यूपी चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टीयो की ओर अपने अपने क्षत्रपों को को मैदान में उतारने का सिलसिला शुरू हो गया है। अमूमन सभी राजनीतिक पार्टियों ने ,प्रदेश के पहले दो चरणो के लिए अपने अपने उम्मीदवारो की लिस्ट जारी कर दी है। इसी क्रम में भाजपा ने भी पहले दो चरणों के लिये नामों की घोषणा कर दी है। इस सूची में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम भी है। लेकिन योगी तमाम कयासों से इतर ,गोरक्षनाथ धाम की परंपरागत सीट गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे। योगी के गोरखपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही सियासी सरगर्मी तेज़ हो गयी है। सियासी नभा नुकसान के तर्ज पर कई अनुमान लगाये जा रहे है। आइये जानते है कि योगी ने
आखिरकार ये फैसला क्यों किया?
गोरखपुर से चुनाव लड़ना ,योगी का ही फैसला।
पार्टी अलाकमान योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़वाना चाहती थी, इस बावत पार्टी ने समय रहते , योगी को मैसेज पहुँचवा दिया था। योगी के सामने मथुरा और अयोध्या से चुनाव लड़ने का विकल्प था, ताकि इन जगहों से चुनाव लड़ने का सांकेतिक मैसेज लोगों में जा सके। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के संगठन महासचिव वी एल संतोष को साफ साफ़ बता दिया था ,कि चुनाव लड़ने की सूरत में वो सिर्फ गोरखपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। इसके पीछे का तर्क साफ था कि गोरखपुर से चुनाव लड़ने की सूरत में वो पुरे प्रदेश पर ध्यान फोकस कर पाएंगे। साथ ही योगी को लगता था कि गोरखपुर से बाहर , अगर चुनाव लड़ा तो , विरोधी उनको घेरने के लिये संयुक्त उम्मीदवार दे सकता है। ऐसी स्थिति में उनके लिये पूरे प्रदेश के लिये समय निकालना मुश्किल हो सकता है।
गोरखपुर से चुनाव से लड़ने के पीछे और कई वजह
सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर सदर से लड़ाने का फैसला यूं ही नहीं है। यूपी की सबसे हॉट सीट बन चुकी गोरखपुर सदर सीट पर योगी के लड़ने के कई मायने हैं। जाहिर है, राजनीतिक निहितार्थ यही है कि गोरखपुर से लड़ते हुए योगी गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर सीधी नजर रखेंगे। अभी तक इन 41 सीटों पर ज्यादातर पर भगवा का ही कब्जा है और भाजपा 2022 में भी ये सभी सीटें बचाए रखना चाहती है। योगी की उम्मीदवारी इसी कवायद की एक कड़ी है।
गोरखपुर रहा है भाजपा का गढ़
गोरखपुर सदर सीट पर बीते 33 साल से भगवा का कब्जा है। खुद योगी आदित्यनाथ 1998 से 2017 तक गोरखपुर संसदीय सीट से अपराजेय रहे हैं। इस सीट की एक-एक विधानसभा पर योगी की खासी पकड़ है और वे गली-मोहल्ले तक के कार्यकर्ताओं, प्रभाव वाले लोगों से व्यक्तिगत तौर पर जुड़े हुए हैं। यहां से योगी की उम्मीदवार तय होने पर किसी को अचरज भी नहीं है क्योंकि जानकार मानते हैं कि गोरखपुर से योगी के लड़ने से गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। योगी की चुनावी रणनीति से वाकिफ लोग जानते हैं कि वे चुनावी बिसात बिछाने, उसे अमली जामा पहनाने के महारथी हैं।
गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर होने की वजह से है खास पकड़
चुनावी परिणाम और समीकरण को देखने से एक बात आइने की तरफ साफ हो जाती है कि जब कब
योगी , चुनावी समर में उतरते है, या किसी समर्थक के लिए उतरते हैं तो जाति समीकरण ध्वस्त हो जाते हैं। गोरखपुर सदर सीट पर वर्तमान में 4,53,662 मतदाता हैं, जिनमें 2,43,013 पुरुष और 2,10,574 महिला हैं। इस सीट पर 45 हजार से अधिक कायस्थ मतदाता हैं जबकि 60 हजार ब्राह्मण हैं। 15 हजार क्षत्रिय और 30 हजार के लगभग मुस्लिम मतदाता है। वैश्य मततदाता की संख्या भी 50 हजार से ज्यादा है। निषाद 35 हजार, दलित 20 हजार तो यादव 15 हजार बताए जाते हैं।
यूपी की 403 विधानसभा में एक गोरखपुर सदर विधानसभा 322 नंबर से जानी जाती है। 1989 में इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। पहली 1989 में भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी। तब से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है।
जब योगी ने भाजपा से नाराज होकर दिखाई थी ताकत
2002 में योगी भाजपा से रुष्ट हो गए थे। वह चार बार के विधायक शिव प्रताप शुक्ला को टिकट देने का विरोध कर रहे थे ,लेकिन भाजपा ने उन्हें नजरदांज कर दिया। तब योगी ने अपने चुनाव संचालक डॉ़ राधा मोहन दास अग्रवाल को निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा दिया। भाजपा की शिकस्त हो गई और राधा मोहन विधायक बन गए। यह दीगर बात है कि बाद में भाजपा योगी के सामने झुकी तो राधामोहन भाजपा में शामिल हो गए। वह लगातार चौथी बार जीते।
गोरखपुर सदर सीट पर 50% वोट भाजपा के
पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि गोरखपुर सदर सीट पर कुल पड़े वोट का 50 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल को 1,22,221 वोट यानी 55.85% प्रतिशत वोट मिले। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे सपा कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी राणा राहुल सिंह को 61, 491 यानी 28.10 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल को 49.19 प्रतिशत वोट हासिल हुए।