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लक्षद्वीप से सासंद मुहम्मद फैजल पीपी की सदस्यता बहाल, लोकसभा सचिवालय ने जारी किया नोटिस

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लक्षद्वीप से सासंद मुहम्मद फैजल पीपी की सदस्यता बहाल, लोकसभा सचिवालय ने जारी किया नोटिस

लक्षद्वीप के एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल को बड़ी राहत मिली है. लोकसभा सचिवालय ने मुहम्मद फैजल की लोकसभा की सदस्यता को बहाल कर दिया है. लोकसभा सचिवालय ने इस केस से जुड़ा बहाली का नोटिस जारी कर दिया है. बता दें कि लक्षद्वीप के सांसद मुहम्मद फैजल की सदस्यता को बहाल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता को बहाल कर दिया गया.

दरअसल एनसीपी सांसद मुहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास की कोशिश के एक मामले में कवारत्ती की सत्र अदालत ने दस साल जेल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया था. इस दौरान मुहम्मद फैजल ने निचली अदालत के फैसले को केरल हाई कोर्ट में चुनावती दी थी, जिसपर सुनवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के फैसले को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था. सजा रद्द होने के बाद मुहम्मद फैजल ने लोकसभा की सदस्यता बहाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसपर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुहम्मद फैजल को बड़ी राहत देते हुए उनकी सदस्यता बहाल करने के आदेश दिए.

गौरतलब बात ये है कि एनसीपी सांसद मुहम्मद फैजल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मुहम्मद सालेह पर हमला करने का आरोप था. मुहम्मद फैजल पर हत्या की कोशिश को लेकर एंड्रोट पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था. इस सजा के बाद ही एनसीपी सांसद का पद फैजल पीपी को छोड़ना पड़ा था. दरअसल साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट किए गए सांसदों और विधायकों को दोष सिद्ध होने पर तुरंत अपील करने के लिए तीन महीने दिए बिना सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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