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संसद में महुआ मोइत्रा के सवाल, पूछा कि सरकार ही बताए की पप्पू कौन है ?

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संसद में महुआ मोइत्रा के सवाल, पूछा कि सरकार ही बताए की पप्पू कौन है ?

मंगलवार को लोकसभा में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा खूब गरजीं. निशाने पर थी बीजेपी नीत केंद्र सरकार और उसके नेता. अर्थव्‍यवस्‍था से लेकर चुनावी नतीजों तक, हर मुद्दे पर, मोइत्रा की आवाज सदन में जोर से गूंजी. केंद्र के बजट अनुमानों से ज्‍यादा फंड्स की जरूरत बताने पर मोइत्रा ने कहा कि ‘सरकार और सत्‍ताधारी पार्टी ने पप्‍पू शब्‍द का आविष्‍कार किया. आप इसका इस्‍तेमाल भयानक अक्षमता जताने के लिए करते हैं.’ इसके बाद मोइत्रा आंकड़ों के जरिए समझाने लगीं कि ‘असली पप्‍पू कौन है.’ जवाब में उत्‍तर प्रदेश के डुमरियागंज से बीजेपी सांसद जगदंबिका पॉल ने ऐसी बात कही कि सदन में हंगामा हो गया. पॉल ने प्रकिया समझाते हुए कहा कि अगर राज्‍य ऐसा करें तो… उन्‍होंने एक शब्‍द का इस्‍तेमाल किया जिसपर विपक्षी सदस्‍य हंगामा करने लगे. उस वक्‍त लोकसभा की अध्‍यक्षता कर रहे राजेंद्र अग्रवाल ने पॉल की टिप्‍पणी को कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया.

महुआ मोइत्रा ने क्‍यों कहा, पप्‍पू कौन है?

मैनुफैक्‍चरिंग, इंडस्‍ट्र्रीज और अर्थव्‍यवस्‍था के तमाम आंकड़े गिनाते हुए महुआ मोइत्रा ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया. भारतीयों के नागरिकता छोड़ने के आंकड़े गिनाते हुए मोइत्रा ने पूछा कि ‘क्‍या ये स्‍वस्‍थ अर्थव्‍यवस्‍था के संकेत हैं? अब पप्‍पू कौन है?’ टीएमसी सांसद ने कहा कि देश में आतंक का माहौल है. क्‍योंकि ज्‍यादा संपत्ति रखने वालों पर प्रवर्तन निदेशालय की तलवार लटक रही है. मोइत्रा ने आरोप लगाया कि बीजेपी करोड़ों में विधायक खरीदती है, इसके बावजूद विपक्ष के 95% सदस्‍य ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि सजा दिलाने का प्रतिशत केवल 0.5 प्रतिशत है. मोइत्रा ने अपने भाषण में बार-बार यही वाक्‍य दोहराया, ‘अब पप्‍पू कौन है?’

मोइत्रा ने सदन में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान का भी हवाला दिया. बकौल मोइत्रा, ‘वित्‍त मंत्री ने कल हमारे बारे में कहा कि हम विदेश के दुश्‍मन हैं. और हमारे भीतर जलन की भावना है.’ टीएमसी सांसद ने कहा कि सरकार से सवाल पूछना विपक्ष का अधिकार है, और जवाब देना उसका राजधर्म है. मोइत्रा ने कहा कि सीतारमण ‘खिसियानी बिल्‍ली’ की तरह व्‍यवहार करती

दिख रही हैं.

आपको लगता है कि आप देश को डरा पाएंगे……… बार-बार चुनाव जीतते चले जाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. आपने अभी तीन राज्‍यों में चुनाव लड़ा. पूरी ताकत, पूरे संसाधनों के साथ… आपने जीता सिर्फ राज्‍य. सत्‍ताधारी पार्टी के अध्‍यक्ष अपना गृह राज्‍य तक नहीं बचा सके. अब पप्‍पू कौन है?

महुआ मोइत्रा, टीएमसी सांसद

जवाब में पॉल की टिप्‍पणी पर हो गया हंगामा

अनुपूरक अनुदान की मांग पर चर्चा के दौरान बीजेपी की तरफ से जगदंबिका पॉल बोलने उठे. उन्‍होंने मोइत्रा के भाषण के संबंध में कहा कि यह तो प्रक्रिया है. बजट में हम सालभर का प्‍लान बनाते हैं, बहुत सारी चीजों का हम पूर्वानुमान नहीं लगा सकते हैं. पॉल ने कहा कि अगर राज्‍य में सरकारें अनुपूरक अनुदान की मांग रखती हैं तो क्‍या ये कहा जाएगा उनके राज्‍य में कौन **** है. जो इस तरह का बजट लेकर के आया है. पॉल की टिप्‍पणी पर विपक्षी सदस्‍यों ने आपत्ति की. इसके बाद पदेन सभापति ने उस शब्‍द को कार्यवाही से बाहर करने का आदेश दिया.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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