महाराष्ट्र में अचानक से राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है. कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से चल रही महा विकास अघारी सरकार अचानक से संकट में आ गयी. सरकार पर जो संकट आया है वह घटक दलों की वजह से नहीं, बल्कि उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के एक विधायक की वजह से उत्पन्न हुआ है. जो हालत है उसमे साफ़ लग रहा है कि उद्धव सरकार की परेशानी बढ़ सकती है. इस बीच पार्टी नेता संजय राउत ने विधानसभा भंग होने के संकेत दिए हैं. बुधवार को उद्धव कैबिनेट की बैठक भी हुई, जिसमें आदित्य ठाकरे समेत करीब 8 मंत्री नहीं पहुंचे. शिवसेना के भीतर हुए इस बगावत के पीछे बीजेपी के ऑपरेशन लोटस के रूप में देखा जा रहा है. शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को लेकर पहले गुजरात और देर रत असम पहुँच गए हैं. याद रहे गुजरात और असम में बीजेपी की सरकार है.
महाराष्ट्र के सियासी घमासान का मैदान अब गुजरात से असम शिफ्ट हो गया है. एकनाथ शिंदे समेत 40 बागी विधायक स्पेशल फ्लाइट से बुधवार सुबह सूरत से गुवाहाटी पहुंचे. बीजेपी के नेताओं ने उन्हें रिसीव किया. एयरपोर्ट के बाहर तीन बसों से उन्हें होटल ले जाया गया. इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. यहां एयरपोर्ट पर एकनाथ शिंदे ने फिर दोहराया कि हम बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को आगे ले जाएंगे.
इससे पहले उन्होंने सूरत एयरपोर्ट पर कहा था कि अभी हमने बालासाहेब ठाकरे का हिंदुत्व छोड़ा नहीं है. मैं चाहता हूं कि उद्धव ठाकरे, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएं. एकनाथ ने कहा कि हमारे साथ अभी 40 विधायक गुवाहाटी आए हैं. इनमें 33 विधायक शिवसेना के और 7 विधायक निर्दलीय हैं. एक विधायक गुवाहाटी नहीं पहुंचे हैं. मंगलवार को एकनाथ ने दावा किया था कि मेरे साथ कुल 41 विधायक हैं, जिसमें 34 शिवसेना और 7 निर्दलीय हैं.
महाराष्ट्र के 41 विधायकों के साथ गुजरात में डेरा डालकर बैठे एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के सामने बीजेपी से गठबंधन की शर्त रख दी. उद्धव ने शिंदे से बातचीत के लिए मिलिंद नार्वेकर को भेजा था. नार्वेकर और शिंदे के बीच करीब एक घंटे मुलाकात चली. नार्वेकर ने फोन पर उद्धव से शिंदे की बातचीत कराई.
सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट चली इस बातचीत में उद्धव ने मुंबई आकर बातचीत का प्रस्ताव रखा. पर, शिंदे बीजेपी से गठबंधन पर अड़े रहे. यह भी कहा कि पहले उद्धव अपना रुख स्पष्ट करें और अगर गठबंधन पर राजी हैं तो पार्टी टूटेगी नहीं.
सूत्रों के मुताबिक, विद्रोह से 2 दिन पहले, यानी शुक्रवार को एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे के बीच मुंबई के पवई के एक होटल में नोकझोंक हुई थी. इस दौरान संजय राउत भी वहां मौजूद थे. दोनों के बीच विधान परिषद चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए अतिरिक्त वोटों का उपयोग करने को लेकर बहस हुई थी, जिसका शिंदे ने विरोध किया था. शिंदे के विरोध की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवारों में से एक, भाई जगताप को उनकी जरूरत के वोट मिले, लेकिन दूसरे उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे निर्वाचित नहीं हुए.
बता दें कि महाराष्ट्र में सोमवार को हुए विधान परिषद चुनाव में महाविकास अघाडी का बहुमत 151 तक गिर गया है. राज्यसभा चुनाव के दौरान महाविकास आघाडी के पास 162 विधायक थे, जबकि उससे पहले ये संख्या 170 थी. यानी राज्यसभा चुनाव के बाद महाविकास अघाडी के 11 विधायक कम हुए हैं.
परिषद चुनाव से पहले और बाद में तुलना करके देखा जाए तो कुल 19 विधायक महाविकास आघाडी से दूर हुए. दूसरी तरफ अब बीजेपी को 134 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. सरकार टिकने के लिए 144 का बहुमत जरूरी है. ऐसे में महाविकास अघाडी और भाजपा की संख्या में अंतर बहुत कम रह गया है.
फिर भी, शिवसेना में बगावत होती है तो दल-बदल कानून सबसे बड़ा चैलेंज होगा. बगावत के लिए एकनाथ शिंदे को इन विधायकों की सदस्यता भी कायम रखनी होगी. महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास कुल 56 विधायक है. कानून के हिसाब से शिंदे को 2/3 विधायक यानी 37 विधायक जुटाने होंगे. फिलहाल शिंदे के पास कुल 30 विधायक होने का दावा किया जा रहा है, जिसमें शिवसेना के 15 विधायक है.