Friday, December 27, 2024
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एनसीईआरटी के 12वीं के सिलेबस से गुजरात दंगा चैप्टर हटाया गया

 

एनसीईआरटी ने 12वीं के पाठ्यक्रम से गुजरात दंगों के अध्याय को हटा दिया है. इसके लिए एनसीईआरटी ने कोरोना महामारी समेत कई तर्क दिए हैं. दंगों के साथ ही नक्सल आंदोलन के इतिहास और आपातकालीन विवाद को भी किताब से हटाने का फैसला किया गया है.

 

NCERT द्वारा जारी एक नोट के अनुसार, गुजरात दंगों पर आधारित पृष्ठ 187-189 को पुस्तक से हटा दिया गया है. इस अध्याय में लिखा गया था – “गुजरात में हुए दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है. यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा है.”

 

अध्याय में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक बयान भी शामिल है, जिसमें उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राज धर्म का पालन करने की सलाह दी थी.

 

एनसीईआरटी ने अपने नोट में कहा कि इन विषयों को अन्य पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है, इस तरह से पाठ अतिव्यापी था. जिसने, वीडियो को रातों-रात सनसनी फैला दी थी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इस पर जोर दिया गया है. इसलिए एनसीईआरटी ने सभी किताबों को युक्तिसंगत बनाने का फैसला करते हुए ये कदम उठाया है.

 

दंगों के अलावा, नक्सल आंदोलन के इतिहास पर आधारित पृष्ठ 105 पर जबकि एक पाठ और आपातकाल के दौरान संघर्ष से संबंधित पृष्ठ 113-117 को भी पाठ्यक्रम से निकाला गयाहै.

 

बता दें कि नरेंद्र मोदी और उनकी तत्कालीन सरकार 2002 के गुजरात दंगों को लेकर हमेशा सवालों के घेरे में रही है. सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगे. कई मामले दर्ज कर जांच भी की गई. हालांकि इन मामलों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिल गई थी. इन दंगों में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू मारे गए थे.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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