अंज़रूल बारी
ओवैसी ने वाराणसी के सीनियर जज के सर्वे वाले फैसले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मस्जिद के सर्वे का फैसला एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला कदम है. एमआईएम प्रमुख ने कहा कि ये बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि निचली कोर्ट के द्वारा सुप्रीम कोर्ट की खुले आम अवहेलना हो रही है. उन्होंने कहा कि सर्वे का आदेश देकर निचली अदालत 1980 – 1990 के दशक की रथ यात्रा के दौरान हुए खून – खराबे और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रही है.
बता दें कि शुक्रवार को जब सर्वे करने के लिए टीम यहां पहुंची तो दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी की गई थी. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में आज भी वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण का काम होगा.
हालांकि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने सर्वे करने आए एडवोकेट कमिश्नर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा ‘ज्ञानवापी परिसर में जबरन दरवाजा खुलवा कर वीडियोग्राफी कराई गई. उन्हें बताया कि अदालत का ऐसा कोई आदेश नहीं है कि आप बैरिकेडिंग के अंदर जाकर वीडियोग्राफी कराएं. मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया है कि सर्वे के दौरान मस्जिद की दीवार को उंगली से कुरेदा जा रहा था, जबकि ऐसा कोई आदेश कोर्ट ने नहीं दिया था.
बता दें कि 18 अगस्त 2021 को दिल्ली की पाँच महिलाओं ने वाराणसी की निचली अदालत में एक याचिका दाखिल की थी. इन महिलाओं का कहना था कि उन्हें मंदिर परिसर में दिख रही दूसरी देवी देवताओं का दर्शन, पूजा और भोग करने की इजाज़त होनी चाहिए. अपनी याचिका में इन महिलाओं ने अलग से अर्ज़ी देकर यह भी मांग रखी थी कि कोर्ट एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति करे जो इन सभी देवी देवताओं की मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करे. जिसके बाद 8 अप्रैल 2022 को निचली अदालत ने परिसर का निरीक्षण करने और निरीक्षण की वीडियोग्राफी करने के आदेश दिए थे. जबकि 9 सितंबर 2021 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के एएसआई द्वारा सर्वेक्षण पर रोक लगा दी गई थी.