इंडोनेशिया के बाली में होने जा रही जी 20 की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की सब की निगाहें लगी हैं. 2020 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन की जिनपिंग के साथ ये पहली फेस-टु-फेस मुलाकात होगी. इसके पहले दोनों नेताओं की मुलाकात तब हुई थी जब वो अपने देश के वाइस-प्रेसिडेंट थे. व्हाइट हाउस के मुताबिक, दोनों नेता अमेरिका और चीन के बीच कम्युनिकेशन बनाए रखने और रिश्तों को गहरा करने के प्रयासों पर चर्चा करेंगे. इसके अलावा चर्चा का फोकस ताइवान के मुद्दे पर भी होगा.
अमेरिका ने 1979 में चीन के साथ रिश्ते बहाल किए और ताइवान के साथ अपने डिप्लोमैटिक रिश्ते तोड़ लिए. हालांकि, चीन के एतराज के बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा.
ये मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब दोनों देशों के रिश्तों में खटास है. इसकी वजह चीन की ताइवान पर कब्जा करने की मंशा है. दरअसल, चीन वन-चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है. इधर, अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं देख सकता.
10 नवंबर को एक प्रेस कान्फ्रेंस में बाइडेन ने कहा- मैं ताइवान मसले पर जिनपिंग से बात करूंगा. हम सॉल्यूशन निकालने की कोशिश करेंगे. उन्होंने साफ कर दिया की वो ताइवान पर अमेरिकी नीति में कोई बदलाव नहीं करेंगे. बाइडेन कई मौकों पर कहा चुके हैं कि अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो अमेरिका उसके बचाव में उतरेगा. बाइडेन, चीन के ताइवान पर कब्जा करने वाले कदम को अनुचित और अस्थिर बता चुके हैं.
अमेरिका और चीन के बीच तनाव तब गहरा गया, जब अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी चीन की धमकी के बाद भी 2 अगस्त को ताइवान दौरे पर ताईपेई पहुंच गईं. न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, चीन ने कहा था- हम टारगेटेड मिलिट्री एक्शन जरूर लेंगे.
इसके बाद से ताइवान की सीमा में चीन के जेट्स की घुसपैठ बढ़ गई. आम तौर पर ये उड़ानें ताइवान के दक्षिण – पश्चिम में हवाई क्षेत्र में होती हैं. इसे एआईडीजेड (एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन) कहते हैं. 1949 में गृहयुद्ध के दौरान ताइवान और चीन अलग हो गए थे, लेकिन चीन इस द्वीप पर अपना दावा करता रहा है. नतीजतन बीजिंग ताइवान सरकार की हर कार्रवाई का विरोध करता है. ताइवान को अलग-थलग करने और डराने के लिए राजनयिक और सैन्य ताकत का इस्तेमाल करता रहता है.
चीन अमेरिका से आग्रह करता है कि वो ताइवान कार्ड खेलना बंद करे और चीन को रोकने के लिए ताइवान का इस्तेमाल बंद करे. अमेरिका ताइवान की आजादी मांगने वाली अलगाववादी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रचना और उनकी मदद करना बंद करे.
बता दें कि चीन, यूक्रेन में हो रही जंग का फायदा उठाकर ताइवान पर हमला कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शी जिनपिंग की इस साजिश को भांप लिया था. कुछ महीने पहले उन्होंने एक इमरजेंसी मीटिंग की और इसके फौरन बाद अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट्स और फॉरेन मिनिस्ट्री का एक हाईलेवल डेलिगेशन ताइवान की राजधानी ताइपेई रवाना कर दिया था. जिसके बाद बौखलाए हुए चीन ने अमेरिका को धमकी दी थी. उसने धमकी भरे लहजे में कहा थी कि वो (अमेरिका) आग से खेल रहे हैं और इसमें खुद ही जल जाएंगे.