एनसीईआरटी ने 12वीं के पाठ्यक्रम से गुजरात दंगों के अध्याय को हटा दिया है. इसके लिए एनसीईआरटी ने कोरोना महामारी समेत कई तर्क दिए हैं. दंगों के साथ ही नक्सल आंदोलन के इतिहास और आपातकालीन विवाद को भी किताब से हटाने का फैसला किया गया है.
NCERT द्वारा जारी एक नोट के अनुसार, गुजरात दंगों पर आधारित पृष्ठ 187-189 को पुस्तक से हटा दिया गया है. इस अध्याय में लिखा गया था – “गुजरात में हुए दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है. यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा है.”
अध्याय में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक बयान भी शामिल है, जिसमें उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राज धर्म का पालन करने की सलाह दी थी.
एनसीईआरटी ने अपने नोट में कहा कि इन विषयों को अन्य पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है, इस तरह से पाठ अतिव्यापी था. जिसने, वीडियो को रातों-रात सनसनी फैला दी थी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इस पर जोर दिया गया है. इसलिए एनसीईआरटी ने सभी किताबों को युक्तिसंगत बनाने का फैसला करते हुए ये कदम उठाया है.
दंगों के अलावा, नक्सल आंदोलन के इतिहास पर आधारित पृष्ठ 105 पर जबकि एक पाठ और आपातकाल के दौरान संघर्ष से संबंधित पृष्ठ 113-117 को भी पाठ्यक्रम से निकाला गयाहै.
बता दें कि नरेंद्र मोदी और उनकी तत्कालीन सरकार 2002 के गुजरात दंगों को लेकर हमेशा सवालों के घेरे में रही है. सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगे. कई मामले दर्ज कर जांच भी की गई. हालांकि इन मामलों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिल गई थी. इन दंगों में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू मारे गए थे.