Thursday, November 21, 2024
होमताज़ातरीनराजस्थान में कांग्रेस सरकार पर ख़तरा, गहलोत समर्थक 80 विधायकों का इस्तीफा,...

राजस्थान में कांग्रेस सरकार पर ख़तरा, गहलोत समर्थक 80 विधायकों का इस्तीफा, पर्यवेक्षक सौंपेंगे आलाकमान को रिपोर्ट

 

राजस्थान में जिसकी सम्भावना थी, वही होते दिख रहा है. सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे ही कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने को तैयार हुए. अगले सीएम को लेकर सूबे की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है. अशोक गहलोत के समर्थक विधायक नहीं चाहते हैं कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जाए. गहलोत समर्थक करीब 80 विधायकों ने पार्टी पर दबाव बनाते हुए और पायलट के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए स्पीकर सीए पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. कांग्रेस के भीतर चल रही इस गुटबाजी की वजह से सरकार पर ख़तरा मंडराने लगा है. आगे क्या होता है इसपर निगाहें लगी है. कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजस्थान की राजनीति में भी हलचल शुरू हो गई है. एमएलए प्रताप खाचरियावास ने कहा कि समर्थक सभी विधायक काफी गुस्से में हैं.

उन्होंने कहा, “विधायक इस बात से नाराज हैं कि अशोक गहलोत हमसे बातचीत किए बिना कोई फैसला कैसे ले सकते हैं.” कांग्रेस विधायक ने कहा, “सिर्फ 10-15 विधायकों की ही बात सुनी जा रही है, जबकि बाकी को नजरअंदाज किया जा रहा है. पार्टी हमारी नहीं सुनती है और हमसे सलाह लिए बिना ही फैसले लिए जाते हैं.” वहीं, सीपी जोशी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की जा रही है.

इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अजय माकन और सचिन पायलट जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर पहुंचे थे. दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बात के संकेत दे चुके हैं कि अगर अशोक गहलोत अध्यक्ष बने तो उन्हें सीएम पद त्यागना पड़ सकता है. इस पर गहलोत के समर्थक निर्दलीय विधायकों के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि अगर मन लायक फैसला नहीं हुआ तो राजस्थान में सरकार पर भी खतरा है. पार्टी पर्यवेक्षकों की टीम आज वापस आ कर आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

जानकारी के मुताबिक, विधायकों ने कहा था कि मुख्यमंत्री दोनों पद संभाल सकते हैं. निर्दलीय विधायक और गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा, “अगर विधायकों के मन लायक फैसला होगा तो सरकार चलेगी, लेकिन अगर फैसला उनके मन लायक नहीं लिया गया तो क्या सरकार चल सकेगी? जाहिर है सरकार गिरने का खतरा होगा.”

वहीं, इससे पहले सचिन पायलट को सीएम के रूप में देखे जाने के सवाल पर कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा, “यह एक भावना (भावनात्मक) मुद्दा है. विधायकों में नराजगी है. वो निर्दलीय विधायक थे जिन्होंने राजनीतिक संकट के दौरान हमारी मदद की … इसलिए, हम सभी बैठेंगे और चर्चा करेंगे.

अशोक गहलोत ने रविवार को कहा था, ”कांग्रेस की परंपरा रही है कि चुनाव के दौरान या मुख्यमंत्री के चयन के लिए जब भी सीएलपी की बैठक होती है तो इसमें एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है. जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष को निर्णय लेने का अधिकार देने की बात होती है. मुझे विश्वास है कि यह आज भी होगा.”

इससे पहले आज गहलोत ने कहा कि मुझे कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है, अब नई पीढ़ी को भी मौका मिलना चाहिए. मेरे लिए कोई पद मायने नहीं रखता है. मेरी इच्छा है कि मैं राजस्थान में रहूं. गहलोत ने कहा कि मैं कहां जा रहा हूं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं किस पद पर रहूंगा, ये तो समय बताएगा. मैं चाहता हूं कि राजस्थान में भी अच्छा माहौल बना रहे. मेरी ड्यूटी बनती है कि मैं राजस्थान के लोगों के हर सुख-दुख में साथ रहूं.

उधर कांग्रेस के भीतर चल रहे इस नाटक पर बीजेपी की पैनी निगाहें टिकी है. बीजेपी के नेता कांग्रेस के भीतर चल रहे खेल को महाभारत की संज्ञा दी है, और कहा है कि कौरवो और पांडवो के बीच लड़ाई जारी है और इस खेल में सूबे की जनता त्रस्त है.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments