बिहार में अपना सबकुछ खो चुकी कांग्रेस ने बिहार में पार्टी के राज्य सभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह पर भरोसा जताया है. अब बिहार की कमान अखिलेश प्रसाद सिंह को दी गई है. प्रसाद एक समय राजद नेता लालू प्रसाद के ख़ास रहे हैं. पार्टी अब बिहार में आगामी लोक सभा चुनाव और विधान सभा चुनाव अखिलेश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में ही लड़ेगी. भूमिहार समाज से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह पार्टी को कितना मजबूत कर पाते हैं, इसे देखना होगा. माना जा रहा है कि अखिलेश के हाथ में पार्टी की कमान सौप कर कांग्रेस अपने परंपरागत वोट को वापस लाना चाहती है. पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की है और महागठबंधन में रहकर कांग्रेस के लिए जातीय समीकरण को साधने की है.
5 जनवरी 1962 को बिहार के अरवल में पैदा हुए अखिलेश प्रसाद सिंह 2000 से 2004 तक अरवल से बिहार विधानसभा के सदस्य हुआ करते थे. तब बिहार में लालू प्रसाद की सरकार थी.अखिलेश प्रसाद सिंह लालू प्रसाद की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं. इसके बाद वो लोकसभा के सदस्य चुने गए और केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार में आरजेडी कोटे से राज्य मंत्री बने. लेकिन, लालू प्रसाद से अनबन होने के बाद अखिलेश प्रसाद सिंह आरजेडी छोड़कर कांग्रेस के साथ चले गए. कांग्रेस की टिकट पर अखिलेश प्रसाद सिंह तीन दफा चुनाव लड़े. लेकिन, वो कोई चुनाव जीत नहीं सके.
जाहिर है अब प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश प्रसाद सिंह पर 2024 लोकसभा चुनाव और वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा ट्रेडिशनल वोटरों को फिर से कांग्रेस की ओर आकर्षित करने की जिम्मेदारी भी होगी. बताते चलें कि बिहार के भूमिहार इन दिनों बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. वो बिहार में विकल्प की तलाश कर रहे हैं.