लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट तेज़ हो गई है. देश की अधिकतर मुस्लिम संस्थाए लगातार इसका विरोध करती नजर आ रही हैं. अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बाद देश की एक बड़ी मुस्लिम संस्था जमीयते उलेमाए के प्रमुख और राबेता अल आलेमुल इस्लामी के सदस्य मौलाना सैय्यद अरशद मदनी का बयान सामने आया है.
जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ‘हम यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करेंगे, लेकिन सड़कों पर नहीं उतरेंगे. उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद हिंदू और मुसलमान के बीच दूरी पैदा कर उन्हें एक दूसरे से दूर और उनको अलग करना है.’ मौलाना अरशद मदनी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग बताना चाहते हैं कि जो काम देश की आजादी के बाद से मुसलमानों के खिलाफ किसी भी सरकार ने नहीं किया, हमने वो चोट मुसलमानों को लगा दी है.
मौलाना अरशद मदनी ने कहा, यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर हम सड़कों पर नहीं उतरेंगे क्योंकि अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारे खिलाफ जो लोग हैं वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे और हम ऐसा नहीं चाहते. सियासी पार्टियां भी इस कोड को लेकर मान रही हैं कि यह सरकार का सियासी पहलू है, इसमें कोई हकीकत नहीं है.’
इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी एक बयान जारी कर यूनिफॉर्म सिविल कोड पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने कहा कि, “साल 2016 में यही लॉ कमीशन था जिसने कहा था कि अगले 10 साल तक यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सवाल करते हुए पूछा था कि ऐसे में अब लॉ कमीशन ने अपना नजरिया क्यों बदल लिया? बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव में इसे एक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है. जहां तक यूसीसी की बात है तो देश को इसकी जरूरत नहीं है.”
याद रहे कि लॉ कमीशन ने लोगों से विचार विमर्श करने की प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू कर दी है. वर्ष 2016 में भी लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता कानून को लेकर धार्मिक संगठनों, राजनैतिक दलों और सिविल सोसाइटी से राय मांगी थी, उस समय लोगों का मूड जान लेने के बाद लॉ कमीशन ने सरकार सुझाव देते हुए कहा था कि अगले दस साल तक यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात नहीं होनी चाहिए, यह कहते हुए यूसीसी के ड्रॉफ्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. मगर चुनाव आते ही एक बार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सुगबुगाहट को लेकर लोग इसे सरकार द्वारा राजनीति से प्रेरित कदम बता रहे हैं.