Home देश सज़ा देने का अधिकार केवल सरकार का: JIH 

सज़ा देने का अधिकार केवल सरकार का: JIH 

0
सज़ा देने का अधिकार केवल सरकार का: JIH 

 

“देश में किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. अपराधी का सम्बंद किस पार्टी, संस्था या समूह से है यह कोई महत्व नहीं रखता. महत्व यह है कि अपराधी, अपराधी है और उसे दंडित किया जाना चाहिए. सरकार को अपराधी की पहचान करनी चाहिए और सज़ा देने में ज़ात पात के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए. “ये बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहीं.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया बताता है कि आर्थिक नीतियां बनाते समय औद्योगिक घरानों का विशेष ध्यान रखा जाता है. जबकि इसे जनहित को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कई नेता उदयपुर की घटना पर गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं. ऐसे बयान राजनीतिक स्वार्थ के लिए दिए जाते हैं. हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पूरे देश में नफरत का माहौल बनाया जा रहा है.

रोजगार के मुद्दे पीछे हैं. कुछ मीडिया घराने भी इसमें मदद कर रहे हैं जैसा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी में इसकी तरफ इशारा किया गया है.

एक सवाल के जव्वाब में जमाअत के अमीर ने कहा कि पैग़म्बर मोहम्मद (सल्ल्म) के माफ़ी मांग लेने से माफ़ी नहीं दी जा सकती. अगर ऐसा होता तो हर अपराधी अपराध करके माफी मांग लेगा, फिर न तो जेल की जरूरत रहेगी और न ही अदालत की. लोगों के बीच आपसी एकता बनाने को लेकर जमाअत के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने कहा कि हमारे पास स्थानीय और राज्य स्तर पर एक हजार से अधिक सद्भावना मंच हैं. “वो देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं. इस मंच से सभी धर्मों के शांतिप्रिय लोग जुड़े हुए हैं जो लगातार विभिन्न धर्मों और पंथ के लोगों के बीच एकता बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने उदयपुर कांड की कड़ी निंदा की. महाराष्ट्र में एमवीए सरकार को गिराने में में खेले गए राजनीतिक खेल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां दल बदल विरोधी क़ानून और लोगों के जनादेश का मजाक उड़ाया गया था. इस तरह के रवैये से लोकतंत्र कमजोर होता है. जिससे पूरे देश को परिणाम भुगतना पड़ता है. अग्नि पथ पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना कल्याणकारी राज्य होने के लक्ष्य से भटक रही है. योजना में शामिल होने वाले लोग अस्थायी ठेका मजदूर के रूप में होंगे. ऐसा लगता है कि हमारी सरकार पश्चिम से विचार उधार ले रही है.

उन्होंने रांची और प्रयाग राज में पैग़म्बर मोहम्मद (सल्लम) पर आपत्तिजनक टिप्पणियों कि खिलाफ मुसलामानों के प्रदर्शनों पर पुलिस और प्रशासन की ज्यादतियों की कड़ी निंदा की और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की. उनहोंने सामाजिक कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद के घर के विध्वंस, गुजरात के पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार, तीस्ता सीतलवाड़ और ऑल्ट न्यूज़ के संयुक्त संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर खेद जताया और उनकी रिहाई की मांग की.

Previous article महाराष्ट्र का खेला : शिंदे गुट ने नए स्पीकर से ठाकरे गुट को अयोग्य करार देने की मांग की
Next article सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करना और हुआ आसान, अब शाहीन बाग़ में खुला NEOM IAS एकेडमी
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here