Sunday, October 6, 2024
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*संवैधानिकता और धर्मनिरपेक्षता ही आगे का रास्ता है*

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मो. अदीब,

अहमदाबाद आई एम सी आर अधिवेशन में पूर्व केंद्रीय मंत्री खुर्शीद ने मोदी सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल, पूर्व डिप्टी स्पीकर राज्य सभा के रहमान ने कहा।नफरत का बीज बोया जा रहा है

इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स (IMCR) पिछले 1 वर्ष से देश के विभिन्न राज्यों में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर चुकी है और आज 26 अगस्त 2023 को अहमदाबाद में पाल्डी स्थित रवीन्द्रनाथ टैगोर हॉल में एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय प्रतिनिधि अधिवेशन का आयोजन हुआ. कॉन्फ्रेंस के संयोजक, आई.एम.सी.आर के राष्ट्रीय संगठन महासचिव डॉक्टर आजम बेग एवं गुजरात प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष श्री वजीर खान पठान ने संयुक्त रूप से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि विभिन्न समुदायों के बुद्धिजीवी, एवं रिटायर्ड प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकारी व शिक्षाविद तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के राजनेता अधिवेशन में शरीक रहे.

इस अवसर पर अधिवेशन को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं लेकिन सबसे गंभीर चिंता का विषय संविधान और धर्मनिरपेक्षता को लेकर है जिसे गंभीर चुनौतियों का सामना है लोकसभा में और राज्यसभा में जिस तरह से मुद्दों से भटकाने की कोशिश की जा रही है और अपोजीशन की आवाज को दबाया जा रहा है यह भी एक बड़ी समस्या है

राज्यसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर के. रहमान ने कहा कि इस समय जिस तरह की राजनीति की जा रही है वह देश के लिए बहुत खतरनाक और धर्मनिरपेक्षता के लिए खुला चैलेंज है देश की आम जनता समस्याओं से बुरी तरह त्रस्त है लेकिन ऐसे समय में भी चुनाव जीतने मात्र के लिए संविधान तक को दांव पर लगा दिया गया गया है। सभा को संबोधित करते हुए प्लानिंग कमीशन की पूर्व सदस्य सैय्यदा साय्येदैन हमीद ने कहा कि अब समय आ गया है जब महिलाओं को भी हर जुल्म और ज्यादती के विरोध में खड़ा होना होगा और जो कुछ गुजरात में हुआ है ऐसा शायद ही कहीं हुआ हो विशेष रूप से बिलकीस बानो केस के मुलजिमों की रिहाई पर और फिर उनका सम्मान किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कि हम ने ऐसे समाज की कल्पना नहीं की थी उन्होंने मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया और इसे देश के एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया

समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आज़मी ने संविधान को लेकर कहा कि हमारे लिए देश सर्वोपरि होना चाहिए और समाज के किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय या नाइंसाफी होती है तो उसके लिए उठ खड़े होना चाहिए इससे बुरा समय शायद ही कभी देश पर आया हो जहां समुदाय विशेष के विरोध में सत्ता के संरक्षण में

असामाजिक तत्व संगठित होकर सड़कों पर संविधान विरोधी और समाज विरोधी नारे लगाए महिलाओं के साथ खुलेआम ज्यादतियां हों और सत्ता पक्ष खामोश बैठा रहे हमें सबको मिलकर देश की एकता और अखंडता के लिए एकजुट होना चाहिए

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लोकतंत्र के चीर हरण की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के करीबी अधिकारी नए संविधान की वकालत कर रहे हैं. गुजरात विधानसभा के सदस्यों और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी भी सम्मेलन को संबोधित किया. .पूर्व सांसद और आई.एम.सी.आर के अध्यक्ष मो. अदीब ने कहा कि संवैधानिकता और धर्मनिरपेक्षता ही आगे का रास्ता है. इसके बगैर देश आगे नहीं बढ़ सकता है.

