राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत चीन और अमेरिका की नकल ना करे, उसे खुद के बनाए रास्ते पर ही चलना चाहिए. इसके लिए भारत को अपना मॉडल अपनाने की जरूरत है. भागवत मुंबई में भारत विकास परिषद के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है. उन्होंने भारत का विकास कैसे संभव हो, इसके बारे में बताया. संघ प्रमुख ने कहा कि भारत का विजन, लोगों की परिस्थिति, संस्कार, संस्कृति, विश्व के बारे में विचार के आधार पर होना चाहिए. अगर विश्व से कुछ अच्छा आएगा तो उसे लेंगे. मगर हम प्रकृति और अपने शर्तों के अनुसार लेंगे.
भागवत का यह बयान गृह मंत्री अमित शाह के ‘भारत के एक जियो कल्चर कंट्री और हमारी एकता का आधार हमारी संस्कृतियां हैं’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद है. भागवत ने कहा कि भारत विविध भाषाओं, संस्कृतियों, व्याकरण, कला और सभ्यताओं से बना है, लेकिन जब हम करीब से देखते हैं, तो इस देश की आत्मा एक है, और वह भारत की अभिन्न आत्मा है.
उन्होंने कहा, “मैं आज एक मैसेज देना चाहता हूं कि विश्वास और प्रेम में समानता है. क्योंकि दोनों को जबरन हासिल नहीं किया जा सकता है. काशी तमिल संगमम् ने दोनों क्षेत्रों के बीच विश्वास और प्रेम का एक नया वातावरण बनाया है. भागवत ने आगे कहा कि अगर भारत को दुनिया से सीखने की जरूरत है तो देश सीखेगा जरूर, लेकिन अपने मूल सिद्धांतों और विचारों पर कायम रहेगा.
इस दौरान उन्होंने ‘राष्ट्र पहले’ के सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि भारत विविधता में एकता की भूमि है. हमारे संविधान ने हमें सामाजिक सुरक्षा दी है और इसलिए हमें वह चुकाना होगा जो राष्ट्र ने हमें दिया है. हमें सोचना चाहिए कि हम राष्ट्र को क्या और कैसे चुका सकते हैं. भारत दुनिया को जीतने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को एकजुट करने के लिए है. हमारी विशेषताएं और गुण दुनिया में संतुलन पैदा करेंगे.
मोहन भागवत ने कहा कि हम विकसित होंगे तो दुनिया का भी विकास होगा. ऐसे में दुनिया के देशों में लड़ाई नहीं होगी. हम ताकतवर बनेंगे तो चीन, अमेरिका और रूस जैसा डंडा नहीं चलाएंगे. हमारे कारण डंडा चलाने वालों के डंडे भी बंद हो जाएंगे, लेकिन यह सब करना है तो हम सबको एक साथ मिलकर काम करना होगा.
इससे पहले पिछले गुरुवार को संघ प्रमुख ने भारत को दी गई G- 20 देशों की अध्यक्षता की सराहना की थी. भागवत ने कहा था कि G- 20 की अध्यक्षता का भारत में आना कोई सामान्य बात नहीं है. दुनिया को अब भारत की जरूरत है. दुनिया में अब सिर्फ भारत की ही बात होती है और अब विश्व को भी भरोसा हो गया है कि भारत दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं.