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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से मांगा नोटबंदी से सम्बंधित रिकॉर्ड

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से मांगा नोटबंदी से सम्बंधित रिकॉर्ड

सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी से सम्बंधित रिकॉर्ड की मांग करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब केंद्र और आरबीआई को सीलबंद लिफ़ाफ़े में नोटबंदी से जुड़े रिकॉर्ड को अदालत में पेश करना है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी लागू करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच कर रही है. पीठ ने पक्षकारों को 10 दिसंबर तक लिखित दलील पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा था कि वह सिर्फ इसलिए हाथ बांधकर नहीं बैठेगी क्योंकि यह एक आर्थिक नीति का फैसला है. कोर्ट ने कहा कि वह इस संबंध में फैसला लेने के तरीकों की जांच कर सकती है.

इसी साल 12 अक्टूबर को नोटबंदी को लेकर दायर की गई याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता और सीनियर कांग्रेस लीडर पी चिदंबरम की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के लिए सहमति जताई थी और अब पीठ ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटबंदी का फैसला लेने से संबंधित दस्तावेज और रिकॉर्ड पेश करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से जुड़े सभी रिकॉर्ड सीलबंद कवर में पेश किए जाएं.

मालूम हो कि संविधान पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई पूरी हो गई है. और अब फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. वहीं कोर्ट द्वारा रिकॉर्ड पेश करने पर अटॉर्नी जनरल ने पीठ के सामने कहा कि वह सभी दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में अदालत में जमा करेंगे.

इसके पहले 5 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि देश में नोटबंदी लागू करने के दौरान सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. आरबीआई ने कहा था कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी की प्रक्रिया के दौरान 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बैन करने के फैसले में आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) में जो निर्धारित प्रक्रिया है, उसका पूरी तरह से पालन किया गया था.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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