Monday, December 23, 2024
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भारत में मूनलाइटिंग को लेकर बहस शुरू, क्या आप जानते हैं मून लाइटिंग के बारे में?

 

मूनलाइटिंग’ शब्द आजकल देश के भीतर चर्चा में है. अचानक इस शब्द को लेकर जानने की उत्सुकता बढ़ गई है. हालांकि विदेशों में इस शब्द का उपयोग लम्बे समय से होता आ रहा है. दरअसल यह शब्द उन लोगों के लिए किया जाता है जो अपने घर को चलाने के लिए दो जगह नौकरी करते हैं. पहली नौकरी पूरा करने के बाद रात में जो नौकरी की जाती है उसे ही मून लाइटिंग शब्द से नवाजा जाता है. अब इसको लेकर भारत में भी बहस जारी है. इसके लाभ और हानि गिनाये जा रहे हैं.

मूनलाइटिंग सामान्य व्यावसायिक घंटों के बाद दूसरी नौकरी करने से जुड़ा हुआ है. एक कर्मचारी सामान्य रूप से 9 से 5 बजे तक नौकरी अपनी जीविका चलाने के लिए करता है लेकिन रात को अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए अलग से नौकरी करता है. प्राइवेट कंपनियों में जॉब करने वाले व्यक्ति पर कंपनी द्वारा मूनलाइटिंग को लेकर तय की गई नीति लागू हो सकती है. कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को दूसरी नौकरी करने की इजाजत नहीं देती हैं. वहीं कुछ इसकी इजाजत देती हैं. यह शब्द तब प्रसिद्ध हुआ जब अमेरिका के लोगों ने अपनी आय के पूरक के लिए अपनी नियमित 9 से 5 बजे वाली नौकरियों के अलावा दूसरी नौकरियों की तलाश करना शुरू किया.

इसके फायदे के बारे में जो तर्क दिए जा रहे हैं. पहले उस पर नजर डालने की जरूत है. सबसे पहले तो यही कहा जा रहा है कि आमदनी बढ़ती है. कई लोगों के लिए दूसरी नौकरी अतिरिक्त आमदनी का जरिया होता है. यह अतिरिक्त पैसे उनकी लाइफस्टाइल में बदलाव लाता है. कुछ लोग पैसों के लिए नहीं अनुभव और नए कौशल के लिए दूसरी नौकरी करते है. इसके अलावा, कौशल और अनुभव आपके रिज्यूमे में जुड़ जाते हैं. दूसरी नौकरी करने का मतलब है कि आप अधिक लोगों के साथ काम करेंगे. नए कौशल सीखेंगे और नई चुनौतियों का सामना करोगे. एक दिन इसका परिणाम एक नया अवसर हो सकता है. कई सारे लोग दूसरी नौकरी इसलिए करते है, क्योंकि उनको उनकी पहली नौकरी को लेकर असुरक्षित महसूस होता है. दूसरी नौकरी एक सहारा बन जाता है.

लेकिन बहुत सारे लोग इसकी कमियों पर भी बात कर रहे हैं. कमी बताने वाले लोगों का तर्क है कि अगर आपके पास दूसरी नौकरी है, तो आपके पास परिवार और शौक को पूरा करने के लिए कम समय होगा. यदि आप अपनी पूर्णकालिक नौकरी में पहले से ही लंबे समय तक काम करते हैं, तो दूसरी नौकरी करना तनावपूर्ण हो सकता है. और लंबी अवधि में आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है. किसी प्रतियोगी के लिए काम करना आपको अपनी पूर्णकालिक नौकरी में मुश्किल स्थिति में डाल सकता है. अतिरिक्त घंटों, कम नींद और ध्यान भटकने के कारण, आपकी पूर्णकालिक नौकरी में आपका प्रदर्शन ख़राब हो सकता है. और आपके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

मूनलाइटिंग के विषय में आईटी सेक्टर बंटा हुआ है. कुछ लोग इसको अनैतिक समझते है तो कुछ लोगों को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती. विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने एक ट्वीट में कहा है “मूनलाइटिंग को लेकर तकनीकी उद्योग में काफी चर्चा शुरू है. यह सरासर धोखा है. इनफ़ोसिस के पूर्व निदेशक मोहनदास पाई ने प्रेमजी से असहमति जताते हुए बिज़नस टुडे से कहा “एम्एप्कलॉयमेंट रोजगार देने वाले के साथ एक करार है. जिसमें मुझे तय घंटे काम करने के लिए एक निश्चित राशि दी जाती है. अब उस समय के बाद मैं जो करता हूं वह है मेरी आजादी, मैं जो चाहूं कर सकता हूं.

टेक महिंद्रा के एमडी पी गुरनानी ने एक कार्यक्रम में कहा कि उनका संगठन एक “नीति बनाएगा” ताकि उनके कर्मचारी को खुले तौर पर एक साथ कई नौकरियों करने की अनुमति मिल सके. “यदि आप इसे करना चाहते हैं, तो निश्चित रूप से. लेकिन इसके बारे में हमें बताएं.

टीसीएस के सीईओ एन गणपति सुब्रमण्यम ने भी इसे “नैतिक मुद्दा” बताया. उन्होंने यह भी कहा की आप कुछ समय के लाभ पाने के लिए जब ऐसा निर्णय लेते हे तो आप लम्बी रेस से बाहर हो जाते हैं. स्विगी ने “इंडस्ट्री फर्स्ट” नीति की घोषणा की है, जिसके तहत समय के बाहर या सप्ताहांत पर कोई और काम कर रहे है तो कोई तकलीफ की बात नहीं है बशर्ते उत्पादिता प्रभावित न हो और हितों का टकराव न हो.

अब सवाल है कि क्या मून लाइटिंग भारत में संभव है ? अत्यधिक रोजगार, जिसे भारत में दोहरा रोजगार कहा जाता है, तकनीकी रूप से अमेरिका और ब्रिटेन में टैक्स के नजरिए से स्वीकार्य है. एक व्यक्ति भारत में कानून को तोड़े बिना एक से अधिक नौकरी कर सकता है. हालांकि एक हे तरह की दो नौकरी करने से गोपनीयता को लेकर चिंता बढ़ा सकती है.

मूनलाइटिंग को धोखा के रूप में देखा जा सकता है अगर कर्मचारी के कॉन्ट्रैक्ट में यह पहले ही लिखा हो की वह सिर्फ एक ही नौकरी कर सकता है. अधिकतर कॉन्ट्रैक्ट्स में इस तरह के प्रावधान होते ही है. हालांकि मूनलाइटिंग को धोखा नहीं माना जाएगा अगर उस कॉन्ट्रैक्ट में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है तो.

कारखाना अधिनियम के तहत दोहरा रोजगार प्रतिबंधित है. हालांकि, कुछ राज्यों में आईटी कंपनियों को इस नियम से छूट दी गई है. साइड जॉब की तलाश करने या व्यवसाय शुरू करने से पहले, कर्मचारियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे किसी भी मूनलाइटिंग नीतियों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए अपने मुख्य नौकरी के साथ अपने रोजगार कॉन्ट्रैक्ट की सावधानीपूर्वक जांच करें.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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