Sunday, October 6, 2024
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सोमवार से मॉनसून सत्र : क्या यह सत्र 12 अगस्त तक चल पायेगा ?

 

आज सोमवार 18 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया हैं. मानसून सत्र के पहले दिन जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे को श्रद्धांजलि दी गई. राज्यसभा में कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने सस्पेंशन ऑफ बिजनेस का नोटिस दिया है. विपक्ष के हंगामे की वजह से संसद कई बार बाधित हुई.

संयोग ऐसा है कि सत्र शुरुआत के साथ ही आज ही राष्ट्रपति चुनाव के तहत वोटिंग भी हो रही है. जिसमे एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच टक्कर है. इस चुनाव के परिणाम 21 जुलाई को आएंगे. उसके बाद की राजनीति क्या होगी. विपक्षी एकता बचेगी भी या नहीं यह देखना होगा. लेकिन जहां तक मॉनसून सत्र के शुरुआत की बात है और जिस तरह से विपक्ष ने कई मसलों पर सरकार को घेरने की तैयारी की है उससे लगता है कि शायद ही यह सत्र अपना कार्यकाल पूरा कर सके. यह सत्र 12 अगस्त तक निर्धारित है. मॉनसून सत्र में लगभग आठ विधेयक पारित किए जा सकते है और 24 नए विधेयक संसद के पटल पर पेश किए जाएंगे.

दोनों सदनों में राजनीतिक विभाजन जैसी स्थिति के चलते अधिकांश विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा शनिवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया. राजनीतिक दलों के बीच मतभेद को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि संसद अपने संभावित 18 सत्र में अधिक कार्य नहीं कर सकेगा.

मंगलवार को सरकार ने श्रीलंका संकट को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई है. हालांकि पहले दो सप्ताह के दौरान संसद की कार्यवाही में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव हावी रह सकते है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेतृत्व वाली सरकार ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. दोनों सदनों के सांसद 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेंगे. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने राजस्थान की पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा को अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता शरद पवार ने रविवार को उनके नाम की घोषणा की. मार्गरेट अल्वा के चुनाव जीतने की बहुत कम संभावना है.

संसद पटल पर संसद सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक बहस और चर्चा के लिए रखें जाएंगे. चार विधेयक पहले ही चर्चा के बाद विभागीय स्थायी समिति द्वारा पारित किए जा चुके है. इन चार विधेयक पर पहले ही आम सहमति बन गई है. इनमें एंटी- मैरीटाइम पायरेसी विधेयक, 2019 है जो समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि को लागू करता है. जो समुद्री सीमा में घुसपैठ करने वालों को मौत की सजा देने की अनुमति प्रदान करता है.

माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019 भी स्थायी समिति द्वारा मंजूर किया जा चुका है. और इसके पारित होने की भी संभावना है. यह विधेयक माता पिता के भरण पोषण

के लिए दी जाने वाली राशि की ऊपरी सीमा हटाता है और बच्चों, माता-पिता और रिश्तेदारों को फिर से परिभाषित करता है. राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग विधेयक, 2021 के भी इस सत्र में पेश किए जाने की संभावना है. जिसमें खेलों में डोपिंग को रोकने का प्रावधान है. और वन्य जीव संरक्षण (संशोधन) बिधेयक, 2021 कानून के तहत संरक्षित प्रजातियों की संख्या को बढ़ाने की बात की गई है. इस विधेयक के भी पारित होने की पूरी संभावना है.

उत्तर प्रदेश में जनजातियों की संख्या में संशोधन की अनुमति देने वाले एक संशोधक विधेयक के भी पारित होने की संभावना है.

इन विधेयकों में अर्थव्यवस्था और कारोबार को प्रभावित करने वाले ‘ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 पर भी चर्चा की जा सकती है. यह विधेयक दिवालिया संहिता, 2016 में बदलाव लाएगा और सीमापार दिवालिया होने वाली कंपनियों के लिए एक नए कानून का प्रस्ताव करेगा.

उद्यमों एवं सेवा केंद्रों के विकास (देश) विधेयक, 2022 के जरिये विशेष आर्थिक क्षेत्र कानून में संशोधन लाया जा सकता है. बहु राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक 2022, राज्य सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं और सदस्यों को निहित स्वार्थ और कुप्रबंधन से बचाने के लिए सरकार की भूमिका को युक्तिसंगत बनाएगा. प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 का मुख्य लक्ष्य भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के शासकीय ढांचे में परिवर्तन लाना और आधुनिक बाजार की मांग के अनुरूप बनाना है.

आने वाले कानूनों में डेटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं है. संयुक्त संसदीय समिति ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी थी. लेकिन हितधारकों से परामर्श अभी भी जारी है. ई-कॉमर्स, डेटा स्थानीयकरण और अन्य डिजिटल अर्थव्यवस्था से संबंधित पहलुओं को देखते हुए यह सबसे अहम और दूरगामी कानून हो सकता है. सरकार संभवतः इस बिल को आने वाले शीतकाल सत्र तक के लिये स्थगित कर सकती है. विपक्ष के लिए आने वाला सत्र काफी उत्साहजनक और राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण होने वाला है.

बीजेपी द्वारा शिवसेना को हटाने और नेताओं के दल बदलने से संबंधित मुद्दों के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही कार्रवाई और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित मुद्दे सरकार को घेरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. राज्यसभा के संचालन को लेकर निवर्तमान उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पीठासीन सभापति वेंकैया नायडू द्वारा गठित समिति ने नये संसदीय नियमों की घोषणा की है जिसको लेकर सरकार के बयान का इंतज़ार होगा. अगर उपराष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं तो जगदीप धनखड़ संसदीय प्रक्रिया में दखलंदाजी करने वाले नेता पर कड़ी कार्रवाई कर सकेंगे.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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