Thursday, December 26, 2024
होमताज़ातरीनभ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कर्नाटक सरकार को बदल सकती है बीजेपी

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कर्नाटक सरकार को बदल सकती है बीजेपी

अंज़रूल बारी

कर्नाटक में जिस तरह से कई मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं, उससे बीजेपी की परेशानी बढ़ गई है. करीब डेढ़ साल बाद वहाँ चुनाव होने हैं. जिस तरह से विपक्ष की लामबंदी वहाँ हो रही है बीजेपी को लगने लगा है कि समय से पहले विपक्ष के खेल को ध्वस्त नहीं किया गया और भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगाईं गई तो पार्टी को भारी नुक्सान हो सकता है. बीजेपी के मंथन चल रहा है कि गुजरात की तरह ही वहाँ सरकार को बदल दिया जाय. और ऐसा नहीं होने पर चुनाव में बीजेपी की हार निश्चित है. उधर बीजेपी की परेशानी एक और भी है, लिंगायत समाज को साधने में बीजेपी अब विपक्ष की तुलना में पिछड़ रही है और बीजेपी को डर है कि लिंगायत ने बीजेपी से मुँह मोड़ लिया तो पार्टी की हार तय है. अभी तक बीजेपी की जीत में लिंगायत समाज का बड़ा योगदान रहा है.
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भ्रष्टाचार के आरोपों और कामकाज में सुस्ती को देखते हुए कर्नाटक में गुजरात का फॉर्मूला अपनाने पर गंभीरता से मंथन कर रहा है. पार्टी ने गुजरात में मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों को हटाकर नई टीम बनाई थी. फिलहाल पार्टी में प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी लिंगायत समुदाय को साधे रखने की रणनीति पर विचार हो रहा है. दक्षिण भारत में महज कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है. यहां करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी किसी भी कीमत पर सत्ता गंवाना नहीं चाह रही.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, जहां कर्नाटक में पूरी की पूरी सरकार बदलने पर विचार हो रहा है, वहीं मध्य प्रदेश, हरियाणा, त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही सरकार के वर्तमान ढांचे में बड़ा बदलाव करने पर भी गौर चल रहा है. पार्टी नहीं चाहती कि दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में राज्य नेतृत्व के खराब प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन पर पड़े. वैसे भी साल 2014 से लेकर अब तक असम को छोड़ कर कोई भी राज्य लोकसभा का प्रदर्शन दोहराने में नाकामयाब रहा है.
बीजेपी इस राज्य के सहारे दक्षिण के अन्य राज्यों मसलन केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु में अपना आधार बढ़ाना चाहती है. इसी के मद्देनजर कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा की जगह बासवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन नेतृत्व परिवर्तन के बाद सरकार पर न सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोपों में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि सरकार के कामकाज की गति भी बेहद धीमी है. जिस प्रकार राज्य में अल्पसंख्यक विरोधी अभियानों की बाढ़ को श्रीराम सेना ने हाईजैक किया है, उससे भी नेतृत्व बेहद नाखुश है.
राज्य में लिंगायत समुदाय (17 फीसदी) की आबादी सबसे ज्यादा है. राज्य के पूर्व सीएम येदियुरप्पा (79) इसी समुदाय से थे. बीजेपी इस समुदाय का समर्थन बरकरार रखना चाहती है. ऐसे में येदियुरप्पा को साधे रखने के लिए उनके पुत्र बीवाई विजयेंद्र को उपकृत करने समेत कई अन्य रणनीति पर विमर्श हो रहा है. लिंगायत समुदाय में गहरी पैठ के कारण ही बीजेपी ने अपने ही मापदंड के इतर 75 साल से अधिक उम्र के येदियुरप्पा को बीते चुनाव में सीएम पद का उम्मीदवार बनाया था.
हरियाणा, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी सरकार के मौजूदा ढांचे में बड़ा बदलाव करने पर विमर्श हो रहा है. हालांकि विमर्श का सिलसिला हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही शुरू हो गया था. इन राज्यों में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया था लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी को झारखंड और महाराष्ट्र में सत्ता गंवानी पड़ी, जबकि हरियाणा में पार्टी अपने दम पर बहुमत लाने में नाकाम रही थी.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments