राजनीति भ्रष्टाचार का चारागाह है. कोई भी नेता नहीं मिलेगा जिसका दामन पाक-साफ़ हो. कोई पार्टी देश में ऐसी नहीं है जो साफ़ सुथरी है. राजनीति में कोई पाक साफ़ नहीं रह सकता. लेकिन जब लोभ, लालच और ठगी इंसान पर भारी पड़ जाए तो उसका जो अंजाम होता है वह खराब ही होता है. झारखंड के सीएम हेमंत पर जो इल्जाम लगे हैं. अगर वह सही है तो निश्चित रूप से संविधान की मर्यादा का पालन करते हुए कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन नियम सब पर लागू हो ऐसा नहीं होता. आगे देखना होगा कि झारखंड में होता क्या है ?
उधर झारखंड में बड़ा खेल होगा, इसकी सम्भावना ज्यादा बढ़ गई है. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द करने से संबंधित नोटिफिकेशन किसी भी समय चुनाव आयोग की तरफ से जारी किया जा सकता है. हालांकि चुनाव आयोग विधायकी रद्द किए जाने की अनुशंसा पहले ही कर चुका है. राज्यपाल रमेश बैस ने सीएम हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द कर दी है. चुनाव आयोग की ओर से भेजी गई अनुशंसा पर मंत्रणा के बाद उन्होंने ये कार्रवाई की है.
इधर, सीएम हाउस में रातभर विधायकों की काउंटिंग होती रही. महागठबंधन की तरफ से सीएम हाउस में शनिवार सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई गई है. लगातार हो रही इस बैठक को महागठबंधन की एकजुटता से भी देखी जा रही है, जिसे सीएम और अन्य नेता रोज बुलाकर क्रॉस चेक कर रहे हैं. हर रोज सीएम हाउस आने वाले विधायकों की गिनती भी की जा रही है.
इधर, बीजेपी का दावा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ केस दर्ज करने की भी तैयारी हो रही है. बीजेपी का कहना है कि अगर उनकी विधायकी जाती है तो उनके ऊपर केस दर्ज करने पर भी फैसला हो सकता है. वहीं, इस बीच हेमंत सोरेन ने पूरे घटनाक्रम पर करारा जवाब दिया है. शुक्रवार देर रात ट्वीट कर उन्होंने कहा है, ”सरकारी कुर्सी के भूखे हम लोग नहीं है. बस एक संवैधानिक व्यवस्था की वजह से आज हमें रहना पड़ता है, क्योंकि उसी के माध्यम से हम जन-कल्याण के काम करते हैं.”
अब आगे क्य होगा इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. कयास है कि नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अपना इस्तीफा दे सकते हैं. इस मामले में निर्वाचन आयोग की अधिसूचना जारी होने के बाद गवर्नर, सीएम हेमंत सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं. साथ ही झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो को भी निर्वाचन आयोग की अधिसूचना से अवगत कराया जा सकता है.
सोरेन की सदस्यता जाने के बाद गवर्नर राज्य के सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्यौता देंगे. संख्या बल के अनुसार फिलहाल झामुमों अभी झारखंड विधानसभा में सबसे बड़ा दल है. ऐसे में नियम के अनुसार गवर्नर को सरकार बनाने का पहला मौका झामुमों को ही मिलेगा.
हालात के मद्देनजर झामुमों ने पहले ही सभी विधायकों का हस्ताक्षर समर्थन पत्र पर करवा लिया है. झामुमों और कांग्रेस दोनों पार्टियों के विधायकों से ये दस्तखत करवाए गए हैं. झामुमों सूत्रों की मानें तो 42 विधायकों का समर्थन पत्र बनकर पहले से तैयार कर लिया गया है.
इस बीच सीएम को एक तय समय तक चुनाव नहीं लड़ने के सवाल पर सस्पेंस जारी है. राजभवन के सूत्रों की मानें तो राज्यपाल ने फिलहाल सीएम की विधायकी रद्द की है. डिबार करने संबंधी कोई बाद सामने नहीं आई है. ऐसे में अगर केवल सीएम की विधायकी जाती है तो वो इस्तीफा देने के बाद तुरंत विधायक दल के नेता चुने जाएंगे और राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. हालांकि, ये सब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.