अंज़रूल बारी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बीजेपी शासित कुछ राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर शुरू हुई चर्चा के बीच मंगलवार को इसपर अपना पक्ष साफ कर दिया. बोर्ड ने कहा कि यह पूरी तरह से असंवैधानिक कदम होगा और इसे देश के मुसलमान हरगिज तस्लीम नहीं करेंगे. बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने केंद्र की मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसा कोई कदम उठाने से परहेज करे.
मौलाना रहमानी ने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की अनुमति देता है. उनका कहना है कि वो संविधान में हस्तक्षेप नहीं करते. समान नागरिक संहिता का मुद्दा असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और नफरत के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए लाया जा रहा है. उनका कहना था कि देश के ज़रूरी मुद्दों जैसे महंगाई और बेरोजगारी का समाधान करने के बजाए केंद्र ने समान नागरिक संहिता का मुद्दा जुमले की तरह से उछाल दिया है.
बता दें कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी है. दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों का कहना है कि ये बेहद जरूरी चीज है. इससे देश में एक जैसा माहौल हर समुदाय को मिलेगा. यूपी और मध्यप्रदेश समेत बीजेपी शासित कई और राज्य भी इसकी तारीफ करते नहीं थक रहे. योगी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भी इस पर बयान देकर मुद्दे को हवा दे दी है.
केंद्र सरकार भी इसे लागू करने के लिए तैयार दिख रही है. दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को भोपाल के दौरे पर थे. जहां उन्होंने भी इस बात का संकेत दे दिया. सूत्रों के मुताबिक शाह ने बीजेपी के पार्टी कार्यालय में कोर कमेटी के सदस्यों के साथ मीटिंग की थी, मीटिंग में शाह ने कहा कि सीएए, राममंदिर, धारा-370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं. अब कॉमन सिविल कोड की बारी है. जिसे आने वाले कुछ वर्षों में हल कर दिया जाएगा.