Monday, December 9, 2024
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महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी-मुस्लिम महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए: जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द

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नई दिल्ली, 20 सितम्बर: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित महिला आरक्षण विधेयक की बहुत जरूरत थी. अपितु, विधेयक में ओबीसी और मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए. मीडिया को जारी किए गए एक बयान में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘एक मजबूत लोकतंत्र के लिए, सभी समूहों और वर्गों के लिए शक्ति के साझाकरण में प्रतिनिधित्व पाना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा ‘आज़ादी के 75 साल बाद भी, संसद और हमारी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी निराशाजनक है. उनकी संख्या को अनुपात तक लाने का प्रयास किया जाना चाहिए’. महिला आरक्षण विधेयक इस दिशा में एक अच्छा कदम है. दप्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘यह काफी पहले आ जाना चाहिए था. अपने वर्तमान स्वरूप में विधेयक का मसौदा ओबीसी महिलाओं और मुस्लिम महिलाओं को बाहर करके भारत जैसे विशाल देश में गंभीर सामाजिक असमानताओं को संबोधित नहीं करता है’.

हालाँकि इस कानून में एससी और एसटी की महिलाओं को शामिल किया गया है, लेकिन इसमें ओबीसी और मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को नजरअंदाज किया गया है. जस्टिस सच्चर समिति की रिपोर्ट (2006), पोस्ट-सच्चर मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट (2014), विविधता सूचकांक पर विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट (2008), भारत अपवर्जन रिपोर्ट (2013-14), 2011 की जनगणना और नवीनतम एनएसएसओ जैसी विभिन्न रिपोर्ट और अध्ययन रिपोर्ट सुझाव देते हैं कि भारतीय मुसलमानों और खासकर मुस्लिम महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक सूचकांक काफी कमी है. संसद और राज्य विधानसभाओं में मुसलमानों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व लगातार घट रहा है। यह उनकी जनसंख्या के आकार के अनुपातिक नहीं है।”

प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, “प्रस्तावित आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन अभ्यास के बाद ही लागू होगा. यानी बिल का फायदा 2030 के बाद ही मिल सकेगा. इस प्रस्ताव के समय से ज़ाहिर होता है कि इसे आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर लाया गया है इसमें गंभीरता की कमी है। असमानता दूर करने के कई तरीकों में से एक है. सकारात्मक कार्रवाई (आरक्षण), महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं को नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण होगा और “सब का साथ, सबका विकास” की नीति के अनुरूप नहीं होगा.”

ईरान में महिलाओं के ड्रेस कोड पर बिल पारित, उल्लंघन करने पर 10 साल की सज़ा का प्रावधान

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तेहरान: ईरान में इस्लामी इंकलाब की जड़ों को मजबूती प्रदान करने के मकसद से और बार बार महिला ड्रेस कोड को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ईरान की संसद ने एक ऐसा बिल पारित किया है, जिससे ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वाली लड़कियों और महिलाएं को अधिकतम 10 साल तक की सजा हो सकती है. ये बिल गार्डियन काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद कानून की शक्ल ले लेगा.

बता दें कि पिछले साल 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे. हालांकि ईरान ने इन विरोध प्रदर्शनो को अमेरिका और यूरोप द्वारा प्रायोजित साजिश करार देते हुए सीधे सीधे इन देशों को जिम्मेदार करार दिया था.

महसा को कथित तौर पर हिजाब पहनने के नियम के उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया था, ईरानी पुलिस का दावा है कि महसा की मौत बीमारी के सबब हुई थी जबकि प्रदर्शनकारी इसे पुलिस प्रताड़ना से हुई मौत करार देते रहे.

वहीं, देश में ऐसी महिलाओं और लड़कियों की संख्या बढ़ रही है जो अब हिजाब को ना सिर्फ पहनती हैं बल्कि उसे बढ़ावा देने के लिए सरकार पर बराबर कानून बनाने का भी दबाव डालती रही है. मौजूदा समय में, अगर लड़कियां या महिलाएं ड्रेस कोड का पालन नहीं करती हैं तो उन्हें 10 दिन से लेकर दो महीने तक की जेल हो सकती है.

बुधवार को सांसदों ने ‘हिजाब और चेस्टिटी बिल’ विधेयक पारित किया. अगर ये बिल कानून बनता है तो इसका उल्लंघन करने वाली लड़कियों और महिलाओं पांच से 10 साल तक की सजा हो सकती है.

