीविका की अन्य चुनौतियों के मूलभूत मुद्दों पर फैसला करेंगे.
कांग्रेस इस बात को लेकर उत्साहित है कि उसके वोट शेयर में केवल सुधार होगा, जबकि बीजेपी पुरुषों की तुलना में अधिक महिला वोट प्रतिशत से लाभ की उम्मीद करती है. बीजेपी पार्टी ने राज्य के इतिहास में पहली बार महिलाओं के लिए एक स्टैंडअलोन घोषणापत्र तैयार किया था. हिमाचल में बीजेपी के अभियान में महिलाओं और युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया.