Thursday, December 26, 2024
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कमल हसन का हिंदी पर विवादित बयान, कहा हिंदी को थोपना मूर्खता है 

फिल्म अभिनेता कमल हसन ने हिंदी को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि दूसरी भाषा सीखना और बोलना निजी पसंद है, लेकिन हिंदी को दूसरों पर थोपना मूर्खता है. इसका विरोध किया जाना चाहिए. कमल का यह ट्वीट तमिल में है. सांसद ब्रिटास ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा था- हिंदी थोपने की आपकी नापाक मंशा इस देश को बर्बाद कर देगी. अगर सुंदर पिचाई आईआईटी में हिंदी में परीक्षा देते तो क्या गूगल में टॉप पोस्ट पर होते? कमल हसन ने भी इस विडिओ को शेयर किया है.

कमल हासन अपने ट्वीट में कहते हैं कि, “मातृ भाषा हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है. अन्य भाषाओं को सीखना और उनका इस्तेमाल करना व्यक्तिगत पसंद से होता है. यही पिछले 75 सालों से दक्षिण भारत का अधिकार रहा है. नॉर्थ ईस्ट में भी यही दिखाई देगाा. हिंदी का विकास करना और इसे दूसरों पर थोपना अज्ञानता है. जो लगाया गया है उसका विरोध किया जाएगा.”

कमल ने एक और ट्वीट में चेतावनी भरे अंदाज में कहा- “केरल में भी यही बात साफ नजर आती है. आधे भारत के लिए भी यही बात कही गई है. खबरदार, पोंगल आ रहा है. ओह! माफ करें, आपको समझने में आसानी हो इसके लिए ‘जागते रहो… ‘बता दें कि हसन की यह टिप्पणी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के एक दिन बाद आई है. कमल हासन ने 24 दिसंबर को दिल्ली पहुंची भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लिया था. वो राहुल के साथ चर्चा करते भी नजर आए थे.

दरअसल राज्यसभा में बोलते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद जॉन ब्रिटास ने सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताई. ब्रिटास बोले- हजारों उत्तर भारतीय स्टूडेंट साउथ में पढ़ते हैं. अगर उन्हें जबरन तमिल, मलयालम या कन्नड़ में पढ़ाई करने को कहा जाए तो उनमें से ज्यादातर वापस चले जाएंगे. इमेजिन कीजिए क्या होता अगर सुंदर पिचाई को आईआईटी परीक्षा जबरदस्ती हिंदी में दिलाई जाती, क्या वो आज गूगल के टॉप अधिकारी होते?

केंद्र सरकार द्वारा हिंदी थोपने की बात को लेकर हसन की टिप्पणी को जोड़ा जा रहा है. दक्षिण भारत से लेकर देश के कई इलाकों में स्थानीय भाषा और बोली की प्रधानता है. ऐसे में जबरन हिंदी थोपने की बात कई राज्यों के लिए परेशानी की बात है. संभव है अब भाषा को लेकर दक्षिण राज्यों में फिर से बवाल हो सकता है. अले साल ही कर्नाटक में चुनाव होने हैं. और माना जा रहा है कि चुनावी नारों में भाषा की भी बात होगी.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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