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संत ने साधा ताजमहल पर निशाना, किया धर्म संसद का ऐलान

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संत ने साधा ताजमहल पर निशाना, किया धर्म संसद का ऐलान

अंज़रूल बारी

अगर धरम संसद से धर्म और मनुष्य का ईमान बरकरार रहे तो इस देश में हर रोज धर्म संसद लगनी चाहिए. लेकिन अगर धर्म संसद इंसानियत को ही टारगेट करने लगे तो फिर ऐसे धर्म संसद की जरूरत क्यों ? पिछले कुछ महीने से देश में चल रहे धर्म संसद की कहानी यही कहती है. इस तरह की धर्म संसदों में धार्मिक प्रवचन कम होते हैं, बल्कि एक ख़ास समाज जाति और धर्म को टारगेट किया जाता है और समाज में कटुता लाने का प्रयास किया जाता रहा है. सरकार ऐसे धर्म संसदों के आयोजन पर मौन है. इस मौन के क्या मायने है, कौन जाने !
अब एक और धर्म संसद के आयोजन का ऐलान हुआ है. अयोध्या तपस्वी छावनी के तथाकथित पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य अपने सनसनीखेज बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. इस बार इस तथाकथित तपस्वी के निशाने पर कोई नेता नहीं बल्कि आगरा का ताजमहल है. आचार्य परमहंस का कहना है कि ताजमहल वास्तव में ‘तेजो महालय’ है. इस बीच उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर एक बड़ा ऐलान किया है कि 5 मई को ताजमहल के गेट पर धर्म संसद आयोजित की जाएगी. उन्होंने अपील की है कि सनातन धर्मावलंबी इसमें शामिल होने के लिए पहुंचें.
दरअसल, परमहंस आचार्य बीते दिनों ताजमहल में भगवा वस्त्र को लेकर प्रवेश न दिए जाने से नाराज हैं. आचार्य परमहंस ने एक वीडियो संदेश में पांच मई को दोबारा इस स्मारक में लौटने और वहां ‘धर्म संसद’ आयोजित करने की घोषणा की है. उन्होंने आगे कहा कि ‘संविधान का अनुपालन करते हुए वह भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करेंगे और ताजमहल में शिव की प्रतिमा स्थापित करेंगे.
तथाकथित परमहंस के बयान में कितना विरोधाभास है इसे भी जानने की जरूरत है. परमहंस कहते हैं कि वो संविधान का अनुपालन भी करेंगे और भारत को हिन्दू राष्ट्र भी घोषित करेंगे. क्या संविधान में कोई हिन्दू राष्ट्र की बात कही गई है ? जहां तक ताजमहल में शिव की प्रतिमा स्थापित करने की बात है इससे साफ़ लगता है कि ऐसा करके देश में धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश है. क्या संविधान इसकी इजाजत देता है ?
इस पूरे मामले को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी ने कहा कि, ‘यह खबर गलत है कि आचार्य परमहंस को भगवा वस्त्र पहने होने की वजह से ताजमहल में प्रवेश देने से रोका गया, बल्कि मैंने उनसे बात की और ताजमहल आने के लिए आमंत्रित किया.’ एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें इस तथाकथित संत ने अपना परिचय अयोध्या स्थित तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर के जगदगुरु परमहंसाचार्य के तौर पर दिया है और दावा किया है कि ताजमहल वास्तव में ‘तेजो महालय’ है.
बता दें कि तपस्वी छावनी के जगदगुरु परमहंस आचार्य महाराज अपने सनसनीखेज बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. इससे पहले उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की थी. आचार्य अक्सर किसी न किसी मांग को लेकर अनशन और अनुष्ठान करते देखे जाते हैं. इससे पहले वह तब सुर्खियों में बने रहे जब उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किए जाने पर जलसमाधि ले लेने की धमकी दे डाली थी, हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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