कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, श्रीनिवास बीवी, शक्ति सिंह गोहिल, कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि इस रिपोर्ट से साबित ह गया है कि सरकार ने करदताओं के पैसे से 300 करोड़ रुपये में पत्रकारों और नेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया है कि जुलाई 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल यात्रा पर गए थे तब 2 अरब डॉलर में भारत ने इजरायल के साथ एक भारी भरकम रक्षा सौदा किया था. इस डील में मिसाइल सिस्टम के अलावा इजरायली कंपनी एनएसओ द्वारा बनाया गय पेगासस स्पाईवेयर मुख्यआइटम थे। इस रिपोर्ट को अगर सही माने तो साफ़ हो गया है कि भारत सरकार ने पेगासस खरीदा और इसका बेजा इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं पर किया या फिर उन हस्तियों पर किया जिससे सरकार को परेशानी होने की संभावना थी.
राहुल ने ट्वीट किया, “मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था. फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है, ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है. यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने पीएम मोदी पर बड़ा हमला किया है और कहा है कि ‘साबित हो गया है कि चौकीदार ही जासूस है.
न्यूयार्क टाइम्स अखबार के द्वारा की गई साल भर की जांच से पता चला है कि फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने भी इस स्पाईवेयर को खरीदा और इसको इस्तेमाल करने के मकसद से इसका परीक्षण किया था।. एफबीआई इस स्पाईवेयर को घरेलू निगरानी के लिए इस्तेमाल करना चाहती थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे दुनिया भर में इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया. जिसमें मेक्सिको द्वारा पत्रकारों और विरोधियों को निशाना बनाना, सऊदी अरब द्वारा महिला अधिकार की पक्षधर कार्यकर्ताओं के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जाना शामिल था. इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सऊदी अरब के गुर्गों द्वारा मार दिए स्तंभकार जमाल खशोगी के खिलाफ भी इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल के रक्षा मंत्रालय द्वारा नए सौदों के तहत पोलैंड, हंगरी और भारत समेत कई देशों को पेगासस दिया गया.
बता दें कि जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल की यात्रा की थी. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इजरायल की पहली यात्रा थी. न्यूयार्क टाइम्स ने रिपोर्ट में कहा कि यह यात्रा तब हुई जब भारत ने फिलिस्तीन और इजरायल संबंधों को लेकर एक नीति बनाई हुई थी.
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा काफी सौहार्दपूर्ण थी. उस दौरान पीएम मोदी अपने समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक बीच पर टहलते हुए देखे गए थे. हालांकि दोनों के बीच दिखी इस गर्मजोशी का कारण दोनों देशों के बीच हुई डिफेंस डील थी. दोनों देशों के बीच हुए 2 बिलियन डॉलर समझौते में हथियारों और ख़ुफ़िया सिस्टम की खरीद शामिल था. साथ ही इस डील में पेगासस भी शामिल था.
रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है कि उस दौरान इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी भारत की यात्रा की और जून 2019 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजरायल के समर्थन में मतदान किया ताकि फिलिस्तीनी मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से इनकार किया जा सके. हालांकि अब तक न तो भारत सरकार और न ही इजरायली सरकार ने माना है कि भारत ने पेगासस को खरीदा है.
मीडिया समूहों के एक वैश्विक संघ ने जुलाई 2021 में खुलासा किया था कि दुनिया भर की कई सरकारों ने अपने विरोधियों, पत्रकारों, व्यापारियों पर जासूसी करने के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया था. भारत में द वायर द्वारा की गई जांच में बताया गया था कि जिन जिन के खिलाफ जासूसी होने की संभावना थी उसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव थे सहित कई अन्य प्रमुख नाम थे. इस सूची में द इंडियन एक्सप्रेस के दो वर्तमान संपादकों और एक पूर्व संपादक सहित लगभग 40 अन्य पत्रकार भी थे.
18 जुलाई को संसद में इजरायली स्पाईवेयर पेगासस को लेकर हुए विवाद पर जवाब देते हुए मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि यह रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र और इसके संस्थानों को बदनाम करने का प्रयास .था. उन्होंने कहा था कि जब निगरानी की बात आती है तो भारत ने प्रोटोकॉल स्थापित किए हैं जो मजबूत हैं और कसौटी पर खरे उतरे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि स्पाईवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ ने भी कहा है कि पेगासस का उपयोग करने वाले देशों की सूची गलत है. कई देश हमारे ग्राहक भी नहीं हैं. उसने यह भी कहा कि उसके ज्यादातर ग्राहक पश्चिमी देश हैं. यह स्पष्ट है कि एनएसओ ने भी रिपोर्ट में दावों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है.
द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज में भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा था कि एनएसओ द्वारा किया जा रहा निर्यात इजरायल सरकार की निगरानी में है. यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायली सरकार को यह पता चलेगा कि क्या एनएसओ ने भारत सरकार को सॉफ्टवेयर बेचा है तो उन्होंने कहा कि इस निजी कंपनी द्वारा किये गए तकनीक के हर निर्यात को लाइसेंस का पालन करना पड़ता है.
उन्होंने यह भी कहा कि एनएसओ एक निजी इजरायली कंपनी है, जिसने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक उपकरण विकसित किया है और कई लोगों की जान बचाई है. इसकी गंभीरता को समझते हुए इजराइल ने कंपनी के उपकरण पर निर्यात नियंत्रण के कई उपाय किए हैं. इसलिए उनका निर्यात कुछ सरकारों तक सीमित हैं. इसके बारे में सभी अफवाहों या दावों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. जब भारत की बात आती है तो यह एक अंदरूनी राजनीतिक लड़ाई है.
सरकार द्वारा कथित जासूसी के खिलाफ दायर लगभग एक दर्जन याचिकाओं के बाद पिछले साल 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दो विशेषज्ञों के साथ सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति नियुक्त की. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि राज्य को हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर छूट नहीं मिल सकती है. साथ ही इस मामले में पूरी तरह से जांच करने का आदेश भी दिया गया था.