गौरतलब है कि ईरान एक इस्लामी देश है, जो अपने देश में इस्लामी शरिया को ध्यान में रखते हुए बराबर इस तरह की क़ानून बनाने की कोशिश में रहा है ताकि ईरान में मुसलमान अपनी शरीयत के अनुसार इस्लामी उसूलों का पालन कर सकें.

महिला आरक्षण बिल को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी, मंगलवार को ही संसद में हो सकता है पेश

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संसद के विशेष सत्र के बीच सोमवार को मोदी कैबिनेट ने बड़ा कदम उठाते हुए महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लोकसभा और विधानसभाओं जैसी निर्वाचित संस्थाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण को मंजूरी दे दी गई है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महिला आरक्षण बिल को 19 सितंबर यानी मंगलवार को संसद में पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि दोपहर एक बजे के बाद इसे लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है. सरकार की कोशिश है कि इसे व्यापक चर्चा के बाद बुधवार को पास करवा लिया जाए.

इससे पहले संसद का विशेष सत्र शुरू होने से ठीक पहले सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सत्र छोटा है लेकिन समय के हिसाब से बहुत बड़ा, मूल्यवान और ऐतिहासिक निर्णयों का है.

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में कांग्रेस, बीजू जनता दल और भारत राष्ट्र समिति सहित कई दलों ने महिला आरक्षण बिल को पेश करने की सरकार से मांग की थी.

बता दें कि महिला आरक्षण बिल पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की सरकार के समय 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था. तब से लेकर अब तक ये बिल 27 वर्षों से ज्यादा समय से लंबित है. इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 15 साल के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करना है.

उसके बाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में इस बिल को आगे बढ़ाया, लेकिन ये फिर भी पारित नहीं हुआ. यूपीए-1 की सरकार के दौरान 6 मई, 2008 को इस विधेयक को राज्यसभा में दोबारा पेश किया गया. महिला आरक्षण विधेयक 9 मई, 2008 को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया. स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट 17 दिसंबर, 2009 को प्रस्तुत की गई. केंद्रीय कैबिनेट ने फरवरी 2010 में इस विधेयक को मंजूरी दे दी. इसके बाद 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा से पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में लंबित था.

ईरान द्वारा छोड़े गए सभी पाँच अमेरिकी क़ैदी पहुंचे क़तर, छह अरब डॉलर की डील के बाद मिली रिहाई

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ईरान में सालों तक जेल में बंद रहने वाले सभी पाँच अमेरिकी कैदी रिहाई के बाद क़तर पहुंच गए हैं. ये सभी पाँचों कै़दी ईरान की एविन जेल में बंद थे. जिन पाँच अमेरिकी क़ैदियों को रिहा किया गया है उनमें 51 साल के सियामक नमाज़ी, 58 वर्षीय एमाद शार्गी, 67 साल के मुराद तहबाज़, 51 वर्षीय अहमदरेज़ा जलाली और 68 वर्षीय नाहिद तघावी शामिल हैं.

इससे पहले कुछ तस्वीरों में इन पाँच अमेरिकी कैदियों को तेहरान इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मौजूद क़तर के विमान तक अधिकारियों के साथ जाते हुए देखा गया. अब इन क़ैदियों के दोहा पहुंचने की तस्वीरें भी सामने आ गई हैं.

याद रहे कि ये रिहाई उस सौदे के तहत हुई है, जिसमें अमेरिकी जेलों में बंद पाँच ईरानी नागरिकों को भी छोड़ा जाना है. और अमेरिका – ईरान के बीच क़ैदियों की इस अदला-बदली सौदे में क़तर ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई है.

इस बीच समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस मामले जुड़े कुछ अधिकारियों के हवाले से बताया है कि सभी पाँचों कैदी पूरी तरह से स्वस्थ और ठीक हैं. रॉयटर्स ने यह भी दावा किया है, सौदे की यह रकम अब क़तर के ख़ातों में डाल दी गई है.

इससे पहले ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनान ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान बताया कि पाँच अमेरिकी नागरिकों को आज ईरान रिहा कर रहा है और बदले में अमेरिकी जेलों में बंद पाँच ईरानियों को भी रिहा किया जाएगा.

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती, बहाली अधिसूचना रद्द करने की मांग

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाली को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. वकील अशोक पांडे की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि एक बार संसद या विधानसभा के सदस्य पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के अंतर्गत अगर कानून के तहत कार्रवाई कर दी जाए तो वह तब तक अयोग्य ही रहेगा जब तक कि वह किसी बड़ी अदालत उसे आरोपों से बरी न कर दे. याचिका में यह भी मांग की गई कि कोर्ट को चुनाव आयोग को वायनाड सीट पर फिर से चुनाव कराने का निर्देश देना चाहिए.

याद रहे कि ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में चार अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी. सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी कर उनकी सजा पर रोक लगा दिया था. जिसके के बाद सात अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी बहाल कर दी थी.

गौरतलब है कि ‘मोदी सरनेम’ को लेकर साल 2019 में राहुल गांधी ने एक टिप्पणी की थी, जिसके चलते उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर हुआ था. इस मामले में सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को दोषी माना और उन्हें दो साल की सजा सुनाई. दो साल की सजा मिलने के चलते जनप्रतिनिधि कानून के प्रावधान के तहत राहुल गांधी को 24 मार्च 2023 को संसद सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया. हालांकि सजा के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने भी राहुल गांधी की सजा बरकरार रखा था, जिसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. जहां सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी.

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के फैसले को सुरक्षित

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जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार द्वारा रातों रात हटाए गए धारा 370 मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधानिक पीठ ने 16 दिन चली ज़ोरदार बहस के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है. दरअसल 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू – कश्मीर को धारा 370 के तहत हासिल विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था. साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेश – जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फैसला लिया गया था. बता दें कि अनुच्छेद 370 के तहत ही जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने सबसे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुहम्मद अकबर लोन के हलफनामे पर चर्चा की.जिसके जवाब में सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें अकबर लोन का हलफनामा कल रात मिला है. उसमें साफ दिख रहा है कि जब आतंकी हमला हुआ था, तो लोन की सहानुभूति सिर्फ आतंकियों और सिविलयन लोगों के लिए थी. उन्होंने भारत का जिक्र ऐसे किया है, जैसे ये कोई विदेशी देश हो. तुषार मेहता ने आगे कहा कि लोन के हलफनामे में ये बात होनी चाहिए कि वो इस बयान को वापस ले रहे हैं, वो आतंक का समर्थन नहीं करते हैं, वो किसी अलगाववादी गतिविधि का समर्थन नहीं करते हैं और इस देश का कोई नागरिक ऐसी बात नहीं कर सकता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की इस संवैधिक बेंच में भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत जैसे जजेज़ शामिल हैं. संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित थी.

*विख्यात शिक्षाविद डॉ. आज़म बेग का ब्रिटिश संसद में संंबोधन, शैक्षणिक एवं सामाजिक सेवाओं के लिए हाउस ऑफ कॉमनस,लंदन में होगा सम्मान*

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/प्रेस नोट/

*विख्यात शिक्षाविद डॉ. आज़म बेग का ब्रिटिश संसद में संंबोधन, शैक्षणिक एवं सामाजिक सेवाओं के लिए हाउस ऑफ कॉमनस,लंदन में होगा सम्मान*।

*कोटा से लेकर जयपुर तक जश्न का माहौल*

कोटा, 05, सितंबर –

कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय संयोजक, इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स के महासचिव (संगठन), अलीगढ़ विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं राजस्थान मदरसा बोर्ड के पूर्व महासचिव और JLN एजुकेशनल ग्रुप राजस्थान के संस्थापक निदेशक डॉक्टर आजम बेग हाउस ऑफ कॉमन्स में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए लंदन रवाना हो गए हैं. लंदन रवाना होने से पहले उनके सम्मान में कोटा से लेकर जयपुर तक लोगों में उनके प्रति काफी जोश देखा गया.

इस मौके पर डॉक्टर आजम बेग ने कहा, हम दुनिया के किसी भी मुल्क में चल जाएं, लेकिन भारत की मिट्टी में जो खुशबू बसी है वह कहीं और नहीं मिलती, उन्होंने कहा कि हमने दुनिया के कई देशों को देखा है, लोगों से मिला हूं लेकिन जो स्नेह और अपनाइयत यहां के लोगों में है, वो दुनिया के किसी और हिस्से में देखने को भी नहीं मिलती है, उन्होंने कहा कि हम राजस्थान ही नहीं देश का मान और सम्मान बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि हाउस ऑफ कॉमन्स में मिलने वाला सम्मान सिर्फ मेरा ही नहीं यह पूरे राजस्थान का सम्मान है और अपने राज्य और देश का गौरव बढ़ाने का हौस्ला आपकी दुआओं और स्नेह से मिल रहा है.

