नई दिल्ली, 26 फरवरी। ईमान (आस्था) के बाद इस्लाम धर्म में जक़ात को सबसे अधिक महत्व हासिल है. यह इस्लाम का आधारभूत स्तंभ है. ज़कात के लिए ऐसी संस्थायें बहुत कम हैं, जहां व्यवस्थित तौर से ज़कात वसूल किया जा सके और जिसे स्थानीय तौर पर ज़रूरतमंदों पर खर्च किया जा रहा हो. इसी को ध्यान में रखते हुए जमात इस्लामी हिंद द्वारा वर्ष 2022 में ‘ज़कात सेंटर इंडिया’ की स्थापना की गयी. इस सेंटर ने अपनी सथापना के प्रथम वर्ष में आजीविका परियोजना में 1000 से अधिक जरूरतमंद लोगों और कौशल विकास और शिक्षा में 500 से अधिक लोगों का मदद पहुंचाई है. इस दौरान “मवासात” योजना (सहानुभूति योजना) के तहत लगभग 500 परिवारों को रुपये की सहायता दी गई है. 1000 प्रति वयस्क और 500 रुपए प्रति बच्चा दिया गया. ज़कात सेंटर ने 10 शहरों में अपनी शाखाएँ स्थापित की हैं जिनमें 1500 से अधिक समुदाय के नेता स्वेच्छा से काम कर रहे हैं. दूसरे वर्ष के लिए इसकी 15 और शाखाएँ स्थापित करने और 5000 से अधिक परिवारों को सुविधाएँ प्रदान करने की योजना है. यह सेंटर संबंधित शहर के मालदारों से ज़कात वसूल करता है और फिर वहां की ज़रूरतो के अनुसार ग़रीबों और उपेक्षितों पर खर्च करता है. ये बातें ज़कात सेंटर इंडिया के चेयरमैन एस अमीनुल हसन ने एक प्रेस सम्मेलन में कहीं. ज़कात सेंटर इंडिया के सचिव इंजीनियर अब्दुल जब्बार सिद्दीक़ी ने कहा कि जकात अदा करना हर उस मुसलमान का फर्ज है जो तय आर्थिक मानदंडों को पूरा करता है. ज़कात धन के अधिक समान पुनर्वितरण को बढ़ावा देता है और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच एकजुटता की भावना को परवान चढ़ता है. आमतौर पर भुगतान की जाने वाली जकात की राशि की गणना उस बचत के 2.5 के रूप में की जाती है जो एक वित्तीय वर्ष की अवधि में की जाती है.