Thursday, March 28, 2024
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बीजेपी जेडीयू में तकरार, सीएम नीतीश की बढ़ी नाराजगी

अखिलेश अखिल

क्या वाकई में बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है;? क्या नीतीश कुमार अब बिहार की मौजूदा बीजेपी टीम से ऊब चुके हैं ? और फिर क्या पीएम मोदी और शाह के कई फसलों और कई मामलों पर चुप्पी से सीएम नीतीश कुमार खासे नाराज और दुखी हैं ? ये बाते इसलिए कही जा रही है कि शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इस आयोजन में उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों के साथ ही सभी सूबे के मुख्यमंत्रियों का जुटाना था. पीएम मोदी को भी इस कार्यक्रम में बोलना था. कई राज्यों के सीएम इस बैठक में जुटे भी लेकिन सीएम नीतीश कुमार इसमें नहीं आये. नीतीश कुमार बिहार के पूर्णिया में एक कार्यक्रम में शामिल हुए. इस घटना के बाद दिल्ली से लेकर पटना तक सियासी पारा चढ़ा. कई तरह की बातें की जाने लगी हैं. कहा जाने लगा कि संभव है कि नीतीश कुमार अब बिहार एनडीए से बाहर निकल जायेंगे. अलबत्ता नीतीश कुमार ने खुद दिल्ली न आकर बीजेपी कोटे के एक मंत्री को दिल्ली भेज दिया. इस खेल से सभी सन्न रह गए. बीजेपी भी अवाक है और जदयू भी. कोई नहीं जनता कि आगे क्या होगा. आखिर नीतीश कुमार की चाल को भला कौन समझे !
लेकिन बिहार में हलचल है. जदयू और बीजेपी के लोग कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. पहले पीएम मोदी के हर कार्यक्रम में नीतीश जरूर आते थे, लेकिन इस बार वो नहीं आये. जाहिर है कोई बात तो जरूर है. कुछ नाराजगी तो जरूर है. नाराजगी की कई वजहें हैं. दरअसल, नीतीश कुमार एक मौके की तलाश में थे जिसके जरिए वो केंद्र और खास कर नरेंद्र मोदी को सीधे अपनी नाराजगी जाहिर कर सकें. नीतीश की नाराजगी तब से है जब से बीजेपी के विनय बिहारी और दूसरे नेताओं की ओर से नीतीश कुमार की जगह ‘बीजेपी का सीएम’ बनाने की मांग का राग छेड़ा गया था. बताते चलें कि सासाराम के सांसद छेदी पासवान और लौरिया विधायक विनय बिहारी दुबे जैसे नेताओं की ओर से नीतीश कुमार की जगह डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद को सीएम बनाने की बात कही थी.
मामला केवल यही तक का नहीं है. नाराजगी के कई और भी कारण बताये जा रहे हैं. जेडीयू और नीतीश कुमार के करीबियों की मानी जाए तो इस नाराजगी की वजह और भी है. ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार सिर्फ सेकेंड लाइन के नेताओं के बीजेपी का मुख्‍यमंत्री बनाने की मांग को लेकर नाराज हैं. दरअसल, वो कई अन्‍य मुद्दों और वजहों को लेकर भी नाराज हैं. इनमें प्रमुख कारणों की बात की जाए तो यूनिफॉर्म सिविल कोड, सीबीएससी पाठ्यक्रम में बदलाव, रामनवमी, और अब लाउडस्‍पीकर जैसे मुद्दे हैं. जिसकी वजह से जेडीयू अपने वोटरों के सामने असहज महसूस कर रही है. जेडीयू को अपनी छवि बचाना मुश्किल हो रहा है. नीतीश कुमार के लिए उनकी अपनी समाजवादी चेहरे के साथ खड़े रहना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार बीजेपी को लगातार संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी लगातार इन इशारों का अनदेखा जानबूझ कर करती नजर आ रही है.
जेडीयू ने बीजेपी को इशारों इशारों में कई बार अपनी नाराजगी जाहिर की है. कभी बलियावी के बयान तो कभी बीरेंद्र यादव, कभी विजय चौधरी तो कभी खुद सामने आकर बीजेपी के नेताओं के बयानों को सिरे से नकारा है. लेकिन बीजेपी इन पर ध्‍यान नहीं दे रही है. जिसका नतीजा है कि नीतीश कुमार ने परसेप्‍शन वार राजनीतिक मोर्चा खोल दिया. नीतीश कुमार 22 अप्रैल आरजेडी के इफ्तार में शामिल हुए. नीतीश कुमार के जानने वालों की मानें तो ये साफ तौर पर बीजेपी को सिग्‍नल है. इतना ही नहीं नीतीश कुमार का पैदल ही इफ्तार में शामिल होने जाना बड़ा संकेत था. वहीं, जेडीयू की ओर से तेजस्‍वी और आरजेडी सहित तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं को इफ्तार का न्‍योता दिया गया. जिसमें तेजस्‍वी को गा‍ड़ी तक छोड़ने का शिष्‍टाचार से एक कदम आगे जरूर नजर आता है. वहीं, 29 अप्रैल को जीतन राम मांझी के इफ्तार में चिराग को माफी देना और लालू परिवार को विशेष तवज्‍जो देना या देते हुए दिखना नीतीश की नाराजगी का ही नतीजा है.

अखिलेश अखिल
अखिलेश अखिल
पिछले 30 वर्षों से मिशनरी पत्रकारिता करने वाले अखिलेश अखिल की पहचान प्रिंट, टीवी और न्यू मीडिया में एक खास चेहरा के रूप में है। अखिल की पहचान देश के एक बेहतरीन रिपोर्टर के रूप में रही है। इनकी कई रपटों से देश की सियासत में हलचल हुई तो कई नेताओं के ये कोपभाजन भी बने। सामाजिक और आर्थिक, राजनीतिक खबरों पर इनकी बेबाक कलम हमेशा धर्मांध और ठग राजनीति को परेशान करती रही है। अखिल बासी खबरों में रुचि नहीं रखते और सेक्युलर राजनीति के साथ ही मिशनरी पत्रकारिता ही इनका शगल है। कंटेंट इज बॉस के अखिल हमेशा पैरोकार रहे है।
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