लंदन रवाना होने से पहले जगह जगह डॉ. आज़म बेग पर फूलों का हार डाल कर, कहीं,कहीं शॉल पहना कर कहीं पगड़ी पहना कर और कहीं आतिशबाजी करके उनका स्वागत किया गया. श्यामपुरा रोड स्थित सांगोद न्यू कैंपस से पुराने केंपस पहुंचे डॉ. बेग का स्टाफ के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा माल्यार्पण किया गया, इस दौरान जोल्पा रोड स्थित जेएलएन केंपस से दर्जनों गाड़ियों के साथ डॉ. बेग का काफिला जेएलएन संस्कार एकेडमी स्कूल पहुंचा, जहां छोटे-छोटे बच्चों ने उनके स्वागत में गीत गाकर उनका सम्मान किया. फिर डॉ. बेग का काफिला जवाहर पब्लिक स्कूल पहुंचा, जहां स्कूल स्टाफ के वरिष्ठ सदस्यों तथा छात्र छात्राओं ने पूरी आत्मीयता के साथ डॉ. बेग की गुल पोशी की. इस दौरान डॉ. अशरफ बेग द्वारा शॉल और पगड़ी पहनाई गई, उसके बाद अमन मिर्जा द्वारा 51 किलो की माला पहना कर जोरदार स्वागत किया गया. कोटा पहुंचने पर भी विभिन्न सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा डॉक्टर आजम बैग का स्वागत किया गया यहां पाटन पोल स्थित स्कूल में शिक्षा मित्र सर्वोदय एजुकेशनल ग्रुप के निर्देशक ए जी,मिर्जा और उनकी टीम सदस्यों द्वारा छात्र छात्राओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया जहां डॉक्टर आजम बैग को शॉल और माला पहनाकर सम्मानित किया गया उसके बाद विज्ञान नगर स्थित पैरामाउंट इंग्लिश मीडियम स्कूल में स्कूल के निदेशक डॉक्टर अजहर ओर मजहर मिर्जा द्वारा 21 किलो की माला पहनकर स्वागत

सतकार किया गया और डॉक्टर फरीदा बैग सहित डॉक्टर आजम बैग को भी 21 किलो की माला पहना कर मुबारकबाद पेश की गई।

यहां इंजीनियर खलीलुद्दीन, साजिद जावेद, शकील मिर्जा ए जी मिर्जा सहित शहर की अनेक गणमान्य हस्तियां मौजूद रही

गौरतलब है कि डॉ. आज़म बेग को 7 सितंबर को ब्रिटिश संसद हाऊस ऑफ़ कॉमन्स में आयोजित एक भव्य समारोह में उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्य को देखते हुए न सिर्फ सम्मानित किया जाएगा, बल्कि इस दौरान वो संसद सदस्यों और दुनिया भर से पहुंचे विशेष अतिथियों को संबोधित भी करेंगे. इसके अलावा डॉ. बेग की ब्रिटेन यात्रा को देखते हुए ब्रिटिश अलीग बिरादरी ने उनके सम्मान में कई प्रोग्राम आयोजित किए हैं, जिसमें वो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हालात पर चर्चा करेंगे. डॉ. बेग का ब्रिटेन में मौजूद इंडियन मुस्लिम ब्रिटिश काउंसिल के ओहदेदारों से भी मुलाकात का प्रोग्राम है. डॉ. बेग की स्वदेश वापसी 13 सितंबर को होगी.

उज़मा बैग

को – ऑर्डिनेटर, मीडिया हेड

जे.एल.एन ग्रुप ऑफ एजुकेशन इंस्टीट्यूशन, सांगोद,कोटा

अल शिफा अस्पताल की डॉ. इरम खान ने पेट से 22 किलो का ट्यूमर निकाला, युवाओं में फास्ट फूड का बढ़ता चलन खतरनाक बीमारियों का कारण: डॉ. इरम खान

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नई दिल्ली: जामिया नगर का अल शिफा अस्पताल इन दिनों एक बेहद कठिन सफल ऑपरेशन के कारण चर्चा में है, अल शिफा अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की सर्जन डॉ. इरम खान ने एक महिला के पेट से 22 किलो का ट्यूमर निकाला है. बहुत कठिन ऑपरेशन किया गया जो सफल रहा.

उन्होंने बताया कि पिछले दिनों अल शिफा में एक महिला बेहद दर्द की हालत में आई थीं, जिनके पेट का ट्यूमर बहुत तेजी से बढ़ रहा था. मरीज की हिस्ट्री लेने पर पता चला कि उनके पेट में पिछले चार-पांच महीने से गांठ थी, सूजन थी, वजन बढ़ रहा था, जब हमने अल्ट्रासाउंड कराया तो पेट में बहुत बड़ा ट्यूमर पाया गया.
इनको सरकारी समेत कई निजी अस्पतालों से लौटाया जा चूका था, उनके लिए बड़ा खर्च वहन करना मुश्किल हो रहा था. ऑपरेशन काफी मुश्किल था. अस्पताल प्रशासन से परामर्श के बाद ऑपरेशन शुरू किया गया जो सफल रहा. हमने बहुत ही कम खर्च में यह ऑपरेशन किया. अब महिला पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
डॉ. इरम ने कहा कि हाल के दिनों में ट्यूमर के कई मामले मेरे सामने आए हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक मुख्य कारण हमारी जीवनशैली है. युवाओं में फास्ट फूड का बढ़ता चलन ऐसी खतरनाक बीमारियों का कारण बन रहा है.

रक्षाबंधन से पहले केंद्र सरकार की दिखी दरियादिली, सभी के लिए 200 रुपये सस्ता किया LPG सिलेंडर

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रक्षा बंधन और ओणम से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ी दरियादिली का परिचय दिया है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्रकारों को ब्रीफिंग में बताया कि सभी उपभोक्ताओं के लिए गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपये कम किये जाएंगे.

उन्होंने कहा, ”ओणम और रक्षाबंधन के पर्व पर 200 रुपये सिलेंडर के दाम कम किए जाने का फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है. और ये सभी उपभोक्ताओं के लिए है. बहनों के लिए यह बहुत बड़ा तोहफा है.” अनुराग ठाकुर ने कहा कि लाखों बहनों को पीएम मोदी ने कीमतें कम करके यह तोहफा दिया है. उन्होंने कहा कि 75 लाख बहनों के लिए उज्जवला गैस योजना के तहत फ्री गैस कनेक्शन मिलेंगे. उन्हें एक रुपये भी नहीं देना होगा. पाइप, चूल्हा और सिलेंडर मुफ्त में दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि दुनियाभर में गैस के दाम बढ़े हैं, लेकिन भारत में इसका असर कम देखने को मिला है.

याद रहे कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई उज्जवला योजना के तहत पहले से ही 200 की सब्सिडी दी जा रही थी, अब आज से 200 रूपये की सब्सिडी का लाभ अब अलग से मिलेगा. यानी अब उज्जवला योजना के तहत आने वालों को 400 रुपये की सब्सिडी मिलेगी. फिलहाल देश भर में 33 करोड़ लोगो के पास गैस सिलेंडर के कनेक्शन हैं. वहीं 75 लाख नए कनेक्शन दिए जाएंगे. इसमें 7680 करोड़ का खर्च आएगा.

तोशखाना केस में पूर्व पीएम इमरान खान की सजा पर रोक, इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने दिए रिहाई के आदेश

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशखाना भ्रष्टाचार के मामले में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनकी सजा पर फौरी रोक लगाते हुए रिहाई के आदेश दिए हैं. इमरान खान पर आरोप था कि उन्होंने सस्ते दामों में सरकारी गिफ्ट को खरीदा था और उसके बाद उन्हें महंगे दामों में बेच कर रूपये खुद रख लिए थे.

इससे पहले हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारुक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. हालांकि दिन में हाई कोर्ट ने उस अपील की सुनवाई फिर से शुरू की, जो 22 अगस्त से कोर्ट में सुनी जा रही थी. इससे पहले पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के वकील अमजद परवेज बीमारी की वजह से कोर्ट में पेश नहीं हो सके थे. इसलिए शुक्रवार को अदालत में सुनवाई स्थगित कर दी गई थी.

इमरान खान के वकील लतीफ खोसा ने उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी बहस बीते गुरुवार (24 अगस्त) को पूरी कर ली थी और कहा था कि यह फैसला बहुत जल्दबाजी में दिया गया है और खामियों से भरा हुआ है. उन्होंने कोर्ट से फैसले को रद्द करने का आग्रह किया था, लेकिन बचाव पक्ष ने अपनी बहस को पूरी करने के लिए और समय दिए जाने की मांग की थी. इसके बाद कोर्ट ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

याद रहे कि इस्लामाबाद की एक निचली अदालत ने 5 अगस्त को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशा खाना केस में भ्रष्टचार का दोषी ठहराते हुए तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी. साथ ही उनके आगामी चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाते हुए उन्हें पांच वर्ष के लिए राजनीति में हिस्सा लेने से भी प्रतिबंधित किया गया था.