Thursday, March 28, 2024
होमचुनावएनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को चुनौती देंगे विपक्ष के यशवंत...

एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को चुनौती देंगे विपक्ष के यशवंत सिन्हा

 

देश के भीतर तमाम तरह के राजनीतिक उथल पुथल के बीच 21 जून को एनडीए ने अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी. ओडिशा की रहने वाली और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित की गई है. द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज से आती हैं. लगे हाथ विपक्ष की तरफ से पूर्व वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया गया है. पक्ष विपक्ष के दोनों उम्मीदवार झारखंड से वास्ता रखते हैं. मंगलवार शाम को बीजेपी संसदीय बोर्ड की मीटिंग के बाद मुर्मू के नाम पर सहमति बनी. इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. मुर्मू अपना नामांकन 25 जून को दाखिल कर सकती हैं.
मीटिंग के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि मीटिंग में 20 नामों पर चर्चा की गई. मीटिंग में तय किया गया था कि इस बार राष्ट्रपति कैंडिडेट के लिए पूर्वी भारत से किसी दलित महिला को चुना जाना चाहिए. इसके बाद मुर्मू के नाम को मंजूरी दी गई. प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बधाई देते कहा – मुझे विश्वास है कि वो एक महान राष्ट्रपति बनेंगी. खास बात यह है कि द्रौपदी मुर्मू ने 20 जून को ही अपना जन्मदिन मनाया था, इसके अगले दिन ही राष्ट्रपति कैंडिडेट घोषित कर दिया गया.
झारखंड की नौंवी राज्यपाल रहीं 64 साल की द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. वो ओडिशा के ही रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं. वह पहली उड़िया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया. इससे पहले बीजेपी-बीजद गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रहीं. मुर्मू झारखंड की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल भी रही हैं.


इधर, विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय किया है. इसके बाद सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि वो राष्ट्रपति चुनाव की रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं. नई दिल्ली में विपक्ष की बैठक में प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हम 27 जून को नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं.
सिन्हा ने पोस्ट में कहा, ‘ममता जी ने टीएमसी में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाई, उसके लिए मैं उनका आभारी हूं. अब समय आ गया है कि मैं एक बड़े उद्देश्य के लिए पार्टी से अलग हो जाऊं ताकि विपक्ष को एकजुट करने के लिए काम कर सकूं. मुझे उम्मीद है कि ममता जी मेरे इस कदम को स्वीकार करेंगी.’
बता दें कि अब तक कई बड़े नेता राष्ट्रपति चुनाव की रेस से पीछे हट चुके हैं. पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव से अपना नाम वापस लिया था. उनसे पहले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला ने भी विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया था.
बता दें कि जीतने पर द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. उनसे पहले दलित वर्ग से आने वाले केआर नारायणन और मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस पर पहुंचे हैं, लेकिन पहली बार आदिवासी समुदाय से किसी को राष्ट्रपति बनने का मौका मिल रहा है. वहीं, प्रतिभा पाटिल के बाद दूसरी बार कोई महिला इस पद पर पहुंचेगी. बीजेपी में तीन महिलाओं के नाम पर विचार किया जा रहा था जिसमें द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम शामिल थे.


द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आने वाली आदिवासी नेता हैं. झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं. वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया. इससे पहले बीजेपी – बीजेडी गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रह चुकी हैं.
गौरतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट एसटी श्रेणी के लिए आरक्षित हैं. 60 से अधिक सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है. मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. ऐसे में आदिवासी के नाम पर चर्चा चल रही थी. इससे बीजेपी को चुनाव में भी फायदा मिल सकता है, क्योंकि गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अगले डेढ़ साल के भीतर विधानसभा चुनाव होंगे, जिसका सियासी तौर पर लाभ बीजेपी को मिलने की संभावना जताई जा रही है.
देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है. महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है. ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए.
महिलाएं बीजेपी के लिए कोर वोट बैंक बन चुकी हैं. इस वोट बैंक को साधने की बीजेपी की कोशिश जारी है. बताया जा रहा है कि महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा था. इसमें यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी शामिल थीं. आनंदी बेन PM नरेंद्र मोदी की करीबी मानी जाती हैं.
आनंदी बेन के अलावा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही थीं. पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनने से बीजेपी एक तीर से दो निशाना लगाएगी. पहला आदिवासी समाज को साधने में मदद मिलेगी. साथ ही महिला वोट बैंक में भी मजबूत पकड़ बनी रहेगी.
अनुसुइया उइके मूल रूप से छिंदवाड़ा की हैं और 1985 से मध्य प्रदेश से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने दमुआ से विधायक का चुनाव जीता था. वह बीजेपी की राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं. राजनीति में आने से पहले वह छिंदवाड़ा के शासकीय महाविद्यालय में तीन साल तक इकोनॉमिक्स की लेक्चरर भी रही हैं.
बता दें कि नीलम संजीव रेड्‌डी ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी. तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभार संभालते आए हैं. रेड्‌डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments