अंज़रूल बारी
देश के बड़े सौ से अधिक ब्यूरोक्रेट्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर भेज कर देश में बढ़ती नफ़रत पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए इस बात की मांग की है कि वो ‘नफरत की राजनीति’ पर फौरन ब्रेक लगाएंगे. लेटर में कहा गया है कि बीजेपी शासित राज्यों में कथित तौर पर इस को ‘कठोरता से’ जोर दिया जा रहा है, जिसे फौरन रोका जाना चाहिए. पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को लिखे गए अपने एक खुले खत में कहा, कि ‘हम देश में नफरत से भरी तबाही का उन्माद देख रहे हैं, जहां न सिर्फ मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान पर भी खतरा मंडरा रहा है.’
समाचार एजेंसियों के मुताबिक पीएम मोदी को संबोधित करते हुए पत्र में कहा गया है, कि ‘‘पूर्व नौकरशाह के नाते, हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि जिस तेज़ी के साथ संवैधानिक ढांचे को नष्ट किया जा रहा है, वह हमें बोलने, अपना गुस्सा और अपने दर्द को ज़ाहिर करने के लिए मजबूर करता है.”
पूर्व नौकरशाहों ने पत्र में कहा है, कि ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के आपके वादे को दिल से लेते हुए आपकी अंतरात्मा से अपील करते हैं… हम उम्मीद करते है कि आजादी का अमृत महोत्सव के इस वर्ष में, पक्षपातपूर्ण विचारों से ऊपर उठकर, आप नफरत की राजनीति को खत्म करने की लोगों से अपील करेंगे.”
पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने अपने खत में आगे ये भी कहा है कि पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों – असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत और हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से बढ़ोतरी ने एक भयावह नया आयाम हासिल कर लिया है.
पत्र में कहा गया है कि दिल्ली को छोड़कर इन राज्यों में बीजेपी की ही सरकारें हैं और दिल्ली में पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में ही है.
इस खत में 108 पूर्व नौकरशाहों ने हस्ताक्षर किए हैं, इनमें दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेए नायर जैसे बड़े नौकरशाहों के नाम शामिल हैं.