अधिवेशन के संयोजक श्री वजीर पठान और सह संयोजक नासिर खान द्वारा सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया

धन्यवाद भाषण में गुजरात अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पठान ने आई एम सी आर को समय की आवाज और आवश्यकता बताते हुए आम जन को इन जैसे संगठनों को मजबूत करने और संगठित होकर संविधान और देश को बचाने के लिए आगे आने को कहा सहसंयोजक श्री मिर्जा असलम बैग ने भी अधिवेशन में पधारे सभी अतिथियों और गणमान्य नागरिकों और उपस्थित श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और गुजरात के सभी जिलों से पधारे प्रतिनिधियों को आश्वस्त करते हुए कहा की जब भी आई एम सी आर का प्रदेश स्तरीय संगठन बनेगा प्रदेश के सभी बुद्धिजीवीयों,सिविल सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्यों और सभी तरह के राजनीतिक दलों को साथ लेकर आम सहमति से धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा

डॉक्टर आजम बैग

राष्ट्रीय संगठन महासचिव आई एम सी आर,नई दिल्ली

इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स ने सांप्रदायक माहौल और नफरती बयानों पर गहरी चिंता व्यक्त की

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अहमदाबाद में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय सम्मेलन के लिए आयोजक एवं संयोजक गुजरात अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी प्रदेश अध्यक्ष वजीर पठान और सहसंयोजक नासिर पठान एवं मिर्जा असलम बैग तथा संगठन महासचिव डॉ. आजम बेग का संयुक्त बयान, कॉन्फ्रेंस की तैयारी के लिए आज सुबह अहमदाबाद पहुंचे डॉक्टर आजम बेग.

उन्होंने कहा ,26 अगस्त को सुबह 10 बजे अहमदाबाद के टैगोर हॉल में पूर्व केंद्रीय मंत्री, शिक्षा विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी और नागरिक समाज की महत्वपूर्ण हस्तियां भाग लेंगे.

अहमदाबाद (गुजरात): इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स (आईएमसीआर) नफरत भरे भाषण और सांप्रदायिक बयानों पर गहरी चिंता व्यक्त करता है, संगठन का मानना है कि चुनाव जीतने के लिए इस तरह के नफरत भरे भाषण समाज में जहर घोल रहे हैं, आपसी भाईचारे के लिए चिंता का विषय हैं. ये विचार आईएमसीआर द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा के लिए अहमदाबाद पहूंचे संगठन महासचिव डॉ. आजम बेग ने व्यक्त किये.

उन्होंने कहा कि इस वक्त देश गंभीर दौर से गुजर रहा है. देश के संविधान की हत्या करने की कोशिश की जा रही है. विपक्षी सदस्यों को सदन में बोलने से रोका जा रहा है. संसद में जनता के मुद्दों पर चर्चा की बजाय विपक्षी नेताओं का मजाक उड़ाया जा रहा है. विपक्षी नेताओं के लिए सरकार से सवाल पूछना मुश्किल हो रहा है. अब सदन में न तो महंगाई पर चर्चा होती है और न ही बेरोजगारी पर. मणिपुर पर केंद्र सरकार का व्यवहार बड़ा सुरक्षा ख़तरा बन गया है. सरकार का रवैया न सिर्फ दुखद है बल्कि भविष्य में सुरक्षा के लिए भी समस्या बन सकता है.

कांफ्रेंस की तैयारियों का जायजा लेने अहमदाबाद पहुंचे डॉ. आजम बेग ने कहा कि यह समय देश और संविधान को चुनौतियों से बचाने का है. सुबह 10 बजे रवींद्र नाथ टैगोर हॉल में यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. जिस में लोगों को संविधान के साथ-साथ लोकतंत्र के अस्तित्व के बारे में जागरूक करने के लिए विचार विमर्श होगा. उन्होंने कहा कि संगठन का उद्देश्य राजनीतिक दलों के बीच एकता को बढ़ावा देना, वर्षों से जेल में बंद निर्दोष नागरिकों की पैरवी करना, संविधान की रक्षा करना और मीडिया, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के साथ-साथ मुस्लिम नेताओं के सकारात्मक उपयोग को बढ़ावा देना और उनकी पहचान के साथ-साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी मजबूत करना होगा.

सम्मेलन में भाग लेने वालों का जिक्र करते हुए डॉक्टर आजम बेग ने कहा कि इस सम्मेलन में पूर्व केंद्रीय मंत्री और जाने-माने वकील सलमान खुर्शीद, राज्यसभा के पूर्व उपसभापति और केंद्रीय मंत्री के रहमान खान, आईएमसीआर अध्यक्ष और पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब, गुजरात कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा सैयदेन हमीद, बसपा सांसद कंवर दानिश अली, गुजरात विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता और प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोडवाडिया. महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विधायक अबू आसिम आज़मी, सीपीआई राष्ट्रीय सचिव और पूर्व सांसद सैयद अजीज पाशा, एनसीपी प्रवक्ता और महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष नसीम अहमद सिद्दीकी, गांधीवादी विचारक प्रो. वी.के.त्रिपाठी, कांग्रेस नेता मुमताज अहमद पटेल और राष्ट्रीय संयोजक कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा एवं शिक्षाविद्, डॉ. आजम बेग, कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष एवं सम्मेलन संयोजक वजीर खान पठान, उपाध्यक्ष नासिर खान पठान, मिर्जा असलम बेग समेत देश-प्रदेश की प्रमुख हस्तियां संबोधित करेंगी.

भारत भारती द्वारा राष्ट्रीय एकात्मता पुरुस्कार 2023 से मोहम्मद इरफ़ान अहमद को किया गया सम्मानित

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नई दिल्ली: (संवाददाता) 22 अगस्त राष्ट्रीय एकात्मकता शिखर सम्मेलन 2023 डॉक्टर अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर जनपथ नई दिल्ली में भारत भारती के बैनर तले बहुत ही भव्य तरीक़े से आयोजित किया गया. इसका उद्घाटन माननीय केंद्रीय क़ानून मंत्री एवं संस्कृति मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप राज्यपाल दिल्ली सरकार विनय कुमार सक्सेना रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत भारती के कार्यकारी अध्यक्ष विनय पात्राले ने की. कार्यक्रम में विश्वस्तर के श्रेष्ठ एवं ज्येष्ठ महानुभावों का आगमन रहा, जिसमें सेना के पूर्व प्रमुख, आज़ाद हिन्द फ़ौज के पूर्व कमांडर (98 वर्षीय) माधवन जी, भारत सरकार के कई वरिष्ठ IAS अधिकारीगण, विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसर्स, कई वाइस चांसलर, उद्योगपतिगण इत्यादि महान विभूतियों ने शिरकत की.

इस कार्यक्रम में दिल्ली में रहने वाले 27 राज्यों तथा कई संघ शासित प्रदेशों ने हिस्सा लिया और 22 राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रम बहुत ही भव्य एवं सौंदर्य तरीक़े से आयोजित किए गए. कार्यक्रम को देखें तो ऐसा लग रहा था कि पूरा भारत एक ही छत के नीचे भाषाओं की विविधताओं, ख़ानपान, रहन सहन, पहनावा इत्यादि के अलग अलग होते हुए एक ही छत के नीचे एक परिवार की तरह “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की थीम पर संपन्न हुए जो बहुत ही गर्व की बात है कि इतनी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा मुझे भी बहुत ही सम्मान के साथ इस मंच से उतर प्रदेशीय जन समाज दिल्ली रजि. के उपाध्यक्ष तथा पसमांदा मुस्लिम समाज उत्थान समिति संघ के राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक के नाते और एहसान अब्बासी को राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते सम्मानित किया गया. उसी मंच से केंद्रीय मंत्री, उप राज्यपाल ने विश्व की महान विभूतियों को भी सम्मानित किया इसके लिए में भारत भारती के समस्त पदाधिकारियों का विशेष तौर पर सुभाष धावन, अंबर अग्रवाल, ओम्कारेश्वर पाण्डेय, जगन्नाथ कुंज बिहारी स्वाई, कल्पना पोपली, डा. महेश शर्मा पूर्व सांसद सहित सभी गणमान्य का ह्रदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ.

इस अवसर पर सेंट्रल हज कमेटी ऑफ़ इंडिया के पूर्व सदस्य इरफान अहमद ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह सब माता-पिता की दुआओं का नतीजा है और मैं आगे भी इसी तरह लोगों की सेवा खासकर गरीबों, अनाथों, पीड़ितों, विधवाओं तथा पसमांदा मुस्लिम समाज की सेवा करता रहूंगा और मेरा सभी से अनुरोध है कि जो लोग मुझसे प्यार करते हैं. मेरी सफलता के लिए प्रार्थना दुआ करते रहें.

ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब मथुरा की शाही ईदगाह पर नजर, ASI सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञान वापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण के बीच, अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई सर्वेक्षण) के द्वारा मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद की भी जानकारी मांगी है. खबरों के मुताबिक यह अर्जी श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि कथित शाही ईदगाह मस्जिद पर हिंदू समुदाय का अधिकार है. उन्होंने दावा किया है कि निर्माण के बाद मंदिर को नष्ट कर दिया गया था. याचिकाकर्ता ने आगे कहा है कि विवादित भूमि के संबंध में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और मस्जिद समिति द्वारा किए गए दावे की विश्वसनीयता का पता लगाने के लिए एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण आवश्यक है.

ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस सर्वे के बाद ही सही आंकड़े सामने आएंगे. जो मामले के एतबार से केस में मजबूती पैदा करेगा. अर्जी में कहा गया है कि विवादित भूमि के धार्मिक इतिहास और स्थल के धार्मिक महत्व को पूरी तरह से समझने के लिए एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण की जरूरत है. ताकि अतीत का ठीक से अध्ययन किया जा सके।

गौरतलब है कि इस साल जनवरी में ट्रस्ट ने अपने हित के साथ-साथ संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा का हवाला देते हुए सिविल जज, मथुरा के समक्ष मामला दायर किया था. इसमें अनुरोध किया गया कि इस स्थान पर कृष्ण जन्मभूमि को पुनर्स्थापित किया जाए. जहाँ वर्तमान में शाही मस्जिद ईदगाह स्थित है.

हालाँकि, शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मुकदमे के रखरखाव पर अपनी आपत्ति दर्ज की है, जिसमें कहा गया है कि मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत निषिद्ध है. कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने अपने अध्यक्ष आशुतोष पांडे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से मथुरा सिविल कोर्ट को वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आवेदन पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.

कैदियों के रिहाई के समझौते के बावजूद ईरान पर लगे प्रतिबंध रहेंगे बरकरार. बाइडेन प्रशासन का एलान

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वॉशिंगटन: अमेरिका का कहना है कि कैदियों की रिहाई के समझौते के बावजूद ईरान पर प्रतिबंधों में कोई कमी नहीं की जाएगी.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लैंकेन ने एक बयान में कहा कि ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का क्रियान्वयन का अमल जारी रहेगा. पांच अमेरिकी कैदियों की रिहाई पर समझौते के बाद भी ईरान पर लगे प्रतिबंधों को लेकर कोई कमी या राहत नहीं दी जाएगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की जेल में कैद अमेरिकियों की रिहाई के बदले बाइडेन प्रशासन ने ईरान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कथित तौर पर 10 बिलियन डॉलर की राशि शामिल है. ईरान ने चार अमेरिकी पुरुषों और एक महिला को जेल से रिहा कर दिया है और अब उन्हें एक घर में नजरबंद कर दिया है, उम्मीद है कि अमेरिकियों को जल्द ही निर्वासित कर उनके वतन भेज दिया जाएगा.

इससे पहले अमेरिका में विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन ने कहा था कि तेहरान में कैद 5 अमेरिकियों की रिहाई के बदले ईरान के 6 अरब डॉलर फंड को अनफ्रीज करना राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन की कायरता को साफ दर्शाता है. याद रहे कि व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि ईरान में कैद 5 अमेरिकियों की रिहाई उत्साहवर्धक है और अब उनके अमेरिका वापस लौटने की उम्मीद की जा सकती है. माना जा रहा है कि इन पांचों अमेरिकियों की रहाई 6 अरब डॉलर फंड से जुड़ी हुई है.

इजरायल का फिलिस्तीन के लिये नियुक्त सऊदी सफारती दफ्तर देने से इंकार, पहली बार सऊदी ने नियुक्त किया दूत

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येरूशलम: इजरायल ने फिलिस्तीन में सऊदी अरब के विशेष दूत को येरूशलम में कार्यालय स्थापित करने की इजाजत नहीं दी है और कहा है कि विशेष दूत को दूसरे देश में बैठकर राजनयिक सेवाएं देनी होंगी.

अरब मीडिया के अनुसार, सऊदी अरब ने जॉर्डन में अपने राजदूत नाइफ अल-सुदैरी को फिलिस्तीन के लिए एक अनिवासी विशेष दूत के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपी हैं. इसके बाद, उन्होंने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के राजनयिक सलाहकार माजदी अल-खालिदी को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया.

इस नए घटनाक्रम पर इजरायली विदेश मंत्री एली कोहेन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सऊदी अरब द्वारा नियुक्त राजनायिक नायेफ अल-सुदैरी फिलिस्तीनी प्राधिकरण के प्रतिनिधियों से मिल सकते हैं, लेकिन उन्हें येरूशलम में राजनायिक कार्यालय बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

यह याद रखना चाहिए कि परंपरागत रूप से फिलिस्तीन के लिए राजनायिक मामलों को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में सऊदी अरब के दूतावास से ही नियंत्रित किया जाता है, लेकिन पहली बार अब एक विशेष दूत नियुक्त किया गया है.

पिछले साल अरब देशों के साथ इजराइल के राजनायिक संबंधों की बहाली के बाद से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में सऊदी-इजरायल वार्ता चल रही है.

फ़िलिस्तीन के लिए सऊदी अरब के विशेष दूत नाइफ़ अल-सुदैरी की नियुक्ति को भी इसी संदर्भ में देखा गया था, लेकिन इज़राइल की ओर से एक अप्रत्याशित प्रतिक्रिया देखी गई है.

गौरतलब है कि इज़राइल तेल अवीव के बजाय यरूशलेम को अपनी राजधानी के रूप में दावा करता है, जिसे 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों ने मान्यता दी थी और अपने दूतावासों को तेल अवीव से यरूशलेम में शिफ्ट कर दिया था.

फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी भी यरूशलेम को अपनी राजधानी होने का दावा करता है, जिससे यह एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है. सऊदी अरब फ़िलिस्तीन के लिए अपने दो-देश समाधान के लिए प्रतिबद्ध है.

नूह हिंसा के बाद फिर निकलेगी बृजमंडल यात्रा, पलवल महापंचायत में फैसला, जमकर हुई हेट स्पीचेज़

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हरियाणा में पलवल के पोंडरी में हिंदू समाज की तरफ से रविवार को पलवल-नूंह बॉर्डर पर महापंचायत हुई. जिसमें यह फैसला लिया गया कि नूह हिंसा के बाद फिर बृजमंडल यात्रा निकाली जाएगी, जिसको लेकर तैयारियां तेज़ कर दी जाएं. दरअसल यह महापंचायत सभा का उद्देश्य विश्व हिंदू परिषद के जुलूस को फिर से शुरू करने पर चर्चा करना था.

पोंडरी में हुई हिंदू महापंचायत में मुसलमानों के खिलाफ जमकर भड़काऊ बयानबाजी की गई. हरियाणा गौ रक्षक दल के नेता आचार्य आजाद शास्त्री ने फिर हिंसा भड़काने वाला बयान दिया. अपने भड़काऊ भाषण में उन्होंने मेवात में 100 हथियारों के लाइसेंस दिए जाने की मांग भी रखी. आचार्य आजाद शास्त्री ने इसे “करो या मरो की स्थिति” कहा और युवाओं से हथियार उठाने पर ज़ोर दिया. शास्त्री ने कहा, “हमें तुरंत मेवात में 100 हथियारों का लाइसेंस लेना सुनिश्चित करना चाहिए, बंदूकों का नहीं, बल्कि राइफलों का, क्योंकि राइफलें लंबी दूरी तक फायरिंग कर सकती हैं. इस देश का विभाजन हिंदू – मुस्लिम के आधार पर हुआ था. यह गांधी के कारण ही था कि ये मुसलमान मेवात में रुके रहे.”

साथ ही आचार्य आजाद शास्त्री ने युवाओं से एफआईआर से न डरने को भी कहा. उन्होंने कहा, “हमें एफआईआर से डरना नहीं चाहिए. मेरे खिलाफ भी एफआईआर हैं लेकिन हमें डरना नहीं चाहिए.” हालांकि इस महापंचायत को विश्व हिंदू परिषद की बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा फिर से शुरू करने की तैयारियों पर चर्चा करने के लिए अनुमति दी गई थी.

याद रहे कि यात्रा 31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसक झड़पों के कारण बाधित हो गई थी. यात्रा में शामिल विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में हथियारों से लैस थे, यात्रा से पहले जुनैद और नासिर की हत्या के आरोपी मोनू मानेसर और बजरंग दल नेता बिट्टू बजरंगी के विवादित वीडियो वायरल हुए थे. जिसे लेकर नूह के स्थानीय नेताओं और लोगों ने प्रशासन से तुरंत नोटिस लेने का आग्रह किया था. मगर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के बीच निकली यात्रा और उसमें वीएचपी महासचिव सुरेंद्र जैन के भड़काऊ भाषण के बाद हिंसक झड़प का शिकार हो गई थी, जिसके बाद हरियाणा के कई शहरों में तनाव फैल गया था और इन झड़पों में एक इमाम समेत 6 लोगों की मौत, 100 के करीब लोग घायल हो गए थे.

हालांकि पलवल के एसपी लोकेंद्र सिंह ने महापंचायत की अनुमति देने से पूर्व साफ कहा था कि इस दौरान विवादित भाषण नहीं दिए जाएंगे. उनकी टीम हर व्यक्ति पर नजर रखेगी और किसी भी गलत हरकत पर लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सभा के लिए अनुमति देने के फैसले की पुष्टि पलवल के पुलिस अधीक्षक ने की.

ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे रहेगा जारी, HC से मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, कहा- न्याय के लिए यह जरूरी

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मस्जिद इनाजामिया कमेटी की अर्जी को खारिज करते हुए ASI सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने ASI के एक अधिकारी से भी यह समझने की कोशिश की है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद की इमारत को बिना कोई नुक़सान पहुँचाए वैज्ञानिक सर्वे हो सकता है या नहीं. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि न्याय के लिए सर्वे होना जरूरी है. साथ ही ASI सर्वे को तत्काल प्रभाव से प्रभावी कर दिया है.

हालांकि मुस्लिम पक्ष ने सर्वे से ढांचे को नुकसान होने की आशंका जताई थी, जिसके बाद ASI की ओर से एक एफिडेविट दाखिल कर कहा गया था कि सर्वे से कोई नुकसान नहीं होगा. ASI ने यह भी कहा कि अगर खुदाई करने की जरुरत हुई तो उसके लिए पहले कोर्ट से इजाजत ली जाएगी. कोर्ट के फैसले के बाद अब कभी भी ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे शुरू किया जा सकता है. हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन के मुताबिक कोर्ट ने इस बात को भी माना है कि सर्वे को किसी भी स्टेज पर शुरू किया जा सकता है.

दरअसल, 21 जुलाई को मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी का सर्वे कराए जाने के जिला अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की बात को सुनते हुए ASI सर्वे पर अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा था. जिन पर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में मस्जिद के ढांचे को नुकसान होने की बात कहकर सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गया है.

बता दें कि मुस्लिम पक्ष का यह भी कहना है कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत 15 अगस्त 1947 के पहले बने किसी भी धार्मिक स्थल को संरक्षित किया जाएगा और उसके चरित्र को बदलने की कोशिश नहीं की जाएगी. अगर सर्वे में खुदाई होती है तो वो इस क़ानून का उल्लंघन होगा.

मुस्लिमानों की मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट का 6 राज्यों को नोटिस, मांगा जवाब

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सुप्रीम कोर्ट ने देश में मुसलमानों के खिलाफ गोरक्षकों द्वारा मॉब लांचिंग और हिंसा की बढ़ती घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार समेत छह राज्यों के पुलिस प्रमुखों को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है. सुप्रीम अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह नोटिस जारी किए हैं. याचिका में पिछले छह महीने में सामने आए मामलों को लेकर पीड़ित परिवारों को मुआवजा़ भी दिलाए जाने मांग की गई थी. जिसपर भी सुनवाई के लिए सुप्रीम अदालत तैयार हो गयी है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की तरफ से दायर याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई की. याचिका में तहसीन पूनावाला मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर चिंता जताई गई है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से सभी राज्यों को 2018 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप कार्रवाई करने का आदेश देने की भी मांग की गई है.

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ ही 6 राज्यों हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा और महाराष्ट्र के पुलिस प्रमुखों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे. महिला संगठन ने मॉब लिंचिंग में पुरुषों की हत्या के बाद उनके पीछे छूट गई परिवार की महिलाओं का मुद्दा उठाया है. याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से मामले को हाई कोर्ट में न भेजने का अनुरोध किया.

याद रहे कि पिछली बार कपिल सिब्बल सुप्रीम अदालत पहुंचे थे, तब उनसे ने उच्च न्यायालयों में जाने के लिए कहा गया था. सिब्बल ने कहा, ‘‘अगर ऐसा हुआ तो मुझे विभिन्न हाई कोर्ट में जाना पड़ेगा, लेकिन पीड़ितों को क्या मिलेगा? दस साल बाद दो लाख का मुआवजा. इसके बाद बेंच ने सुनवाई की मांग मंजूर करते हुए सिब्बल से कहा कि वह याचिका पर संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर रही है.

झारखंड: हाईटेंशन तार की चपेट में आया ताज़िया, 13 झुलसे, 4 की मौत

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झारखंड के बोकारो में मोहर्रम के जुलूस के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया. शनिवार सुबह मुहर्रम का जुलूस निकालने के दौरान 11000 वोल्ट की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से ताज़िये में लगी बैटरी में ब्लास्ट हो गया. जिससे लोगों में अफरा तफरी मच गई. इस दौरान 13 लोग बुरी तरह झुलस गए जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई जबकि 9 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. सभी को प्राथमिक उपचार के बाद बोकारो भेजा गया है.

खबरों के मुताबिक बोकारो के बेरमो इलाके के खेतको में घटना शनिवार सुबह करीब 6:00 बजे हुई. मुहर्रम में आशूरा के दिन लोग ताजिया लेकर जा रहे थे इस दौरान सभी 11000 वोल्ट के तार की चपेट में आ गए, और ताज़िये लगी बैटरी ब्लास्ट कर गई, जिसमें 13 लोग बुरी तरह झुलस गए. घायलों को तत्काल डीवीसी बोकारो थर्मल अस्पताल इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. अस्पताल में एम्बुलेंस मौजूद नहीं रहने को लेकर लोगों ने काफी हंगामा किया. इस दौरान 4 लोगों ने दम तोड़ दिया, जबकि 9 लोगों की हालत नाज़ुक बनी हुई है.