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राजस्थान में सियासी उठापटक की सम्भावना, पायलट को मिले सकती है बड़ी जिम्मेदारी

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राजस्थान में सियासी उठापटक की सम्भावना, पायलट को मिले सकती है बड़ी जिम्मेदारी

 

अंज़रुल बारी

 

उदयपुर चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस के भीतर कोहराम मचा है. राज्य सभा सीटों के बटवारे को लेकर जहां पार्टी पर कई सवाल कांग्रेस के भीतर से ही खड़े हो रहे हैं, वही लगातार कई नेताओं के पार्टी छोड़ने की कवायद भी जारी है. फिलहाल कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. इसी साल गुजरात और हिमाचल में चुनाव होने हैं लेकिन पार्टी अभी इन मोर्चों पर बीजेपी का मुकाबला कैसे करेगी कोई नहीं जानता. उधर राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद बदले हुए नजर आ रहे हैं और सीएम गहलोत पर लगातार जुबानी हमला बोल रहे हैं.

बुधवार को पायलट ने एक ही दिन में डबल अटैक कर गहलोत सरकार को निशाने पर ले लिया. जानकार पायलट के बदले हुए तेवरों को देखकर एक बार प्रदेश में सियासी उठापटक के संकेत मान रहे हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि चिंतन शिविर के बाद आलाकमान ने पायलट को बड़ी जिम्मेदरी देने के संकेत दिए है. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बदलाव होगा और पायलट को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देना तय हो गया है. इसका रोडमैप बन चुका है. प्रदेश में बाकी फैसलों के साथ इसकी भी घोषणा होने के आसार है. पिछले दो साल से सचिन पायलट बिना किसी पद के है. प्रदेश प्रभारी अजय माकन पहले ही कह चुके हैं कि सचिन पायलट को जिम्मेदारी देने का फैसला करना पार्टी हाईकमान के अधिकार क्षेत्र में आता है.

सचिन पायलट ने राजधानी जयपुर में चल रहे कांग्रेस के प्रशिक्षण शिविर में गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था. पायलट ने साफ शब्दों में कहा कि जब हम विपक्ष में थे तो भारतीय जनता पार्टी और उनके नेता यहां सरकार में थे और जिन नेताओं पर हमने आरोप लगाए थे और खास ये है कि भ्रष्टाचार के आरोप उन्होंने स्वीकार भी किये थे. हमने अब तक उनपर क्या कार्रवाई की. वह हमारे नेताओं को जलील कर रहे हैं. उन पर मुकदमे कर रहे हैं. उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं. समय आ गया है कि हम लोगों को दिखाना पड़ेगा कि हम भी सही गलत की पहचान करना जानते हैं. पायलट के तेवरों से साफ जाहिर है कि वो आने वाले दिनों में सीएम गहलोत पर फिर जुबानी हमला बोलेंगे. पायलट ने कहा कि ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया जो अब से पहले कभी किसी ने नहीं किया है. सोनिया गांधी और उनके परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस ली गई. मुकदमे दर्ज किए गए. मानसिक यातनाएं दी जा रहीं हैं. बेल लेने पर मजबूर किया जा रहा है. पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमारे नेताओं के साथ 8 साल में जो कुछ किया है, वह सबको दिख रहा है.

सचिन पायलट ने बुधवार को ही राजधानी जयपुर में मीडिया से बात करते हुए इशारों ही इशारों में सीएम अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा था. पायलट ने कहा कि मोदी लहर नहीं थी तब भी हम सरकार रिपीट नहीं कर पाए. एक बार में 50 पर आ गए थे. जबकि दूसरी बार 21 सीटों पर आ गए थे. क्या कारण है कि हम सरकार रिपीट नहीं कर पाते हैं. पायलट ने कहा कि जो मुद्दे मैंने उठाए थे. पार्टी आलाकमान उन पर गंभीरता से काम कर रहा है. सचिन पायलट ने कहा कि अगले साल राजस्थान में चुनाव होने हैं और कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटेगी.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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